Text of PM’s speech at Grand Finale of Smart India Hackathon 2022


 युवा साथियों,


वाकई, आप सभी इनोवेटर्स से मिलकर, बात करके मुझे बहुत अच्छा लगा। ऐसे नए-नए विषयों को आप छू रहे हैं, आप जैसे युवा अपने कार्यों में जो नवीनता लाते हैं, जिस आत्मविश्वास से आप अपना काम करते हैं, ये मेरे जैसे अनेक लोगों के लिए कुछ न कुछ नया करने की प्रेरणा बन जाते हैं। एक प्रकार से आप source of inspiration बन जाते हैं, तो मैं आपको बहुत बधाई देता हूं। 


स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन, public participation का बहुत बेहतरीन उदाहरण बन चुका है। और साथियों, इस बार का स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन कई मायनों में बहुत महत्वपूर्ण है। अब से कुछ दिन पहले ही हमने आजादी के 75 वर्ष पूरे किए हैं। आजादी के 100 वर्ष होने पर हमारा देश कैसा होगा, इसे लेकर देश बड़े संकल्पों पर काम कर रहा है। इन संकल्पों की पूर्ति के लिए ‘जय अनुसंधान’ इसके उद्घोष के ध्वजावाहक आप innovators हैं।


अमृतकाल का ये 25 वर्ष का Time Period आपके लिए अभूतपूर्व संभावनाएं लेकर आया है। ये संभावनाएं और ये संकल्प सीधे-सीधे आपके करियर ग्रोथ से भी जुड़े हैं। अगले 25 वर्ष में आप युवाओं की सफलता, भारत की सफलता को तय करेगी। इसलिए मैं आप सभी को लेकर बहुत विश्वास से भरा हुआ हूं। हिन्‍दुस्‍तान गर्व करता है आप पर। आप सभी का इनोवेटिव माइंडसेट आने वाले 25 वर्षों में भारत को टॉप पर पहुंचाएगा। आप सभी पर मेरे इस विश्वास की ठोस वजहें भी हैं।


साथियों,


इस बार 15 अगस्त को मैंने लाल किले से कहा है कि भारत में कितनी बड़ी Aspirational Society आज विकसित हो रही है, विस्तार हो रहा है। इस अमृतकाल में ये Aspirational Society, एक ड्राइविंग फोर्स की तरह काम करेगी। इसकी अपेक्षाएं, इसकी उम्मीदें, इससे जुड़े हुए Challenges, आपके लिए बहुत सारे नए अवसर लेकर आएंगी।


साथियों,


आप सभी ने अपनी शिक्षा के शुरुआती दौर में पढ़ा होगा कि 60-70 के दशक में Green Revolution हुआ था। भारत के किसानों ने अपना सामर्थ्य दिखाया और हमें अन्न के मामले में आत्मनिर्भर बना दिया। लेकिन आप ये देख रहे हैं कि पिछले 7-8 वर्षों में देश एक के बाद एक Revolution करते हुए तेजी से आगे बढ़ रहा है।


भारत में आज Infrastructure Revolution रहा है। भारत में आज Health Sector Revolution हो रहा है। भारत में आज Digital Revolution हो रहा है। भारत में आज Technology Revolution हो रहा है। भारत में आज Talent Revolution हो रहा है। Agriculture सेक्टर हो, Education सेक्टर हो, डिफेंस सेक्टर हो, आज देश का जोर, हर सेक्टर को आधुनिक बनाने पर है। हर सेक्‍टर को आत्‍मनिर्भर बनाने पर है। और इसलिए ही आप सभी युवाओं के लिए भारत में हर रोज नई Opportunities बन रही हैं।


ड्रोन टेक्नॉलॉजी, टेली-कंसल्टेशन, डिजिटल इंस्टीट्यूशन्स, वर्चुअल सोल्यूशन्स, इन सभी में सर्विस से लेकर मैन्युफैक्चरिंग तक आपके लिए बहुत संभावनाएं हैं। आप जैसे युवा खेती और हेल्थ सेक्टर में ड्रोन टेक्नोलॉजी के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए नए-नए सोल्यूशन्स पर काम कर सकते हैं। अपने सिंचाई के उपकरणों को, सिंचाई के नेटवर्क को हम स्मार्ट कैसे बना सकते हैं, इसमें भी बहुत संभावनाएं हैं।


साथियों,


आज देश के गांव-गांव में ऑप्टिकल फाइबर बिछाने का काम तेज गति से चल रहा है। आपने ये भी देखा है कि अब भारत में 5G लॉन्च हो रहा है। इस दशक के अंत तक हम 6G लॉन्च करने की तैयारी कर रहे हैं। गेमिंग और एंटरटेनमेंट में भी भारतीय सोल्यूशन्स को सरकार बहुत प्रोत्साहित कर रही है।  इन सारे नए सेक्टर्स पर सरकार जिस प्रकार निवेश कर रही है, जैसे इन्हें प्रोत्साहन दे रही है, उसका लाभ आप सभी नौजवानों को ज़रूर उठाना चाहिए।


और साथियों, आपको एक बात और याद रखनी है। दुनिया में एक बहुत बड़ी आबादी है जिनकी समस्याएं भारत जैसी ही हैं। लेकिन वहां उन समस्याओं को डील करने के लिए इनोवेशन और स्टार्ट अप्स की संभावनाएं सीमित हैं। भारत के इनोवेशन दुनिया में सबसे competitive, affordable, sustainable, secure और बड़े scale पर लागू होने वाले समाधान देते हैं। इसलिए दुनिया की उम्मीदें भारत से हैं, आप जैसे युवाओं से हैं।


साथियों,


आज के इस कार्यक्रम में हमारे साथ शिक्षा जगत के दिग्गज, पॉलिसी मेकर्स भी जुड़े हुए हैं। भारत में इनोवेशन का कल्चर बढ़ाने के लिए हमें दो बातों पर निरंतर ध्यान देना होगा। Social support और institutional support. आज हम देख रहे हैं कि Innovation और Enterprise को लेकर समाज में बदलाव दिखने लगा है। हम करियर बनाने के पारंपरिक विकल्पों के अलावा नए क्षेत्रों में भी हाथ आजमाने लगे हैं। यानी समाज में innovation as a profession, इसकी स्वीकृति बढ़ रही है। ऐसे में हमें नए आइडियाज और original thinking को भी स्वीकृति देनी होगी, सम्मान देना होगा। रिसर्च और इनोवेशन को way of working से way of living (लिविंग) बनाना होगा।


साथियों,


रिसर्च और इनोवेशन की दिशा में institutional support को बढ़ाने के लिए सरकार लगातार काम कर रही है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इनोवेशन के लिए एक मजबूत फाउंडेशन तैयार करने का रोडमैप है। अटल इन्क्यूबेशन मिशन के तहत स्थापित हो रही अटल टिंकरिंग लैब्स स्कूलों में इनोवेटर्स की एक नई पीढ़ी को तैयार कर रही है। देश में i-Create जैसी संस्थाएं भी सफलता के साथ काम कर ही हैं, जो अब तक 500 से ज्यादा स्टार्टअप्स को सपोर्ट कर चुकी हैं।


साथियों,


21वीं सदी का आज का भारत, अपने युवाओं पर भरपूर भरोसा करते हुए आगे बढ़ रहा है। इसी का नतीजा है कि आज innovation index में भारत की रैंकिंग बढ़ गई है। पिछले 8 वर्षों में पेटेंट की संख्या 7 गुना बढ़ गई है। यूनिकॉर्न की गिनती भी 100 के पार चली गई है। हम इसमें यकीन नहीं रखते हैं सिर्फ सरकार के पास ही समस्याओं का समाधान है। आप देखिए, मैं तो सरकार को आपके पास लेकर आया हूं। सरकार की इन समस्याओं का मेरे नौजवान सॉल्‍यूशन दें, और आप दे रहे हैं। आपके सामर्थ्य को मैं भली भांति समझता हूं। आज की यंग जेनरेशन ज्यादा तेज और स्मार्ट solution के साथ आगे आ रही है।


इस Hackathon के आयोजन के पीछे एक मकसद ये भी है कि सरकार जिन समस्याओं का समाधान चाहती है, उसे यहां देशभर से आए मेरे नौजवान साथी समस्‍या को समझें, समस्‍या के कारणों को समझें और समस्‍या से मुक्ति का रास्‍ता भी ढूढें, युवा इसे solve करें। Students, Government और Private Organisations के बीच collaboration की ऐसी ही स्पिरिट, सबका प्रयास की ये भावना, विकसित भारत के निर्माण के लिए आवश्यक है।


साथियों,


मुझे पूरा विश्वास है कि आप सभी इन बातों को ध्यान में रखेंगे और इनोवेशन के इस दीये को ऐसे ही प्रज्वलित करते रहेंगे। मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि आपके परिश्रम को, आपके प्रयासों को सरकार का निरंतर साथ मिलेगा। सरकार हर कदम पर आपके साथ खड़ी है।


मैं फिर एक बार आप सभी नौजवानों को…वैसे आपके पास इतना सारा कहने को है। आप लोगों ने घंटों अपना दिमाग खपाया है। आपको सुनना, ये भी मेरे लिए अपने-आप में बहुत कुछ सीखने का कारण बनता है। आप में से बहुतों के पास बहुत कुछ है। मैं सबको नहीं सुन पाया। कुछ ही प्रतिनिधित्‍व तौर पर कुछ नौजवानों से बात हुई। जिनसे बात नहीं हुई है, उनका भी काम कम नहीं है, उनका प्रयास कम नहीं है। और मैं आपको विश्‍वास दिलाता हूं, मैं डिपार्टमेंट के द्वारा उसका briefing लूंगा। और आप लोगों ने जो काम किया है, उसको मैं समझने का प्रयास करूंगा। अच्‍छा होता समय ज्‍यादा होता, तो मैं आपसे भी बात करता। लेकिन जिनसे बात नहीं हुई है, उनका काम भी उतना ही महत्‍वपूर्ण है।


मैं फिर एक बार आप सभी नौजवानों को हृदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं। और सरकार के काम में सरकार के साथ खड़े हो करके जनता की भलाई के इस अभियान में हम निरंतर आगे बढ़ते रहें, यही मेरी कामना है, आपको शुभकामना है।


बहुत-बहुत धन्यवाद !


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DS/ST/NS




(Release ID: 1854526)
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Text of PM’s address at the inauguration of 2G Ethanol Plant in Panipat


नमस्‍कार जी,


हरियाणा के राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय जी, केंद्रीय मंत्री परिषद के मेरे सहयोगी नरेंद्र सिंह तोमर जी, हरदीप सिंह पुरी जी, रामेश्वर तेली जी, सांसदगण, विधायकगण, पानीपत में बड़ी संख्या में उपस्थित मेरे प्‍यारे किसान भाई और बहन, इस कार्यक्रम से जुड़े अन्य सभी महानुभाव, देवियों और सज्जनों, आप सभी को विश्व बायोफ्यूल दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं !


आज का कार्यक्रम पानीपत, हरियाणा समेत पूरे देश के किसानों के लिए बहुत अहम है। ये जो पानीपत में आधुनिक इथेनॉल का प्लांट लगा है, जैविक ईंधन प्लांट बना है, वो तो एक शुरुआत मात्र है। इस प्लांट की वजह से दिल्ली-एनसीआर और पूरे हरियाणा में प्रदूषण कम करने में भी मदद मिलेगी। मैं हरियाणा के लोगों को विशेष रूप से किसान बहनों-भाइयों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं। वैसे आज हरियाणा डबल बधाई का हकदार भी है। कॉमनवेल्थ गेम्स में हरियाणा के बेटे-बेटियों ने बहुत शानदार प्रदर्शन करके देश का माथा ऊंचा किया है, देश को बहुत सारे मेडल दिलाए हैं। खेल के मैदान में जो ऊर्जा हरियाणा के खिलाड़ी दिखाते हैं, वैसे ही अब हरियाणा के खेत भी, ऊर्जा पैदा करके दिखाएंगे।


साथियों,


प्रकृति की पूजा करने वाले हमारे देश में बायोफ्यूल या जैविक ईंधन, प्रकृति की रक्षा का ही एक पर्याय है। हमारे किसान भाई-बहन तो इसे और अच्छी तरह समझते हैं। हमारे लिए जैव ईंधन यानि हरियाली लाने वाला ईंधन, पर्यावरण बचाने वाला ईंधन। आप किसान भाई-बहन तो सदियों से इतने जागरूक हैं कि बीज बोने से लेकर फसल उगाने और फिर उसे बाजार में पहुंचाने तक किसी भी चीज को बर्बाद नहीं होने देते। किसान अपने खेत से उगने वाली हर चीज, उसका बखूबी इस्तेमाल करना जानते हैं। जिस खेत में लोगों के लिए अन्न उगता है, उसी से पशुओं के लिए चारा भी आता है। फसल कटाई के बाद खेत में जो पराली बच जाती है, उसका भी हमारे अधिकतर किसान सही उपयोग करना जानते हैं। पराली का इस्तेमाल पशुओं के चारे के लिए होता है, बहुत से गांवों में, मिट्टी के बर्तन पकाने के लिए भी पराली उपयोग में लाई जाती है। लेकिन ये भी सच है कि हरियाणा जैसे क्षेत्रों में जहां धान औऱ गेहूं की पैदावार ज्यादा होती है, वहां पराली का पूरा इस्तेमाल नहीं हो पाता था। अब यहां के किसानों को पराली के उपयोग का एक और साधन मिल रहा है। और ये साधन है  – आधुनिक इथेनॉल प्लांट, जैविक ईंधन प्लांट। पानीपत के जैविक ईंधन प्लांट से पराली का बिना जलाए भी निपटारा हो पाएगा। और इसके एक नहीं, दो नहीं बल्कि कई सारे फायदे एक साथ होने वाले हैं। पहला फायदा तो ये होगा कि पराली जलाने से धरती मां को जो पीड़ा होती थी, जो आग में धरती मां झुलसती थी, उस पीड़ा से धरती मां को मुक्ति मिलेगी। धरती मां को भी अच्छा लगेगा कि पराली का अब सही जगह इस्तेमाल हो रहा है। दूसरा फायदा ये होगा कि पराली काटने से लेकर उसके निस्तारण के लिए जो नई व्यवस्था बन रही है, नई मशीनें आ रही हैं, ट्रांसपोर्टेशन के लिए नई सुविधा बन रही है, जो ये नए जैविक ईंधन प्लांट लग रहे हैं, इन सबसे गांवों में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। ग्रीन जॉब का क्षेत्र मजबूत होगा। तीसरा फायदा होगा कि जो पराली किसानों के लिए बोझ थी, परेशानी का कारण थी, वही उनके लिए, अतिरिक्त आय का माध्यम बनेगी। चौथा फायदा ये होगा कि प्रदूषण कम होगा, पर्यावरण की रक्षा में किसानों का योगदान और बढ़ेगा। और पांचवा लाभ ये होगा कि देश को एक वैकल्पिक ईंधन भी मिलेगा। यानि पहले जो पराली नुकसान का कारण बनती थी, उसी से ये पांच अमृत निकलेंगे। मुझे खुशी है कि देश के अलग-अलग हिस्सों में ऐसे कई जैविक ईंधन प्लांट्स लगाने का काम किया जा रहा है।


साथियों,


जिन लोगों में राजनीतिक स्वार्थ के लिए शॉर्ट-कट अपनाकर, समस्याओं को टाल देने की प्रवृत्ति होती है, वो कभी समस्याओं का स्थाई समाधान नहीं कर सकते। शॉर्ट-कट अपनाने वालों को कुछ समय के लिए वाहवाही भले मिल जाए, राजनीतिक फायदा भले हो जाए, लेकिन समस्या कम नहीं होती। इसलिए ही मैं कहता हूं कि शॉर्ट-कट अपनाने से शॉर्ट-सर्किट अवश्य होता है। शॉर्ट-कट पर चलने के बजाय हमारी सरकार समस्याओं के स्थाई समाधान में जुटी है। पराली की दिक्कतों के बारे में भी बरसों से कितना कुछ कहा गया। लेकिन शॉर्टकट वाले इसका समाधान नहीं दे पाए। हम किसानों की पराली से जुड़ी समस्याओं को समझते हैं, इसलिए उन्हें इससे छुटकारा पाने के आसान विकल्प भी दे रहे हैं।


हमने जो किसान उत्पाद संघ हैं, FPO’s हैं, उन्हें पराली के निस्तारण के लिए आर्थिक मदद दी। इससे जुड़ी आधुनिक मशीनों की खरीद के लिए 80 प्रतिशत तक की सब्सिडी भी दी। अब पानीपत में लगा ये जैविक ईंधन प्लांट भी पराली की समस्या के स्थाई समाधान में मदद करने वाला है।इस आधुनिक प्लांट में धान और गेहूं के भूसे के साथ ही मक्के का बचा हुआ हिस्सा, गन्ने की खोई, सड़ा-गला अनाज, इन सभी का इस्तेमाल इथेनॉल बनाने में किया जाएगा। यानि किसानों की बहुत बड़ी चिंता समाप्त होगी। हमारे अन्नदाता जो मजबूरी में पराली जलाते थे, जिन्हें इस वजह से बदनाम कर दिया गया था, उन्हें भी अब गर्व होगा कि वो इथेनॉल या जैविक ईंधन के उत्पादन में भी मदद कर रहे हैं, राष्ट्र निर्माण में मदद कर रहे हैं। गाय-भैंसों से जो गोबर होता है, खेतों से जो कचरा निकलता है, उसके निपटारे के लिए सरकार ने और एक योजना चलाई है, गोबरधन योजना भी शुरू की है। गोबरधन योजना भी किसानों की आय बढ़ाने का एक और माध्यम बन रही है।


साथियों,


आज़ादी के इतने दशकों तक हम फर्टिलाइज़र हो, केमिकल हो, खाने का तेल हो, कच्चा तेल हो, गैस हो, इनके लिए विदेशों पर बहुत अधिक निर्भर रहे हैं। इसलिए जैसे ही वैश्विक परिस्थितियों की वजह से सप्लाई चेन में अवरोध आता है, भारत भी दिक्‍कतों से बच नहीं सकता। बीते 8 वर्षों से देश इन चुनौतियों के स्थाई समाधान पर भी काम कर रहा है। देश में नए फर्टिलाइजर प्लांट लग रहे हैं, नैनो फर्टिलाइजर का उत्पादन हो रहा है, खाद्य तेल के लिए नए-नए मिशन भी शुरू हुए हैं। आने वाले समय में ये सभी देश को समस्याओं के स्थाई समाधान की तरफ ले जाएंगे।


साथियों,


आजादी के अमृतकाल में देश आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को साकार करने की तरफ तेजी से बढ़ रहा है। हमारे गांव और हमारे किसान आत्मनिर्भरता के सबसे बड़े उदाहरण हैं। किसान अपनी जरूरत की चीजें काफी हद तक अपने गांव में ही जुटा लेते हैं। गांव की सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था ऐसी होती है कि जब एक-दूसरे की जरूरतों को पूरा भी करने के लिए सब साथ आ जाते हैं। यही वजह है कि गांव के लोगों में बचत की प्रवृत्ति भी बहुत मजबूत होती है। उनकी ये प्रवृत्ति देश के पैसे भी बचा रही है। पेट्रोल में इथेनॉल मिलाने से बीते 7-8 साल में देश के करीब-करीब 50 हजार करोड़ बाहर विदेश जाने से बचे हैं। और करीब-करीब इतने ही हजार करोड़ रुपए इथेनॉल ब्लेडिंग की वजह से हमारे देश के किसानों के पास गए हैं। यानि जो पैसे विदेश जाते थे, वो एक तरह से हमारे किसानों को मिले हैं।


साथियों,


21वीं सदी के नए भारत में एक और बहुत बड़ा परिवर्तन हुआ है। आज देश बड़े संकल्प ले रहा है और उन्हें सिद्ध भी करके दिखा रहा है। कुछ साल पहले देश ने तय किया था कि पेट्रोल में 10 प्रतिशत तक इथेनॉल मिलाने का लक्ष्य पूरा करेंगे। हमारे किसान भाई-बहनों की मदद से, देश ने ये लक्ष्य समय से पहले ही हासिल कर लिया। आठ साल पहले हमारे देश में इथेनॉल का उत्पादन सिर्फ 40 करोड़ लीटर के आसपास होता था। आज करीब-करीब 400 करोड़ लीटर इथेनॉल का उत्पादन हो रहा है। इतनी बड़ी मात्रा में इथेनॉल बनाने के लिए कच्चा माल हमारे किसानों के खेतों से ही तो आता है। खासकर गन्ना किसानों को इससे बहुत बड़ा लाभ हुआ है।


देश कैसे बड़े लक्ष्य हासिल कर रहा है, इसका मैं अपने किसान भाई-बहनों को एक और उदाहरण देता हूं। 2014 तक देश में सिर्फ 14 करोड़ के आसपास एलपीजी गैस कनेक्शन थे। देश की आधी आबादी को, माताओं-बहनों को रसोई के धुएं में छोड़ दिया गया था। बहनों-बेटियों के खराब स्वास्थ्य और असुविधा से जो नुकसान होता है, उसकी पहले परवाह ही नहीं की गई। मुझे खुशी है कि आज उज्जवला योजना से ही 9 करोड़ से ज्यादा गैस कनेक्शन गरीब बहनों को दिए जा चुके हैं। अब हम देश में करीब-करीब शत-प्रतिशत एलपीजी कवरेज तक पहुंच चुके हैं। 14 करोड़ से बढ़कर आज देश में करीब 31 करोड़ गैस कनेक्शन हैं। इससे हमारे गरीब परिवार, मध्यम वर्ग के लोगों को बहुत ज्यादा सुविधा हुई है।


साथियों,


देश में CNG नेटवर्क बढ़ाने और पाइप से सस्ती गैस घर-घर पहुंचाने के लिए भी तेज़ी से काम चल रहा है। हमारे देश में 90 के दशक में CNG स्टेशन लगने शुरु हुए थे। 8 साल पहले तक देश में CNG के 800 से भी कम स्टेशन थे। घरों में पाइप से आने वाली गैस के कनेक्शन भी कुछ लाख ही थे। आज देशभर में साढ़े 4 हज़ार से अधिक CNG स्टेशन हैं और पाइप से गैस के कनेक्शन का आंकड़ा 1 करोड़ को छू रहा है। आज जब हम आजादी के 75 वर्ष पूरे कर रहे हैं, तो देश इस लक्ष्य पर भी काम कर रहा है कि अगले कुछ वर्षों में देश के 75 प्रतिशत से ज्यादा घरों में पाइप से गैस पहुंचने लगे।


साथियों,


आज जो सैकड़ों किलोमीटर लंबी गैस पाइप लाइनें हम बिछा रहे हैं, जो आधुनिक प्लांट, जो फैक्ट्रियां, हम लगा रहे हैं, इनका सबसे अधिक लाभ हमारी युवा पीढ़ी को होगा। देश में Green Jobs के निरंतर नए अवसर बनेंगे, रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। आज की समस्याएं हमारी भावी पीढ़ियों को कष्ट नहीं देंगीं। यही सही विकास है, यही विकास की सच्ची प्रतिबद्धता है।


साथियों,


अगर राजनीति में ही स्वार्थ होगा तो कोई भी आकर पेट्रोल-डीजल भी मुफ्त देने की घोषणा कर सकता है। ऐसे कदम हमारे बच्चों से उनका हक छीनेंगे, देश को आत्मनिर्भर बनने से रोकेंगे। ऐसी स्वार्थ भरी नीतियों से देश के ईमानदार टैक्स पेयर का बोझ भी बढ़ता ही जाएगा। अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए ऐसी घोषणाएं करने वाले कभी नई टेक्नॉलॉजी पर निवेश नहीं करेंगे। वो किसान से झूठे वायदे करेंगे, लेकिन किसानों की आय बढ़ाने के लिए इथेनॉल जैसे प्लांट नहीं लगाएंगे। वो बढ़ते प्रदूषण पर हवा-हवाई बातें करते रहेंगे, लेकिन इसको रोकने के लिए जो कुछ करना होगा, उससे दूर भागेंगे।


मेरे प्‍यारे भाइयो, बहनों,


ये नीति नहीं, अनीति है। ये राष्ट्रहित नहीं, ये राष्ट्र अहित है। ये राष्ट्र निर्माण नहीं, राष्ट्र को पीछे धकेलने की कोशिश है। देश के सामने जो चुनौतियां हैं, उनसे निपटने के लिए साफ नीयत चाहिए, निष्ठा चाहिए, नीति चाहिए। इसके लिए परिश्रम की पराकाष्ठा करनी पड़ती है और सरकार को बहुत सारी राशि निवेश करनी पड़ती है। जब सरकारों के पैसा होगा ही नहीं, उसके पास धन ही नहीं होगा तो इथेनॉल प्लांट, बायोगैस प्लांट, बड़े-बड़े सोलर प्लांट, हाइड्रोजन गैस के प्लांट जो आज लग रहे हैं, वो भी बंद हो जाएंगे। हमें ये याद रखना है कि हम भले ही रहें या न रहें, लेकिन ये राष्ट्र तो हमेशा रहेगा, सदियों से रहता आया है, सदियों तक रहने वाला है। इसमें रहने वाली संतानें हमेशा रहेंगी। हमें हमारी भावी संतानों के भविष्‍य को बर्बाद करने का हक नहीं है।


साथियो,


आज़ादी के लिए अपना जीवन बलिदान करने वालों ने भी इसी शाश्वत भावना से काम किया है। अगर वो भी तब अपना सोचते, अपना स्वार्थ देखते तो उनके जीवन में भी कोई कष्ट नहीं आता। वो कठिनाइयों से, गोलियों से, फांसी के फंदे से, यातनाओं से बच जाते, लेकिन उनकी संतानें, यानि हम भारत के लोग, आज आज़ादी का अमृत महोत्सव नहीं मना पाते। अगस्त का ये महीना क्रांति का महीना है। इसलिए एक देश के रूप में हमें ये संकल्प लेना है कि ऐसी हर प्रवृत्ति को बढ़ने नहीं देंगे। ये देश का सामूहिक दायित्व है।


साथियों,


आजादी के इस अमृत महोत्सव में, आज जब देश तिरंगे के रंग में रंगा हुआ है, तब कुछ ऐसा भी हुआ है, जिसकी तरफ मैं देश का ध्यान दिलाना चाहता हूं। हमारे वीर स्वतंत्रता सेनानियों को अपमानित करने का, इस पवित्र अवसर को अपवित्र करने का प्रयास किया गया है। ऐसे लोगों की मानसिकता देश को भी समझना जरूरी है। हम जानते हैं कभी-कभी कोई मरीज अपनी लंबी बीमारी के इलाज से थक जाता है, निराश हो जाता है, अच्छे-अच्‍छे डॉक्‍टरों से सलाह लेने के बावजूद जब उसे लाभ नहीं होता, तो वो कितना ही पढ़ा-लिखा क्‍यों न हो, अंधविश्वास की तरफ बढ़ने लग जाता है। वो झाड़-फूंक कराने लगता है, टोने-टोटके पर, काले जादू पर विश्वास करने लगता है। ऐसे ही हमारे देश में भी कुछ लोग हैं जो नकारात्मकता के भंवर में फंसे हुए हैं, निराशा में डूबे हुए हैं। सरकार के खिलाफ झूठ पर झूठ बोलने के बाद भी जनता जनार्दन ऐसे लोगों पर भरोसा करने को तैयार नहीं हैं। ऐसी हताशा में ये लोग भी अब काले जादू की तरफ मुड़ते नजर आ रहे हैं।


अभी हमने 5 अगस्त को देखा है कि कैसे काले जादू को फैलाने का भरपूर प्रयास किया गया। ये लोग सोचते हैं कि काले कपड़े पहनकर, उनकी निराशा-हताशा का काल समाप्त हो जाएगा। लेकिन उन्हें पता नहीं है कि वो कितनी ही झाड़-फूंक कर लें, कितना ही काला जादू कर लें, अंधविश्वास कर लें, जनता का विश्वास अब उन पर दोबारा कभी नहीं बन पाएगा। और मैं ये भी कहूंगा कि इस काले जादू के फेर में, आजादी के अमृत महोत्सव का अपमान ना करें, तिरंगे का अपमान ना करें।


साथियों,


कुछ राजनीतिक दलों की स्वार्थ नीति से अलग, हमारी सरकार सबका साथ-सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास के मंत्र पर काम करती रहेगी। मुझे पूरा विश्वास है कि विकास के लिए सकारात्मक विश्वास की ऊर्जा इसी तरह पैदा होती रहेगी। एक बार फिर हरियाणा के कोटि-कोटि साथियों को, किसान और पशुपालक बहन-भाइयों को बधाई। कल रक्षा बंधन का पवित्र त्योहार भी है। भाई-बहन के स्नेह के प्रतीक इस पर्व पर, हर भाई अपना कर्तव्य निभाने का संकल्प दोहराता है। कल एक नागरिक के तौर पर भी हमें देश के प्रति अपने कर्तव्य निभाने का संकल्प दोहराना है। इसी कामना के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं। बहुत-बहुत धन्यवाद !


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DS/TS/NS




(Release ID: 1850617)
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Text of PM’s address at Centenary Celebrations of Swami Atmasthananda


All the revered saints, the sadhvi mothers of Sharda Math, special guests and all the devotees present in this programme that is enriched with sattvik consciousness! Greetings to all!


Today the birth centenary of Swami Atmasthanandaji has been organized under the guidance of revered saints. This event is full of different feelings and memories for me personally. It holds a lot of significance. Swamiji had left for his heavenly abode at an age very close to 100 years. I always got his blessings and was fortunate to be close to him. I was also fortunate to be in touch with him till his last moments. Just as love is showered on a child, he continued to shower love on me. His blessings were with me till his last breath. And I feel that Swamiji Maharaj in his spirit form is still showering us with his blessings. I am glad that in order to take his life’s mission to the masses, two commemorative volumes, a pictorial-biography and a documentary, are also being released today. I heartily congratulate the President of Ramakrishna Mission Pujya Swami Smaranananda Ji Maharaj for this work.



Friends,



Swami Atmasthananda ji was initiated by Pujya Swami Vijnananda ji, a disciple of Sri Ramakrishna Paramhansa. That awakened realization of a saint like Swami Ramakrishna Paramhansa and that spiritual energy was clearly visible in him. You all know very well that there is a great tradition of sanyas in our country. There have been many forms of sanyas as well. Vanprastha Ashram is also considered as a step towards Sanyas.



The meaning of sanyas is to rise above oneself, to work for the collective and to live for the collective. It is the expansion of the self to the entirety/community. It is paramount for a sannyasi to see the service of the Lord in the service of the soul i.e. to see Shiva in an individual. Swami Vivekananda ji had moulded this great tradition of sanyas in its modern form. Swami Atmasthananda ji had lived this form of sanyas in his life and had proven it. Under his direction, Belur Math and Sri Ramakrishna Mission carried out amazing relief and rescue operations not only in India but also in countries like Nepal and Bangladesh. He continuously worked for the welfare of the people in rural areas and had set up institutions for the same. Today these institutions are helping the poor in getting employment and earning a livelihood. Swamiji used to consider the service to the poor, the spread of knowledge and the related work as worship to God. So, working in mission mode, setting up new institutions, and strengthening the institutions, were the principles of Ramakrishna Mission for him. Like it is said here, where there is a spirit of divinity, there is a pilgrim centre. Similarly, wherever there are such saints, humanity and the spirit of service remain as the focus. Swamiji had proven this by his sanyasa life.



Friends,



Be it Adi Shankaracharya who lived hundreds of years ago or Swami Vivekananda of modern times, our sant tradition has always been proclaiming ‘Ek Bharat, Shreshtha Bharat’. The establishment of Ramakrishna Mission is associated with the idea of ‘Ek Bharat, Shrestha Bharat’. Swami Vivekananda had lived this resolution in the form of a mission. He was born in Bengal. But if you visit any part of the country, you will hardly find a place not lived or influenced by Vivekananda. His travels had made the country realize its ancient national consciousness in that era of colonialism and had infused a new confidence in it. This tradition of Ramakrishna Mission was carried forward by Swami Atmasthananda ji throughout his life. He had spent his life in different parts of the country and had taken various initiatives. Wherever he lived, he adapted himself completely with that place. He used to speak Gujarati so well while living in Gujarat. And I was fortunate to have spoken with him in Gujarati language even towards the end of his life. I also loved listening to his Gujarati. And today I want to recall an event. During the Kutch earthquake, without wasting any time, he discussed the situation with me and asked about the kind of work and support that the Ramakrishna Mission could provide in Kutch. And at that time, I was not holding any political position. I was working as a party worker. He discussed it in detail. And under his guidance at that time, a lot of work was done to provide relief to the earthquake victims in Kutch. That is why, everyone knows the saints of Ramakrishna Mission as the symbol of national unity in the country. And, when they travel abroad, they represent Indianness there.




Friends,



This awakened tradition of Ramakrishna Mission has manifested through the spiritual practice of a divine figure like Ramakrishna Paramhansa. Swami Ramakrishna Paramhansa, was one such saint who had a clear vision of Goddess Kali and had surrendered his complete self at the feet of Goddess Kali.


He used to say – this whole world, this variable and constant, everything is pervaded by the consciousness of the mother. This very consciousness is visible in the Kali Puja of Bengal. This very consciousness is visible in the devotion of Bengal and the whole of India. A beam of this consciousness and power was illuminated by Swami Ramakrishna Paramahansa in the form of Yugpurushas like Swami Vivekananda. The spiritual vision that Swami Vivekananda felt for Mother Kali, had infused extraordinary energy and power within him. A great personality like Swami Vivekananda used to shiver like a small child in the stream of devotion for Mother Kali. I could see the same sincerity of devotion, and the same power of Shakti Sadhana within Swami Atmasthanandaji. And he would speak of Goddess Kali even during his speeches or talks. And I remember, when I had to visit Belur Math, sitting on the banks of the Ganges and looking at the temple of Maa Kali from a distance, would develop an attachment towards divinity. When devotion is so pure, the goddess herself would show us the path. That is why the infinite blessing of Maa Kali is always with India. Today India is moving ahead with the spirit of global welfare with this spiritual energy.




Friends,



Our sages have shown us that when our thoughts are broad, we are never alone in our endeavours! If you see the life’s journey of many such saints in India, you will see that they have fulfilled humongous resolutions with zero resources. I had seen this same devotion and dedication in the life of Pujya Atmasthanandaji as well. We had a Guru-Shishya relationship in a way. From saints like him, I have learnt to be selfless and to dedicate myself to service completely. That is why I always say that when an Indian, a sage can do so much, then nothing becomes unachievable by the collective resolve of 130 crore countrymen? We can also see this power of resolve in the Swachh Bharat Mission. People did not believe that such a mission could be successful in India. But, the countrymen had taken a pledge, and the world is seeing the results. We also have the example of Digital India before us. At the time of the introduction of digital payments, it was said that this technology is not for a country like India. But today the same India has emerged as a world leader in the field of digital payments. Similarly, the most recent example is that of vaccination against the coronavirus. Two years ago many people would calculate the time to be taken for everyone to get the vaccine in India. Some used to say 5 years, some would say 10 years while some even said 15 years! Today we have reached close to 200 crore vaccine doses within a year and a half. These examples symbolise the fact that when the thoughts are pure, efforts do not take long to accomplish the goals and even the obstacles can lead the way.


I am sure that the country will continue to receive the blessings and inspiration from our saints in this way. In the coming times, we will build the same magnificent India, for which the confidence was instilled in us by Swami Vivekananda, and for which saints like Swami Atmasthananda had strived so hard. And today my visit here to all the revered saints like you, is like visiting my family. In fact, I am talking in this same spirit. You have always considered me as a member of your family. We are currently celebrating the ‘Azadi Ka Amrit Mahotsav’. On this occasion, it is our resolve to build 75 Amrit Sarovars in every district. Wherever you are working, you should also inspire people and join the movement. Your activism can bring a sea change with the noble work of service to humanity during the ‘Azadi Ka Amrit Mahotsav’. You have stood by the people of the society at all times. The Centenary year is the year of new energy and a new inspiration. I hope the ‘Azadi Ka Amrit Mahotsav’ becomes successful in awakening the sense of duty in the country. The collective contribution of all of us can bring about a major reform. With this spirit, once again my salutations to all the saints!




Thanks a lot!




DISCLAIMER: This is the approximate translation of PM’s speech. Original speech was delivered in Hindi.


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DS/IG/AK








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Text of PM’s address at the First “Arun Jaitley Memorial Lecture”


नमस्कार !


आज का दिन मेरे लिए अपूर्णीय क्षति और असहनीय पीड़ा का दिन है। मेरे घनिष्ठ मित्र और जापान के पूर्व प्रधानमंत्री श्री शिंजो आबे अब हमारे बीच नहीं रहे हैं।आबे जी मेरे तो साथी थे ही, वो भारत के भी उतने ही विश्वसनीय दोस्त थे। उनके कार्यकाल में भारत जापान में उनके जो राजनीतिक संबंध थे हमारे उनको नई ऊंचाई तो मिली ही, हमने दोनों देशों की सांझी विरासत से जुड़े रिश्तों को भी खूब आगे बढ़ाया। आज भारत के विकास की जो गति है, जापान के सहयोग से हमारे यहां जो कार्य हो रहे हैं, इनके जरिए शिंजो आबे जी भारत के जन मन में सालों-साल तक बसे रहेंगे। मैं एक बार फिर दुःखी मन से मेरे दोस्त को श्रद्धांजलि देता हूं।


साथियों,


आज का ये आयोजन मेरे और एक घनिष्ठ मित्र अरुण जेटली जी को समर्पित है। बीते दिनों को याद करते हैं, तो उनकी बहुत सारी बातें, उनसे जुड़े बहुत से वाकये स्वाभाविक रूप से याद आते हैं, और यहां बहुत सारे उनके पुराने साथी मैं देख रहा हूं। उनकी oratory हम सब उसके कायल थे और उनके वन लाइनर वो लंबे अरसे तक हवा में गूंजते रहे थे। उनका व्यक्तित्व विविधता से भरा था और उनका स्वभाव सर्वमित्र वाला था। यह जितने भी लोग दिखते हैं, हर एक की अलग अलग दुनिया है लेकिन सब अरुण के मित्र थे। ये अरुण के सर्वमित्र की विशेषता थी और उनके व्यक्तित्व की इस खूबी को सभी आज भी याद करते हैं और हर कोई अरुण की कमी महसूस करता है।


मैं अरुण जेटली जी को अपनी विनम्र श्रद्धांजलि देता हूं।


साथियों,


अरुण जी की स्मृति में इस लेक्चर का जो विषय रखा गया है – Growth through inclusivity, inclusivity through growth, वो सरकार की डवलपमेंट पॉलिसी का मूल मंत्र है। मैं थर्मन जी का विशेषरूप से आभारी हूं कि उन्होंने हमारे निमंत्रण को स्वीकार किया और मैंने कई बार उनको सुना भी है, उनको मैं पढ़ता भी रहता हूं। उनकी बातों में, उनके अध्ययन में, वो सिर्फ भारत में ही बोलते हैं तब नहीं, दुनिया के अन्य देशों में भी जब जाते हैं तो काफी रिसर्च करते हैं, लोकल टच उनकी हर एकेडमिक थिंकिंग में, उनकी फिलोसॉफी मे बहुत सटीक तरीके से वो उसको neat करते हैं, आज भी हम सबने अनुभव किया। बहुत ही अच्छे ढंग से उन्होंने वैश्विक परिस्थिति से लेकर के हमारे देश के बच्चों तक हमें ले आए। मैं उनका बहुत आभारी हूं उन्होंने समय निकाला।


साथियों,


जिस विषय पर यह चर्चा हो रही है, जिस विषय को लेकर के आज अरुण जेटली व्याख्यान का हमारा प्रारंभ हुआ है, अगर मैं इसी को सरल भाषा में कहूं तो एक प्रकार से ये थीम मेरी सीधी साधी भाषा में मैं कहूंगा, सबका साथ-सबका विकास। लेकिन इसके साथ ही, इस लेक्चर की थीम, आज के पॉलिसी मेकर्स के सामने आ रही चुनौतियां और दुविधाओं को भी Capture करती है।


मैं आप सभी से एक प्रश्न पूछना चाहता हूं। क्या बिना Inclusion के सही Growth संभव है? आप अपने आप को पूछिए।क्या बिना Growth के Inclusion के बारे में सोचा भी जा सकता है क्या? Head of the government के तौर पर मुझे 20 साल से भी अधिक समय से काम करने का अवसर मिला है और मेरे अनुभवों का सार यही है कि – बिना inclusion के real growth संभव ही नहीं है। और, बिना Growth के Inclusion का लक्ष्य भी पूरा नहीं किया जा सकता। और इसलिए, हमने Growth through inclusivity का रास्ता अपनाया, सबके समावेश का प्रयास किया। बीते 8 वर्षों में भारत ने Inclusion के लिए, जिस Speed के साथ काम किया है, जिस Scale पर काम किया है, वैसा उदाहरण आपको पूरी दुनिया में कभी भी नहीं मिलेगा। बीते आठ साल में भारत ने 9 करोड़ से ज्यादा महिलाओं को मुफ्त गैस कनेक्शन दिया है। ये संख्या, साउथ अप्रीका, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, न्यूजीलैंड इसकी सारी आबादी को भी जोड़ दें, तो उससे भी ज्यादा होती है। यानी आप स्केल देखिए बीते आठ साल में भारत ने 10 करोड़ से ज्यादा Toilets बनाकर गरीबों को दिए हैं। थर्मन जी ने इसका बड़ा पैशन हो करके उल्लेख किया। ये संख्या साउथ कोरिया की कुल आबादी के दोगुने से भी ज्यादा है। बीते आठ साल में भारत ने 45 करोड़ से ज्यादा जनधन बैंक अकाउंट खोले हैं। ये संख्या भी जापान, जर्मनी, ब्रिटेन, इटली, मैक्सिको इनकी Total Population से भी करीब-करीब उसके बराबर है। बीते आठ साल में भारत ने गरीबों को 3 करोड़ पक्के घर बनाकर दिए हैं। और मुझे याद है एक बार आप ही के मंत्री परिषद के साथी ईश्वरन से मेरी बात हो रही थी, सिंगापुर के मिनिस्टर, जब मैं उनको यह स्केल बताता था, हां उसी का, तो ईश्वरन ने मुझे कहा तो आपको तो हर महीने एक नया सिंगापुर बनाना पड़ेगा।


मैं आपको Growth through inclusivity, inclusivity through growth का एक और उदाहरण देना चाहता हूं। भारत में कुछ साल पहले हमने आयुष्मान भारत योजना शुरू की थी। जिसका उल्लेख थर्मन जी ने किया और आने वाले प्रमुख सेक्टर में उन्होंने हेल्थ सेक्टर की चर्चा भी को है। इस योजना की वजह से 50 करोड़ से ज्यादा गरीबों को अच्छे से अच्छे अस्पताल में और हिंदुस्तान में कहीं भी 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज मिलना सुनिश्चित हुआ है। 50 करोड़ लोगों को 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज। बीते चार साल में आयुष्मान भारत की वजह से देश के साढ़े तीन करोड़ से ज्यादा लोगों ने अपना मुफ्त इलाज कराया है। हमने इस योजना में Inclusion पर फोकस किया, गरीब से गरीब जो हैं, आखिर की पंक्ति में बैठा हुआ है उसको भी आरोग्य के संबंध में अच्छी से अच्छी सुविधा मिले, और समय के साथ हमने देखा है वो पहलू तो इंक्लूजन का है लेकिन समय ने ये बताया है कि इससे ग्रोथक का रास्ता भी बनता चला गया। जो पहले Excluded थे, वो विकास की मुख्यधारा से जुड़े, तो डिमांड भी बढ़ी और Growth के लिए Opportunities का भी विस्तार हुआ। जब भारत की एक तिहाई आबादी, जो पहले बेहतर हेल्थकेयर की सुविधाओं से दूर थी, उसे इलाज की सुविधा मिली, तो इसका सीधा प्रभाव ये हुआ कि healthcare capacity को उसी हिसाब से खुद को मजबूत करना पड़ा। मैं आपको बताता हूं कि आयुष्मान भारत योजना ने कैसे पूरे हेल्थकेयर सेक्टर को Transform कर दिया है। 2014 से पहले हमारे देश का औसत था, एवरेज, 10 साल में करीब 50 मेडिकल कॉलेज बना करते थे। जबकि भारत में पिछले 7-8 साल में पहले के मुकाबले 4 गुना से ज्यादा, यानी करीब करीब 209 नए मेडिकल कॉलेज बनाए गए हैं। अब आप कल्पना कर सकते हैं कि कहां 50 और कहां 209, और आने वाले अभी 10 साल ये जब हिसाब लगाऊंगा तो वो और आगे बढ़ने वाला है, वो 400 तक पहुंचने वाला है। बीते 7-8 साल में भारत में Under Graduate Medical Seats में Seventy Five Percent की बढ़ोतरी हुई है। भारत में अब Annual Total Medical Seats की संख्या बढ़कर लगभग दोगुनी हो चुकी है। यानि अब देश को कहीं ज्यादा डॉक्टर मिल रहे हैं, देश में तेजी से आधुनिक मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण हो रहा है। Inclusiveness के लिए लाई गई एक योजना का जमीन पर ग्रोथ की दृष्टि से भी इतना बड़ा प्रभाव हम बिल्कुल देख सकते हैं। हम उसको आक सकते हैं। और मैं तो आपको ऐसी दर्जनों योजनाएं गिना सकता हूं।


भारत के डिजिटल इंडिया अभियान ने, जिसका उल्लेख अभी थर्मन जी ने किया, लगभग 5 लाख कॉमन सर्विस सेंटर्स ने, गांव में रहने वाले गरीब तक भी इंटरनेट की ताकत को पहुंचाया है। भारत के भीम-UPI ने करोड़ों गरीबों को डिजिटल पेमेंट की सुविधा से जोड़ा है। भारत की स्वनिधि योजना ने रेहड़ी-पटरी वाले साथियों को बैंकिंग व्यवस्था से जुड़ने का अवसर दिया है जो हमारे यहां नगर पालिका में, महानगर पालिका में जो रेहड़ी पटरी वाले होते हैं जिनके साथ हमारा रोज का नाता होता है। बैंक मैनेजर होगा, उसके घर में रोज रेहड़ी पटरी वाला माल देता होगा लेकिन उसको बैंक में जगह नहीं होगी, ये हाल था, आज हमने इसको जोड़ दिया है। उसी प्रकार से भारत ने एक बहुत बड़ा काम किया है, दुनिया उस पर काफी कुछ इन दिनों जो अर्थशास्त्री लोग हैं, वो लिख भी रहे हैं, बड़ी बड़ी एजेंसियां उसका रेटिंग भी कर रहे हैं।


भारत का एक इनिशिएटिव है Aspirational District Programme, देश के 100 से ज्यादा जिलों में रहने वाले करोड़ों साथियों को Uplift कर रहा है। और ये एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक की कल्पना ये है कि हिंदुस्तान के और जिलों की तुलना में जो पीछे रह गए हैं, उनकी आकांक्षाओं को हम एड्रेस करें। उनको उस राज्य की टॉप पोजीशन की बराबरी तक ले आएं और फिर, धीरे धीरे उसको नेशनल टॉप की बराबरी तक ले आएं।


साथियों,


इसका इतना बड़ा पॉजिटिव इंपैक्ट हुआ है, और एक प्रकार से इन 100 डिस्ट्रिक का इंक्लूजन हो रहा है डेवलपमेंट की दुनिया में। भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति और ये बहुत बड़ा पैराडिग्म शिफ्ट है और शिक्षा पर भी थर्मन जी ने काफी बाल दिया अपनी बातचीत में, भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति मातृभाषा में, Mother Tongue में पढ़ाई पर जोर दे रही है। जो अंग्रेजी नहीं जानता है, जो Excluded है, उसे अब मातृभाषा में पढ़कर आगे बढ़ने का मौका मिलेगा। भारत की उड़ान योजना, इसने देश के हमने कई हवाई पट्टियों को जीवंत कर दिया, नए एयरपोर्ट बनाए, दूर दूर टियर 2 टियर 3 सिटी में भी हम चले गए। और उड़ान योजना लाए fix amount में हवाई जहाज में सफर की एक रचना की। भारत की उड़ान योजना ने देश के अलग-अलग कोनों को हवाई मार्ग से जोड़ा है, गरीब को भी हवाई जहाज में उड़ने का हौसला दिया है। और मैं कहता था हवाई चप्पल पहनने वाला भी अब हवाई जहाज में बैठेगा। यानी इंक्लूजन भी हो रहा है, ग्रोथ भी हो रहा है, उसी का परिणाम है। आज भारत में एविएशन सेक्टर का इतना ग्रोथ हो रहा है, एक हजार से ज्यादा नए एयरक्राफ्ट बुक हुए हैं भारत के लिए। इस देश में एक हजार से ज्यादा नए एयरक्राफ्ट खरीदना क्योंकि पैसेंजर वाला इंक्लूजन का जो हमारा अप्रोच रहा, उसी का परिणाम है।


अभी थर्मन जी ने जिसकी बात की जो मैंने गुजरात में जिसको बहुत मुख्यता से काम किया था जल जीवन मिशन, देश के हर घर को Piped Water Supply से जोड़ रहा है। नल से जल और सिर्फ वह पानी मिलता है नहीं, वह उसका समय बचाता है कठिनाइयां बचाता है, हल्दी कंडीशन के लिए Water की बहुत बड़ी भूमिका रहती है। उन सारी दृष्टि से यह मिशन बहुत बड़ा सामाजिक जीवन और जिन्होंने बच्चों के न्यूट्रीशन का विषय किया उसका संबंध पानी से भी है। शुद्ध पानी, पीने का शुद्ध पानी ये भी न्यूट्रीशन के लिए बच्चों के लिए महत्वपूर्ण विषय है और हमारा नल से जल अभियान उस इश्यू को भी एड्रेस करने का एक बड़ा महा अभियान का एक हिस्सा है। सिर्फ तीन साल में ही इस मिशन ने 6 करोड़ से ज्यादा घरों को पानी के कनेक्शन से जोड़ा है। भारत में मोटे तौर पर हिसाब लगाएं तो 25 से 27 करोड़ घर हैं, उसमें से 6 करोड़ घरों को पानी पहुंचा दिया है जी। ये Inclusiveness, आज देश के सामान्य मानवी का जीवन आसान कर रही है, उसे आगे बढ़ने का हौसला दे रही है। और किसी भी देश के विकास में इसका कितना महत्व है, ये आप अर्थ जगत के लोग जो यहां बैठे हैं वो भली-भांति इस बात को जानते हैं।


मैं आपको एक और उदाहरण दूंगा। आप भी जानते हैं और ये तो मैंने देखा है की UN में भी इसकी चर्चा होती है। SDG में भी उसकी डेवलपमेंट गोल के उन मुद्दों पर भी चर्चा होती है और वो क्या है दुनिया में दशकों से अनेक देशों में Property Rights, ये बहुत बड़ा issue बना हुआ है। और जब प्रॉपर्टी राइट्स की बात करते हैं तब समझ के जो आखिरी लोग होते हैं वो सबसे ज्यादा वल्नरेबल होते हैं। उनके पास कोई दस्तावेज नहीं होता है। सबसे ज्यादा मुसीबतें उनको झेलनी पड़ती हैं। लेकिन आपको जानकर के खुशी होगी की भारत ने इस दिशा में जिस तेजी से काम किया है, वो अभूतपूर्व है। और मैं मानता हूं दुनिया के academician, दुनिया के इकोनॉमिस्ट इस विषय को अध्ययन करेंगे और दुनिया के सामने इस विषय को प्रस्तुत करेंगे कि स्वामित्व योजना के माध्यम से देश के ग्रामीण क्षेत्रों में घरों और इमारतों की मैपिंग का काम बड़े पैमाने पर चल रहा है। अभी तक भारत के डेढ़ लाख गांवों में ये काम हम ड्रोन की मदद से करते हैं। ड्रोन से सर्वे होता है और टेक्नोलॉजी का भरपूर प्रयोग होता है और पूरा गांव वहां मौजूद रहता है यह सारी प्रोसेस होती है तब, और डेढ़ लाख से अधिक गांव में ड्रोन से यह सर्वे पूरा किया जा चुका है। और 37 हजार स्कैवेयर किलोमीटर जमीन की मैपिंग का काम हो जा चुका है मतलब उन घरों से जुड़ी हुई जमीन वाला और 80 लाख से ज्यादा लोगों के लिए Property Card बनाए जा चुके हैं और यह भी जो मालिक है उसकी सहमति से होता है। उसके साथ विचार-विमर्श होता है उसके अड़ोस पड़ोस के लोगों के साथ विचार-विमर्श होता है एक लंबी प्रक्रिया है और इसका मतलब यह हुआ कि इससे गांव के लोगों को बैंक लोन मिलना आसान हुआ है, उनकी जमीन अब कानूनी विवादों से भी बच रही है।


साथियों, 


आज का भारत Reforms by compulsion के बजाय Reforms by conviction से आने वाले 25 साल का रोडमैप तैयार कर रहा है। देश आजादी के 100 साल मनाए तब देश कहां होगा इस लक्ष्य को लेकर के हम आज रोड मैप तैयार करके आगे बढ़ रहे हैं। दशकों पहले देश ने ये देखा था कि जब कोई रिफॉर्म मजबूरी में होता है तो उसके institutionalise होने की उम्मीद कम ही रहती है।


जैसे ही मजबूरी खत्म होती है, वैसे ही रिफॉर्म भी भुला दिया जाता है। रिफॉर्म जितने ज़रूरी होते हैं, उतना ही ज़रूरी वो environment होता है, motivation होता है। पहले भारत में बड़े रिफ़ॉर्म्स तभी हुए जब पहले की सरकारों के पास कोई और रास्ता नहीं बचता था। हम reforms को necessary evil के रूप में नहीं बल्कि एक win-win choice के रूप में मानते हैं, जिसमें राष्ट्रहित भी है, जनहित भी है। इसलिए बीते 8 सालों में हमने जो भी रिफ़ॉर्म किए, उन्होंने नए रिफॉर्म्स के लिए रास्ता तैयार किए हैं।


अरुण जी आज जहां भी होंगे, वो संतुष्ट होंगे कि वो जिस मिशन में भागीदार रहे, उसका लाभ आज देश को मिल रहा है। GST हो या IBC, इनको लेकर सालों तक चर्चा हुई, आज इनकी सफलता हमारे सामने है। Companies Act को decriminalize करना हो, corporate taxes को competitive, बनाना हो, space, coal mining और atomic sectors को खोलना हो, ऐसे अनेक रिफॉर्म आज 21वीं सदी के भारत की सच्चाई हैं।


साथियों,


हमारी पॉलिसी मेकिंग pulse of the people पर आधारित है। हम ज्यादा से ज्यादा लोगों को सुनते हैं, उनकी आवश्यकता, उनकी आकांक्षा को समझते हैं। इसलिए हमने Policy को populist impulses के दबाव में नहीं आने दिया। People’s pulse के अनुसार फैसले लेना और populism के सामने हथियार डाल देने में क्या फर्क होता है, ये कोविड काल में हिंदुस्तान ने देखा है, और देखा ही नहीं दुनिया को दिखाया है। बड़े बड़े अर्थशास्त्री क्या कह रहे थे पैंडेमिक के समय, जब pandemic आई तो पूरी दुनिया में बड़े bail out packages के लिए, demand driven recovery के लिए, एक populist impulse था हम पर भी दबाव था और हमारी आलोचना होती थी। ये कुछ कर नहीं रहे हैं, कुछ देख नही रहे हैं, पता नही क्या कुछ हमारे लिए कहा गया। ये भी कहा गया कि लोग ये चाहते हैं, एक्सपर्ट ये चाहते हैं, बड़े बड़े विद्वान ये चाहते हैं। लेकिन भारत दबाव में नहीं आया, उसने एक अलग अप्रोच अपनाई और बहुत समझदारी के साथ शांत मन से अपनाई। हमने people first approach के साथ गरीब को सुरक्षा दी, महिलाओं, किसानों, MSMEs पर ध्यान दिया। हम दुनिया से अलग इसलिए कर पाए क्योंकि हमें People’s pulse यानि जनता क्या चाहती है, उसकी क्या चिंता है, इसका ऐहसास है। इसलिए भारत की रिकवरी और बाकी दुनिया की रिकवरी में जो फर्क है, वो हम साफ देख सकते हैं।


साथियों,


मैं अक्सर Minimum Government और Maximum Governance का आग्रह करता रहा हूं। हमारी सरकार ने ऐसे डेढ़ हजार कानूनों को खत्म कर दिया है, जो लोगों के जीवन में अनावश्यक रूप से दखल दे रहे थे। और मुझे याद है 2013 में जब भारतीय जनता पार्टी ने मुझे पीएम कैंडिडेट बनाया था 2014 में चुनाव होना था यही दिल्ली में ही व्यापार जगत के लोगों ने मुझे कार्यक्रम के लिए बुलाया था और वो बड़े थोड़े गरम मिजाज का वातावरण था। क्या करोगे कितना करोगे फलाना करोगे यह सब पूछ रहे थे यह कानून बनाओगे नहीं कानून बनाओगे, ऐसा बड़ा दबाव था, कैंडिडेट था, चुनाव का दिन था तो हम भी जरा। मैंने कहा देखिए आप कानून बनाना चाहते हैं मैं आपसे एक वादा करता हूं मैं हर दिन एक कानून खत्म करूंगा, नए बनाने की गारंटी नहीं देता हूं, खत्म करूंगा। और पहले 5 साल में डेढ़ हजार कानून खत्म करने का काम कर दिया साथियों जो जनता सामान्य पर बोझ बन गए।


साथियों,


आपको जानकर के खुशी होगी, हमारी सरकार ने 30 हजार से ज्यादा यानी आंकड़ा पर भी आप चौंक जाएंगे जी, 30 हजार से ज्यादा ऐसे Compliances को भी कम कर दिया है, जो Ease of Doing Business और ease of living में बाधा बने हुए थे। 30,000 कंप्लायंसेज खत्म कर देना यानी जनता जनार्दन पर कितना अभूतपूर्व विश्वास का युग आया है उसका नतीजा होता है कि हम कंप्लायंसेज के बोझ से जनता को मुक्त कर रहे हैं। और मैंने लाल किले पर से कहा था कि मैं चाहता हूं सरकार लोगों की जिंदगी से जितनी बाहर चली जाए हमें निकलनी है। लोगों की जिंदगी में से सरकार सरकार सरकार, सरकार का प्रभाव कम से कम हो लेकिन जिसको सरकार की जरूरत है उसको सरकार का अभाव न हो ये दोनों विषयों को लेकर के हमने चलने का प्रयास किया है। आज मुझे आपको ये बताते हुए बहुत संतोष है कि Minimum Government की अप्रोच Maximum Outputs और Outcomes भी दे रही है। हम बहुत तेजी के साथ अपनी Capacity का विस्तार कर रहे हैं और इसके नतीजे आपके सामने हैं। COVID Vaccines का ही उदाहरण लें। हमारे देश के Private Players ने बहुत ही अच्छा काम किया है। लेकिन उनके पीछे Partner in Progress के रूप में सरकार की पूरी ताकत से खड़ी रही थी। Virus Isolation से लेकर Speedy Trial तक, Funding से लेकर Rapid Roll Out तक, जो कंपनियां Vaccine का निर्माण कर रही थीं, उन्हें सरकार का भरपूर सहयोग मिला। एक और उदाहरण हमारे Space Ecosystem का है। आज भारत पूरी दुनिया में सबसे विश्वसनीय और अत्याधुनिक Space Service Providers में से एक है। इस क्षेत्र में भी हमारा Private Sector Ecosystem बहुत ही बेहतरीन काम कर रहा है। लेकिन उनके पीछे भी Partner in Progress के रूप में सरकार की पूरी शक्ति है, जो उन्हें हर सुविधा और जानकारी उपलब्ध कराने में मदद कर रही है। जब हम भारत के Digital Payments Ecosystem का उदाहरण लेते हैं, तो हमारे यहां Fintech के साथ ही Digital Payments से जुड़े कई बड़े players हैं। लेकिन यहां भी देखें तो इनके पीछे Jam Trinity, Rupay, UPI और Supportive Policies का मजबूत आधार है। यहां मैंने केवल कुछ उदाहरण आपके सामने रखे हैं। लेकिन मैं इन्हें दुनिया के लिए एक रिसर्च का विषय मानता हूं, एकेडमिक वर्ल्ड को गहराई के जाने के लिए बाल देता हूं, दुनियाभर के इकोनॉमिस्ट को मैं निमंत्रण करता हूं, आइए इसकी बारीकियों को देखिए। इस विशाल देश अनेक विविध आवश्यकताएं उन सबके बावजूद भी हम किस प्रकार से आगे बढ़ रहे हैं। एक प्रकार से देखें तो अब सिर्फ प्राइवेट सेक्टर या सरकारी वर्चस्व वाले Extreme Models की बातें पुरानी हो चुकी हैं। अब समय है कि सरकार Private sector को Partner in Progress मानकर उन्हें प्रोत्साहित करे और हम इसी दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।


साथियों,


सबको साथ लेकर चलने, देश के पब्लिक और प्राइवेट, दोनों सेक्टर्स पर भरोसा करने की यही स्पिरिट है जिसके कारण आज भारत में growth के लिए अद्भुत उत्साह दिख रहा है। आज हमारा export नए रिकॉर्ड बना रहा है। सर्विस सेक्टर भी तेज़ी से ग्रोथ की तरफ बढ़ रहा है। PLI स्कीम्स का असर मैन्युफेक्चरिंग सेक्टर पर दिखने लगा है। मोबाइल फोन सहित पूरे electronic manufacturing sector में कई गुना वृद्धि हुई है। आपको जानकर के आश्चर्य होगा जब मैं इस कोरोना कालखंड में टॉयज को लेकर मैंने समिट की थी, खिलौनों, तो कई लोगों को ये लगा होगा कि पीएम तो कभी झाड़ू की बात करता है, स्वच्छता की बात करता है, टॉयलेट की बात करता है और अब ये टॉयज की बात कर रहा है। कईयों को क्योंकि अब तक उन बड़ी बड़ी बातों में फंसे रहे हैं तो मेरी बातें उनके गले बैठती नहीं थी। सिर्फ खिलौनों पर मैंने ध्यान दिया खिलौने बनाने वालों पर मैंने ध्यान केंद्रित किया। टेक्नोलॉजी पर ध्यान दिया, इनोवेशन पर ध्यान दिया, फाइनेंशियल सेक्टर की तरफ ध्यान दिया, अभी तो 2 साल पूरे नहीं हुए हैं, मेरे देशवासी गर्व करेंगे के टॉयज का इंपोर्ट इतने कम समय में इतना घट गया, वरना हमारे घर घर में खिलौना विदेशी हुआ करता था। इतना इंपोर्ट कम हुआ है कि, इतना ही नहीं भारत के खिलौने भारत के टॉयज पहले जितना इंपोर्ट होता था उससे ज्यादा आज एक्सपोर्ट होने लग गए हैं। यानी कितना बड़ा पोटेंशियल untapped का, जैसे आपने कहा टूरिज्म, मैं सहमत हूं आपसे, भारत के टूरिज्म की संभावना इतनी अपार है लेकिन हम एक ही जगह पर अटक गए थे हिंदुस्तान के पूर्ण रूप में विश्व के सामने ले जाने का हमने, पता नहीं हमारी मानसिकता ही को चुकी थी और मैं तो विदेश के मेहमान जो भी आते हैं उन्हें हिंदुस्तान के किसी न किसी जगह पर जाने का आग्रह करता हूं, शायद मेरे टूरिज्म को, इस बार हमने योग का कार्यक्रम किया तो 75 आइकॉनिक स्थानों पर किया कि पता चले कि टूरिज्म के ऐसे ऐसे डेस्टिनेशन हैं हमारे यहां। टूरिज्म की संभावनाएं आपने सही फरमाया पूरे विश्व के लिए आकर्षण का बहुत बड़ा केंद्र बन सकता है भारत।


साथियों,


हमारी डिजिटल इकॉनॉमी भी तेज़ी से आगे बढ़ रही है। फिज़िकल और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर पर रिकॉर्ड निवेश हो रहा है। यानि हमारे ग्रोथ इंजन से जुड़ा हर सेक्टर आज पूरी क्षमता से चल रहा है।


साथियों,


आजादी का ये अमृतकाल, भारत के लिए अनगिनत नए अवसर लेकर आ रहा है। हमारा निश्चय पक्का है, हमारा इरादा अटल है। मुझे विश्वास है, हम अपने संकल्पों को सिद्ध करेंगे, 21वीं सदी में उस उंचाई को प्राप्त करेंगे, जिसका भारत हकदार है। और जैसा थर्मन जी कुछ चैलेंज के लिए बता रहे थे मैं मानता हूं चुनौतियां है लेकिन अगर चुनौतियां हैं तो 130 करोड़ सलूशन भी है, यह मेरा विश्वास है और उन विश्वास को लेकर के चुनौतियों को ही चुनौती देकर के आगे बढ़ने का संकल्प लेकर के चल रहे हैं और इसलिए हमने इंक्लूजन का रास्ता लिया है और उसी रास्ते से ग्रोथ को भी पाने का इरादा रखा है। एक बार फिर अरुण जी को याद करते हुए, मैं अपनी वाणी को विराम देता हूं। थर्मन जी को विशेष रूप से बढ़ाई देता हूं। आप सब का भी ह्रदय से बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं।


धन्यवाद !


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DS/TS/AV




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Text of PM’s address at Digital India Week 2022 in Gandhinagar, Gujurat


नमस्ते, गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र भाई पटेल जी, केंद्रीय मंत्री परिषद के मेरे सहयोगी श्री अश्विनी वैष्णव जी, श्री राजीव चंद्रशेखर जी, अलगअलग राज्यों से जुड़े  सभी प्रतिनिधि, डिजिटल इंडिया के सभी लाभार्थी, स्टार्ट अप्स और इंडस्ट्री से जुड़े सभी साथी, एक्सपर्ट्स,  अकदमीशियनस, researchers, देवियों और सज्जनों


आज का ये कार्यक्रम, 21वीं सदी में निरंतर आधुनिक होते भारत की एक झलक लेकर आया है। टेक्नोलॉजी का सही इस्तेमाल पूरी मानवता के लिए कितना क्रांतिकारी है, इसका उदाहरण भारत ने डिजिटल इंडिया अभियान के तौर पर पूरे विश्व के सामने रखा है।


मुझे खुशी है कि आठ वर्ष पहले शुरू हुआ ये अभियान, बदलते हुए समय के साथ खुद को विस्तार देता रहा है। हर साल डिजिटल इंडिया अभियान में नए आयाम जुड़े हैं, नई टेक्नोलॉजी का समावेश हुआ है। आज के इस कार्यक्रम में जो नए प्लेटफॉर्म, नए प्रोग्राम लॉन्च हुए हैं, वो इसी श्रंखला को आगे बढ़ा रहे हैं। अभी आपने छोटेछोटे वीडियो में देखा, myScheme हो, भाषिणीभाषादान हो, Digital India – जेनीसिस हो, Chips to startup program हो, या बाकी सारे प्रॉडक्ट्स, ये सारे Ease of living और Ease of doing business को मजबूती देने वाले हैं। विशेषतौर पर इनका बड़ा लाभ भारत के स्टार्ट अप इकोसिस्टम को होगा।


साथियों,


समय के साथ जो देश आधुनिक टेक्नोलॉजी को नहीं अपनाता, समय उसे पीछे छोड़कर आगे निकल जाता है और वो वहीं का वहीं रह जाता है। तीसरी औद्योगिक क्रांति के समय भारत इसका भुक्तभोगी रहा है। लेकिन आज हम ये गर्व से कह सकते हैं कि भारत चौथी औदयोगिक क्रांति, इंडस्ट्री 4.0, आज भारत गर्व से कह सकता है कि हिन्दुस्तान दुनिया को दिशा दे रहा है। और मुझे इस बात की दोहरी खुशी है कि गुजरात ने इसमें भी एक तरह से पथप्रदर्शक की भूमिका निभाई है।


थोड़ी देर पहले यहां डिजिटल गवर्नेंस को लेकर गुजरात के बीते 2 दशकों के अनुभवों को दिखाया गया है। गुजरात देश का पहला राज्य था जहां Gujarat State Data Centre (GSDC), Gujarat Statewide Area Network (GSWAN), e-Gram centers, और ATVT / Jan Seva Kendra जैसे pillars खड़े किए गए।


सुरत, बारडोली के पास जब सुभाष बाबु कोंग्रेस के अध्यक्ष बने थे, वहां सुभाष बाबु कि याद में कार्यक्रम किया और ई विश्वग्राम का उस समय लोन्चिंग किया था।  


गुजरात के अनुभवों ने 2014 के बाद राष्ट्रीय स्तर पर टेक्नॉलॉजी को गवर्नेंस का व्यापक हिस्सा बनाने में बहुत मदद की है, धन्यवाद गुजरात। यही अनुभव डिजिटल इंडिया मिशन का आधार बने। आज जब हम पीछे मुड़कर देखते हैं तो आपको महसूस होता है कि इन 7-8 सालों में डिजिटल इंडिया ने हमारा जीवन कितना आसान बना दिया है। 21वीं सदी में जिनका जन्म हुआ है, जो हमारी युवा पीढ़ी है, जिसका जन् 21वीं सदी में हुआ है, उनके लिए तो आज डिजिटल लाइफ बहुत Cool लगती है, फैशन स्टेटमेंट लगता है उनको।


लेकिन सिर्फ 8-10 साल पहले की स्थितियों को याद कीजिए। Birth certificate लेने के लिए लाइन, बिल जमा करना है तो लाइन, राशन के लिए लाइन, एडमिशन के लिए लाइन, रिजल्ट और सर्टिफिकेट के लिए लाइन, बैंकों में लाइन, इतनी सारी लाइनों का समाधान भारत ने Online होकर कर दिया। आज जन्म प्रमाण पत्र से लेकर वरिष्ठ नागरिक की पहचान देने वाले जीवन प्रमाण पत्र तक, सरकार की अधिकतर सेवाएं डिजिटल हैं वरना पहले सीनियर सिटिजन को खास करके पेंशनर्स को जा करके कहना पड़ता था कि मैं जिंदा हूं। जिन कामों के लिए कभी कईकई दिन लग जाते थे वो आज कुछ पलों में हो जाते हैं।


साथियों,


आज डिजिटल गवर्नेंस का एक बेहतरीन इंफ्रास्ट्रक्चर भारत में है। जनधनमोबाइल और आधार, GEM, इसकी जो त्रिशक्ति का देश के गरीब और मिडिल क्लास को सबसे अधिक लाभ हुआ है। इससे जो सुविधा मिली है और जो पारदर्शिता आई है, उससे देश के करोड़ों परिवारों का पैसा बच रहा है। 8 साल पहले इंटरनेट डेटा के लिए जितना पैसा खर्च करना पड़ता था, उससे कई गुना कम यानी एक प्रकार से नगण्, उस कीमत में आज उससे भी बेहतर डेटा सुविधा मिल रही है। पहले बिल भरने के लिए, कहीं एप्लीकेशन देने के लिए, रिज़र्वेशन के लिए, बैंक से जुड़े काम हों, ऐसी हर सेवा के लिए दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते थे। रेलवे का आरक्षण करवाना हो और गांव में रहता हो तो बेचारा पूरा दिन खपा करके शहर जाता था, 100-150 रुपया बस का किराया खर्च करताथा, और फिर लाइन में लगता था रेलवे आरक्षण के लिए। आज वो कॉमन सर्विस सेंटर पर जाता है और वहीं से उसको, यह मेरी कॉमर्स सर्विस वाली फ़ौज देखती है। और वहीं से उसका काम हो जाता है, गांव में ही हो जाता है। और गांव वालों को भी पता है कहां ये व्यवस्था है। इसमें भी किराएभाड़े, आनाजाना, दिन लगाना, सभी खर्चों में कटौती आई है। गरीब, मेहनतमज़दूरी करने वालों के लिए तो ये बचत और भी बड़ी है क्योंकि उनका पूरा दिन बच जाता है।


और कभीकभी हम सुनते थे ना Time is money. सुनने और कहने में तो अच्छा लगता है लेकिन जब उसका अनुभव सुनते हैं तो दिल को छू जाता है। मैं अभी काशी गया था, तो काशी में रात कोदिन में तो इधरउधर जाता हूं तो ट्रैफिक और लोगों को परेशानी तो फिर मैं रात को एकडेढ़ बजे रेलवे प्लेटफॉर्म पर चला गया देखने के लिए कि भई कहां क्या हाल है। क्योंकि वहां का एमपी हूं तो काम तो करना है। तो मैं वहां पैसेंजरों से बात कर रहा था, स्टेशन मास्टर से बात कर रहा था। क्योंकि मेरा सरप्राइज विजिट था, किसी को बताकर तो गया नहीं था। तो मैंने कहा भई ये जो वंदे भारत ट्रेन चल रही है क्या अनुभव है और occupancy कैसी लगीअरे बोले साहब इतनी उसकी मांग है कि हमें कम पड़ रही हैं। मैंने कहा वो तो ट्रेन थोड़ी महंगी है, इसकी टिकट ज्यादा लगती है, इसमें लोग क्यों जाते हैं। बोले साहब, इसमें मजदूर लोग सबसे ज्यादा जाते हैं, गरीब लोग सबसे ज्यादा जाते हैं। मैंने कहा कैसे भई! मेरे लिए सरप्राइज था। बोले वो दो कारणों से जाते हैं। एकबोले वंदे भारत ट्रेन में स्पेस इतनी हैकि सामान उठाकर लेकर जाते हैं तो रखने की जगह मिल जाती है। गरीब का अपना एक हिसाब है। और दूसरासमय जाने में चार घंटे बच जाता है तो वहां तुरंत काम पर लगा जाता हूं तो छहआठ घंटे में जो कमाई होती है टिकट तो उससे भी कम में पड़ जाती है। Time is money, कैसे गरीब हिसाब लगाता है, बहुत पढ़ेलिखे लोगों को इसकी समझ कम होती है।


साथियों,   


संजीवनी जैसी टेलिकंसल्टेशन की जो सेवा शुरू हुई है। मोबाइल फोन से बड़ेबड़े अस्पताल, बड़ेबड़े डॉक्टरों के साथ प्राइमरी सारी चीजें पूरी हो जाती हैं। और इसके माध्यम से अब तक 3 करोड़ से अधिक लोगों ने घर बैठे ही अपने मोबाइल से अच्छे से अच्छे अस्पताल में, अच्छे से अच्छे डॉक्टर से कंसल्ट किया है। अगर उनको डॉक्टर के पास जाना पड़ता तो आप कल्पना कर सकते हैं कितनी कठिनाइयां होती, कितना खर्चा होता। ये सारी चीजें डिजिटल इंडिया सेवा के कारण जरूरत नहीं पड़ेंगी।  


साथियों,


सबसे बड़ी बात, जो पारदर्शिता इससे आई है, उसने गरीब और मध्यम वर्ग को अनेक स्तरों पर चलने वाले भ्रष्टाचार से मुक्ति दी है। हमने वो समय देखा है जब बिना घूस दिए कोई भी सुविधा लेना मुश्किल था। डिजिटल इंडिया ने सामान्य परिवार का ये पैसा भी बचाया है। डिजिटल इंडिया, बिचौलियों के नेटवर्क को भी समाप्त कर रहा है।


और मुझे याद है एकबार विधान सभा में चर्चा हुई थी, आज इस चर्चा को याद करुं तो मुझे लगता है कि विधानसभा में ऐसी चर्चा होती थी। कुछ पत्रकार सब ढूंढ लेंगे। विषय ऐसा था की जो विधवा पेन्शन मिलता है तो उस समय मैंने कहा कि एक काम करो भाई, पोस्ट ओफिस में खातें खुलवा दिजिए और वहां उनकी फोटो हो और यह सब व्यवस्था हो और पोस्ट ओफिस में जाकर जो विधवा बहन हो उसे पेन्शन मिल जाए। हंगामा हो गया, तुफान हो गया, मोदी साहब आप क्या लाए हो विधवा बहन घर के बाहर कैसे निकले? वह बेंक या पोस्ट ओफिस में कैसे जाएं, उसे पैसे मिले कैसे, सब अलग अलग प्रकार से भाषण में आप देखों तो मजा आएं ऐसा बोले थे। मैंने तो कहा कि मुझे तो इस रास्ते पर जाना है आप मदद करें तो अच्छा है। ना की मदद लेकिन पर हम तो गए क्योंकि जनताने मदद की है ना? लेकिन ये हंगाम क्यों कर रहे थे साहब, उन्हें विधवा की चिंता नहीं थी, जब मैं पोस्ट ओफिस में फोटो, पहचान ऐसी सब व्यवस्थाएं की तब डिजिटल कि दुनिया तो इतने आगे बढी नही थी। आपको आश्चर्य होगा की अनेक विधवाएं ऐसी मिली कि जो बेटी का जन्म ही नहीं हुआ था और विधवा हो गई थी और पेन्शन जा रहा था। ये किसके खाते में जाता होगा ये आपको समज आया होगा। तो फिर कोलाहल होगा कि नहीं होगा। ऐसे सब बूच बंद कर दें तो तकलीफ तो होगी ही। आज टेकनोलोजी का उपयोग करके डायरेक् बेनिफिट ट्रांसफर के माध्यम से बीते 8 साल में 23 लाख करोड़ रुपए से अधिक सीधे लाभार्थियों के बैंक खाते में भेजे गए हैं। इस टेक्नोलॉजी की वजह से देश के 2 लाख 23 हजार करोड़ रुपए यानी करीबकरीब सवा दो लाख करोड़ रुपये जो किसी और के हाथ में, गलत हाथ में जाते थे, वो बच गए हैं, दोस्तों।


साथियों,


डिजिटल इंडिया अभियान ने जो एक बहुत बड़ा काम किया है, वो है शहर और गांवों को बीच की खाई को कम करना। हमें याद होगा, शहरों में तो फिर भी कुछ सुविधा थी, गांवों के लोगों के लिए तो हालात और भी मुश्किल भरे थे। गांव और शहर की खाई भरेगी, इसकी भी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था। गांव में छोटी सी छोटी सुविधा के लिए भी आपको ब्लॉक, तहसील या जिला हैडक्वार्टर के दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़ते थे। ऐसी सारी मुश्किलों को भी डिजिटल इंडिया अभियान ने आसान बनाया है और सरकार को नागरिक के द्वार पर, उसके गांव, घर और उसकी हथेली में फोन पर लाकर खड़ा कर दिया है।


गांव में सैकड़ों सरकारी सेवाएं डिजिटली देने के लिए पिछले 8 वर्ष में 4 लाख से अधिक नए कॉमन सर्विस सेंटर जोड़े जा चुके हैं। आज गांव के लोग, इन केंद्रों से डिजिटल इंडिया का लाभ ले रहे हैं।


मैं वहां दाहोद आया था तो दाहोद में मेरे आदिवासी भाईओबहनों से मिलना हुआ। वहां एक दिव्यांग कपल था। 30-32 साल कि आयु होगी, उन्होंने मुद्रा योजना में से पैसे लिए, कम्प्युटर का थोडा बहुत सिखे, और पति पत्नीने कोमन सर्विस सेन्टर शुरु किया, दाहोद के आदिवासी जिले के एक छोटे से गांव में। वह भाई और उनके पत्नी मुझे मिले तो उन्होंने मुझे कहा की साहब, एवरेज मेरी प्रति मास 28000 रुपए की आय है, गांव में लोग अब मेरे यहां ही सेवा ले रहे है। डिजिटल ईन्डिया की ताकत देखों भाई


सवा लाख से अधिक कॉमन सर्विस सेंटर ग्रामीण स्टोर, अब e-commerce को भी ग्रामीण भारत तक ले जा रहे हैं।


एक दुसरा अनुभव, व्यवस्थाओँ का किस तरह लाभ लिया जा सकता है। मुझे याद है जब मैं यहां गुजरात में था तो किसानों को बीजली का बिल चूकाने के लिए समस्या होती थी, पैसे लेने के स्थान 800-900 थे। देरी हो तो नियम के अनुसार बीजली का कनेक्शन कट जाता था, कट जाएं तो फिर से नया कनेक्शन लेना पडे तो फिर से पैसे देने पडते थे। हमने भारत सरकार को उस समय बिनती की, अटलजी की सरकार थी, अनुरोध किया कि ये पोस्ट ओफिस में चालु कर दिजिएना, बीजली का बिल हमारे पोस्ट ओफिस वालें लेना शुरु करे ऐसा कर दिजिए, अटलजीने मेरीबात मानी और गुजरात में किसानों को समस्या से मुक्ति मिल गई, व्यवस्थाओं का उपयोग किस तरह किया जा सकता है ऐसा एक प्रयोग मैंने दिल्ही में जाकर किया, आदत जाएगी नहीं, क्योंकी हम लोग अहमदाबादी, सिंगल फेर डबल जर्नी की आदत पडी है, इसलिए रेलवे को खुद का वाईफाई, बहुत स्ट्रोंग नेटवर्क है, तो उस समय हमारे रेलवे के मित्रो को मैंने कहा , ये 2019 के चुनाव से पहले कि बात है। मैंने उनसे कहा कि रेलवे के जो प्लेटफोर्म है उनके उपर वाईफाई मुफ्त कर दिजिए। और आसपास के गांवों के बच्चों को वहां आकर पढना हो तो आएं और उन्हें कनेक्टिविटी मिल जाएं और उन्हें जो पढना लिखना हो करें, आपको आश्चर्य होगा कि मैं एकबार वर्च्युअली कुछ विद्यार्थीओ के साथ बात कर रहा था। बहुत सारे लोग रेलवे प्लेटफोर्म पर मुफ्त वाईफाई कि मदद से कोम्पिटिटिव परीक्षा की तैयारी करते थे और पास होते थे, कोचिंग क्लास में जाना नहीं, खर्च करना नहीं, घर छोडना नहीं, बस हमें बा के हाथ का रोटला मिले और पढने का, रेलवे के प्लेटफोर्म का उपयोग डिजिटल ईन्डिया की ताकत देखें दोस्तो


पीएम स्वामित्व योजना, शायद शहर के लोगों का बहुत कम इस पर ध्यान गया है। पहली बार शहरों की तरह ही गांव के घरों की मैपिंग और डिजिटल लीगल डॉक्यूमेंट ग्रामीणों को देने का काम चल रहा है। ड्रोन गांव के अंदर जा करके हर घर की ऊपर से मैपिंग कर रहा है, मैप बनाता है, वो convince होता है, उसको सर्टिफिकेट मिलता है, अब उसके कोर्टकचहरी के सारे झंझट बंद, ये है डिजिटल इंडिया के कारण। डिजिटल इंडिया अभियान ने देश में बड़ी संख्या में रोज़गार और स्वरोज़गार के अवसर भी बनाए हैं।


साथियों,


डिजिटल इंडिया का एक बहुत ही संवेदनशील पहलू भी है, जिसकी उतनी चर्चा शायद बहुत ज्यादा होती नहीं। डिजिटल इंडिया ने खोए हुए अनेक बच्चों को कैसे अपने परिवार तक वापस पहुंचाया ये जान करके आपके हृदय को छू जाएगा। अभी मैं, और मेरा तो आपसे आग्रह है जो यहां digital का exhibition लगा है आप जरूर देखिए। आप तो देखिए, अपने बच्चों को ले करके दोबारा आइए। कैसे दुनिया बदल रही है, वहां जा करके देखोगे तो पता चलेगा। मुझे वहां अभी एक बिटिया से मिलना हुआ। वो बेटी 6 साल की थी, तो अपने परिवार से बिछुड़ गई थी। रेलवे प्लेटफार्म पर मां का हाथ छूट गया, वो किसी और ट्रेन में बैठ गई।, मातापिता के बारे में बहुत कुछ बता नहीं पा रही थी। उसके परिवार को खोजने की बहुत कोशिश हुई लेकिन किसी को सफलता नहीं मिली। फिर आधार डेटा की मदद से उसके परिवार को खोजने का प्रयास हुआ। उस बच्ची का आधार बायोमीट्रिक लिया तो वो रिजेक्ट हो गया। पता चला कि बच्ची का पहले ही आधार कार्ड बन चुका है। उस आधार डिटेल के आधार पर उस बिटिया का परिवार खोज निकाला गया।


आपको जानकर अच्छा लगेगा कि आज वो बच्ची अपने परिवार के साथ अपनी जिंदगी जी रही है। अपने सपनों को साकार करने के लिए अपने गांव में कोशिश कर रही है। आपको भी ये जान करके अच्छा लगेगा और मेरी जानकारी है ऐसे अनेक सालों से 500 से अधिक बच्चों को इस टेक्नोलॉजी की मदद अपने परिवार से मिलाया जा चुका है।


साथियों,


बीते आठ वर्षों में डिजिटल इंडिया ने देश में जो सामर्थ्य पैदा किया है, उसने कोरोना वैश्विक महामारी से मुकाबला करने में भारत की बहुत मदद की है। आप कल्पना कर सकते हैं कि अगर डिजिटल इंडिया अभियान नहीं होता तो 100 साल आए से सबसे बड़े संकट में देश में हम क्या कर पाते? हमने देश की करोड़ों महिलाओं, किसानों, मज़दूरों, के बैंक अकाउंट में एक क्लिक पर हज़ारों करोड़ रुपए उनको पहुंचा दिए, पहुंचाए। वन नेशनवन राशन कार्ड की मदद से हमने 80 करोड़ से अधिक देशवासियों को मुफ्त राशन सुनिश्चित किया है, ये टेक्नोलॉजी का कमाल है।


हमने दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे efficient covid vaccination और covid relief program चलाया। Arogya setu और Co-win, ये ऐसे प्लेटफॉर्म हैं कि उसके माध्यम से अब तक करीबकरीब 200 करोड़ वैक्सीन डोज़उसका पूरा रिकॉर्ड उपलब् है, कौन रह गया, कहां रह गया, उसकी जानकारी उसके माध्यम से प्राप् होती है, और हम टारगेटेड व्यक्ति को वैक्सीनेशन का काम कर पा रहे हैं। दुनिया मेंमें आज भी चर्चा है कि वैक्सीन सर्टिफिकेट कैसे लेना है, कई दिन निकल जाते हैं। हिन्दुस्तान में वो वैक्सीन लगा करके बाहर निकलता है, उसके मोबाइल साइट पर सर्टिफिकेट मौजूद होता है। दुनिया कोविन के द्वारा  वैक्सीनेशन के डिटेल सर्टिफिकेट की जानकारी की चर्चा कर रही है, हिन्दुस्तान में कुछ लोग उनका कांटा इसी बात पर अटक गया, इस पर मोदी की फोटो क्यों है। इतना बड़ा काम, उनका दिमाग वहीं अटक गया था।  


साथियों,


भारत का Digital fintech solution, और आज U-fintech का है, इसके विषय में भी मैं कहूंगा। कभी पार्लियामेंट के अंदर एक बार चर्चा हुई है उसमें देख लेना। जिसमें देश के भूतपूर्व वित् मंत्रीजी भाषण कर रहे हैं कि उन लोगों के पास मोबाइल फोन नहीं हैं, लोग डिजिटल कैसे करेंगे। पता नहीं क्याक्या वो बोले हैं, आप सुनोगे तो आपको आश्चर्य होगा। बहुत पढ़ेलिखे लोगों   का यही तो हाल होता है जी। Fintech UPI यानि Unified Payment Interface, आज पूरी दुनिया इस पर आकर्षित हो रही है। वर्ल् बैंक समेत सबने ये उत्तम से उत्तम प्लेटफार्म के रूप में उसकी सराहना की है। और मैं आपसे कहूंगा कि यहां प्रदर्शन में पूरा फिनटेक डिविजन है। ये कैसे काम करते हैं उसका वहां देखने को मिलेगा। किस प्रकार से मोबाइल फोन पर पेमेंट होते हैं, कैसे पैसे आते हैं, जाते हैं, सारा वैसे आपको यहां देखने को मिलेगा। और मैं कहता हूं ये फिनटेक का जो प्रयास हुआ है, ये सही मायने में by the people, of the people, for the people  इसका उत्तम से उत्तम समाधान है। इसमें जो टेक्नॉलॉजी है वो भारत की अपनी है, यानि by the people. देशवासियों ने इसे अपने जीवन का हिस्सा बनाया यानि of the people. इसने देशवासियों के लेनदेन को आसान बनाया यानि for the people.


इसी वर्ष मई के महीने में भारत में हर मिनटगर्व करेंगे दोस्तों आप, भारत में हर मिनट में 1 लाख 30 हज़ार से अधिक UPI transactions हुए हैं। हर सेकंड औसतन 2200 ट्रांजेक्शन कंप्लीट हुए हैं। यानि अभी जो मैं आपसे भाषण कर रहा हूं जब तक मैं Unified Payment interface इतने शब् बोलता हूं, इतने समय में UPI से 7000 ट्रांजेक्शन कंप्लीट हो चुके हैंमैं जो दो शब् बोल रहा हूं, उतने समय में। ये काम आज डिजिटल इंडिया के माध्यम से हो रहा है।


और साथियो, आपको गर्व होगा भारत में कोई कहता है अनपढ़ है, ढिकना है, फलाना है, ये है, वो है, वो देश की ताकत देखिए, मेरे देशवासियों की ताकत देखिए, दुनिया के समृद्ध देश, उनके सामने मेरा देश, जो डेवलपिंग कंट्री की दुनिया में है, दुनिया का 40 प्रतिशत डिजिटल लेनदेन हमारे हिन्दुस्तान में होता है, दोस्तों।  


इसमें भी BHIM-UPI आज सरल डिजिटल ट्रांजेक्शन का सशक्त माध्यम बनकर उभरा है। और सबसे बड़ी बात, आज किसी मॉल के भीतर बड़ेबड़े ब्रांड्स बेचने वाले के पास ट्रांजेक्शन की जो टेक्नॉलॉजी है, वही टेक्नॉलॉजी आज उसके सामने रेहड़ीपटरी और ठेला वाले बैठे हुए हैं ना फुटपाथ पर, 700-800 रुपए कमाते हैं, ऐसे मजदूर के पास भी वो ही व्यवस्था है, जो बड़ेबड़े मॉल में अमीरों के पास है। वरना वो दिन भी हमने देखे हैं जब बड़ीबड़ी दुकानों में क्रेडिट और डेबिट कार्ड चलते थे, और रेहड़ीठेले वाला साथी, ग्राहक के लिए छुट्टे पैसे की तलाश में ही रहता था। और अभी तो मैं देख रहा था एक दिन, बिहार का कोई, प्लेटफार्म पर कोई भिक्षा मांग रहा था तो वो डिजिटल पैसे लेता था। अब देखिए अब दोनों के पास समान शक्ति है, डिजिटल इंडिया की ताकत है।


इसलिए आज दुनिया के विकसित देश हों, या फिर वो देश जो इस प्रकार की टेक्नॉलॉजी में इन्वेस्टमेंट नहीं कर सकते, उनके लिए UPI जैसे भारत के डिजिटल प्रोडक्ट आज आकर्षण का केंद्र हैं। हमारे digital solutions में scale भी है, ये secure भी हैं और democratic values भी हैं। हमारा ये जो गिफ्ट सिटी का काम है ना, मेरे शब् लिखकर रखिएगा उसको, और मेरा 2005 या 2006 का भाषण है वो भी सुन लीजिएगा। उस समय जो मैंने कहा था, कि गिफ्ट सिटी में क्याक्या होने वाला है, आज वो धरती पर उतर होता हुआ दिखाई दे रहा है। और आने वाले दिनों में फिनटेक की दुनिया में डेटा सिक्योरिटी के विषय में, फाइनेंस की दुनिया में गिफ्ट सिटी बहुत बड़ी ताकत बन करके उभर रहा है। ये सिर्फ गुजरात नहीं, पूरे हिन्दुस्तान की आनबानशान बन रहा है।


साथियों,


डिजिटिल इंडिया भविष्य में भी भारत की नई अर्थव्यवस्था का ठोस आधार बने, इंडस्ट्री 4.0 में भारत को अग्रणी रखे, इसके लिए भी आज अनेक प्रकार के initiative लिए जा रहे हैं, प्रयास किए जा रहे हैं। आज AI, block-chain, AR-VR, 3D printing, Drones, robotics, green energy ऐसी अनेक New Age industries के लिए 100 से अधिक स्किल डेवलपमेंट के कोर्सेज चलाए जा रहे हैं देशभर में। हमारा प्रयास है कि विभिन्न संस्थाओं के साथ मिलकर, आने वाले 4-5 सालों में 14-15 लाख युवाओं को future skills के लिए reskill और upskill किया जाए, उस दिशा में हमारा प्रयास है।


इंडस्ट्री 4.0 के लिए ज़रूरी स्किल्स तैयार करने के लिए आज स्कूल के स्तर पर भी फोकस है। करीब 10 हज़ार अटल टिंकरिंग लैब्स में आज 75 लाख से अधिक छात्रछात्राएं Innovative Ideas पर काम कर रहे हैं, आधुनिक टेक्नॉलॉजी से रूबरू हो रहे हैं। अभी मैं यहां प्रदर्शनी देखने गया था। मेरे मन को इतना आनंद हुआ कि दूरसुदूर उड़ीसा की बेटी है, कोई त्रिपुरा की बेटी है, कोई उत्तर प्रदेश के किसी गांव की बेटी है, वो अपने प्रॉडक् ले करके आई है। 15 साल, 16 साल, 18 साल की बच्चियां दुनिया की समस्याओं का समाधान ले करके आई हैं। आप जब उन बच्चियों से बात करोगे तो आपको लगेगा ये मेरे देश की ताकत है दोस्तो। अटल टिंकरिंग लैब्स के कारण स्कूल के अंदर ही जो वातावरण बना है उसी का ये नतीजा है कि बच्चे बड़ी बात ले करके, बड़ी समस्याओं के समाधान ले करके आते हैं। वो 17 साल का होगा, मैंने उसको अपना परिचय पूछा, वो कहता है मैं तो ब्रांड एम्बेसेडर हूं। यानी डिजिटल इंडिया के क्षेत्र में हम जो equipment को लेकर काम कर रहे हैं, मैं उसका ब्रांड एमबेसेडर हूं। इतने confidence से वो बात कर रहा था। यानी ये सामर्थ् जब देखते हैं तो विश्वास और मजबूत हो जाता है। ये देश सपने साकार करके रहेगा, संकल् पूरे करके रहेगा।


साथियो,


नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भी टेक्नॉलॉजी के लिए ज़रूरी माइंडसेट तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली है। अटल इंक्यूबेशन सेंटर्स का एक बहुत बड़ा नेटवर्क देश में तैयार किया जा रहा है। इसी प्रकार, पीएम ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान यानि PM-दिशा देश में डिजिटल सशक्तिकरण को प्रोत्साहित करने का एक अभियान चला रहा है। अभी तक इसके 40 हज़ार से अधिक सेंटर देशभर में बन चुके हैं और 5 करोड़ से अधिक लोगों को ट्रेनिंग दी जा चुकी है।


साथियों,


डिजिटल स्किल्स और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के साथसाथ टेक्नॉलॉजी के सेक्टर में युवाओं को ज्यादा से ज्यादा अवसर देने के लिए अनेक विविध दिशाओं में  रिफॉर्म्स किए जा रहे हैं। स्पेस हो, मैपिंग हो, ड्रोन हो, गेमिंग और एनीमेशन हो, ऐसे अनेक सेक्टर जो future digital tech को विस्तार देने वाले हैं, उनको इनोवेशन के लिए खोल दिया गया है। In-space…अब In-space हेडक्वार्टर अहमदाबाद में बना है। In-space और नई ड्रोन पॉलिसी जैसे प्रावधान आने वाले वर्षों में भारत के tech potential को इस दशक में नई ऊर्जा देंगे। मैं जब यहां In-space के हेडक्वार्टर के उद्घाटन के लिए आया था पिछले महीने तो कुछ बच्चों से मेरी बातचीत हुई, स्कूल के बच्चे थे। वे सेटेलाइट छोड़ने की तैयारी कर रहे थे..अंतरिक्ष में सेटेलाइट छोड़ने की तैयारी कर रहे थे। तो मुझे वहां बताया गया कि हम आजादी के अमृत महोत्सव के निमित् स्कूल के बच्चों द्वारा बनाए 75 सेटेलाइट आसमान में छोड़ने वाले हैं, अंतरिक्ष में छोड़ने वाले हैं। ये मेरे देश की स्कूल की शिक्षा में हो रहा है दोस्तो। 


साथियों,


आज भारत, अगले तीनचार साल में इलेक्ट्रॉनिक मैन्यूफैक्चरिंग को 300 बिलियन डॉलर से भी ऊपर ले जाने के लक्ष्य पर काम कर रहा है। भारत Chip Taker से Chip Maker बनना चाहता है। सेमीकंडक्टर्स का उत्पादन बढ़ाने के लिए भारत में तेजी से निवेश बढ़ रहा है। PLI स्कीम से भी इसमें मदद मिल रही है। यानि मेक इन इंडिया की शक्ति और डिजिटल इंडिया की ताकत की डबल डोज, भारत में इंडस्ट्री 4.0 को नई ऊंचाई पर ले जाने वाली है।


आज का भारत उस दिशा की तरफ बढ़ रहा है जिसमें नागरिकों को, योजनाओं के लाभ के लिए, दस्तावेजों के लिए सरकार के पास Physical रूप में आने की जरूरत नहीं होगी। हर घर में पहुंचता इंटरनेट और भारत की क्षेत्रीय भाषाओं की विविधता, भारत के डिजिटल इंडिया अभियान को नई गति देगी। डिजिटल इंडिया अभियान, ऐसे ही नएनए आयाम खुद में जोड़ता चलेगा, Digital space में global leadership को दिशा देगा। और मैं आज समय मेरे पास कम था, मैं हर चीज़ें को नहीं देख पाया। लेकिन शायद दो दिन भी कम पड़ जाएं इतनी सारी चीजें हैं वहां। और मैं गुजरात के लोगों से कहूंगा मौका मत छोडि़ए। आप जरूर अपने स्कूलकॉलेज के बच्चों को वहां ले जाइए। आप भी समय निकाल कर जाइए। एक नया हिन्दुस्तान आपकी आंखों के सामने दिखाई देगा। और सामान् मानवी के जीवन की जरूरतों से जुड़ा हुआ हिन्दुस्तान दिखेगा। एक नया विश्वास पैदा होगा, नए संकल् भरे जाएंगे। और आशाआकांक्षाओं की पूर्ति का विश्वास ले करके डिजिटल इंडिया के माध्यम से भी देश भविष् का भारत, आधुनिक भारत, समृद्ध और सशक् भारत, उस दिशा में आगे बढ़ने की तैयारी की रफ तेज गति से बढ़ रहा है। इतने कम समय में जो प्राप् किया है, भारत के पास टेलेंट है, भारत नौजवानों का सामर्थ् है, उन्हें अवसर चाहिए। और आज देश में एक ऐसी सरकार है जो देश की जनता पर भरोसा करती है, देश के नौजवान पर भरोसा करती है और उसको नए प्रयोग करने के लिए अवसर दे रही है और उसी का परिणाम है कि देश अनेक दिशाओं में अभूतपूर्व ताकत के साथ आगे बढ़ रहा है।


इस डिजिटल इंडिया वीक के लिए मैं आपको बहुत शुभकामनाएं देता हूं। आने वाले दोतीन दिन तो ये शायद प्रदर्शनी चालू रहेगी। उसका लाभ आप लोग लेंगे। फिर से एक बार मैं भारत सरकार के विभाग का भी अभिनंदन करता हूं कि उन्होंने इतने बढ़िया कार्यक्रम की रचना की। मुझे, आज मैं सुबह तो तेलंगाना था, फिर  आंध्र चला गया और फिर यहां आपके बीच आने का मुझे मौका मिला, और अच्छा लगता है। आप सबका उत्साह देखता हूं, उमंग देखता हूं तो और आनंद आता है। इस कार्यक्रम को गुजरात में करने के लिए मैं डिपार्टमेंट को बधाई देता हूं और इतना शानदार कार्यक्रम करने के लिए अभिनंदन करता हूं। और देशभर के नौजवानों के लिए ये प्रेरणा बनकर रहेगा, इसी विश्वास के साथ आप सब को बहुतबहुत शुभकामनाएं।


धन्यवाद !


*****


DS/TS/NS




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