Text of PM’s address at Indian Community Reception in Munich, Germany


नमस्‍कार,


कैसे हैं आप सब?


मुझे बताया गया कि आप में से कई लोग आज बहुत दूर-दूर से लंबा सफर तय करके यहां आए हुए हैं। मैं आप सभी में भारत की संस्‍कृति, एकता और बंधुत्‍व के भाव का दर्शन कर रहा हूं। आपका ये स्‍नेह मैं कभी भूल नहीं सकता। आपके इस प्‍यार के लिए, इस उत्‍साह और उमंग के लिए मुझे पूरा विश्‍वास है, जो लोग हिन्‍दुस्‍तान में इन खबरों को देखते होंगे उनका भी सीना गर्व से भर गया होगा।


साथियो,


आज का दिन एक और वजह से भी जाना जाता है। आज 26 जून है। जो डेमोक्रेसी हमारा गौरव है, जो डेमोक्रेसी हर भारतीय के डीएनए में है। आज से 47 साल पहले इसी समय उस डेमोक्रेसी को बंधक बनाने, डेमोक्रेसी को कुचलने का प्रयास किया गया था। आपातकाल का कालखंड इमरजेंसी भारत के वाइब्रेंट डेमोक्रेटिक इतिहास में एक काले धब्बे की तरह है। लेकिन इस काले धब्बे पर सदियों से चली आ रही लोकतांत्रिक परंपराओं की श्रेष्ठता भी पूरी शक्ति के साथ विजयी हुई, लोकतांत्रि‍क पंरपराएं इन हरकतों के लिए भारी पड़ी है।


भारत के लोगों ने लोकतंत्र को कुचलने की सारी साजिशों का जवाब लोकतांत्रिक तरीके से ही दिया। हम भारतीय कहीं भी रहें अपनी डेमोक्रेसी पर गर्व करते हैं। हर हिन्‍दुस्‍तानी गर्व से कह सकता है कि भारत मदर ऑफ डेमोक्रेसी है। लोकतंत्र का हजारों वर्षों का हमारा इतिहास आज भी भारत के कोने-कोने में जीवंत है। इतनी सारी भाषाएं, इतनी सारी बोलियां, इतने अलग-अलग तरह के रहन-सहन के साथ भारत की डेमोक्रेसी वाइब्रेंट है, हर नागरिक का विश्‍वास है, उसकी आशा है और प्रत्‍येक नागरिक के जीवन को सशक्‍त कर रही है।


भारत ने दिखाया है कि इतने विशाल और इतनी विविधता भरे देश में डेमोक्रेसी कितने बेहतर तरीके से डिलिवर कर रही है। जिस तरह करोड़ों भारतीयों ने मिलकर बड़े-बड़े लक्ष्य हासिल किए हैं, वो अभूतपूर्व है। आज भारत का हर गांव open defecation free है। आज भारत के हर गांव तक बिजली पहुंच चुकी है। आज भारत का लगभग हर गांव सड़क मार्ग से जुड़ चुका है। आज भारत के 99 पर्सेंट से ज्‍यादा लोगों के पास clean cooking के लिए गैस कनेक्‍शन है। आज भारत का हर परिवार बैंकिंग व्‍यवस्‍था से जुड़ा हुआ है। आज भारत के हर गरीब को पांच लाख रुपये मुफ्त इलाज की सुविधा उपलब्‍ध है।


कोरोना के इस समय में भारत पिछले दो साल से 80 करोड़ गरीबों को मुफ्त अनाज सुनिश्चित कर रहा है। इतना ही नहीं, आज भारत में औसतन हर दस दिन में, आज स्‍टार्टअप की दुनिया है ना, हर दस दिन में एक यूनिकॉर्न बन रहा है। आज भारत में हर महीने औसतन 5 हजार पेटेंट फाइल होते हैं। आज भारत ह‍र महीने औसतन 500 से अधिक आधुनिक रेलवे कोच बना रहा है। आज भारत हर महीने औसतन 18 लाख घरों को पाइप वॉटर सप्‍लाई से जोड़ रहा है- नल से जल। भारतीयों के संकल्‍पों की ये सिद्धियों की ये लिस्‍ट बहुत लंबी है। मैं अगर बोलता जाऊंगा तो आपके डिनर का टाइम हो जाएगा।


साथियो,


कोई देश जब समय पर सही फैसले लेकर, सही नीयत से, सभी को साथ लेकर चलता है तो उसका तेजी से विकास होना निश्चित है। आप सभी इस बात से परिचित हैं कि पिछली शताब्‍दी में तीसरी औद्योगिक क्रान्ति का जर्मनी और अन्‍य देशों ने कितना लाभ उठाया। भारत उस समय गुलाम था। और इसलिए वो इस दौड़ में बहुत पीछे रह गया। लेकिन आज 21वीं सदी का भारत चौथी औद्योगिक क्रान्ति में industry 4.0 में पीछे रहने वालों में नहीं बल्कि इस औद्योगिक क्रान्ति का नेतृत्‍व करने वालों में से एक है।


Information technology में, digital technology में भारत अपना परचम लहरा रहा है। दुनिया में हो रहे Real Time Digital Payments में से 40 percent transaction भारत में हो रहे हैं। आज भारत Data consumption में नए रिकॉर्ड बना रहा है। भारत उन देशों में है जहां डेटा सबसे सस्‍ता है। 21वीं सदी के नए भारत में लोग जितनी तेजी से नई टेक्‍नोलॉजी अपना रहे हैं वो किसी को भी हैरान कर सकती है।


कोरोना वैक्‍सीन लगवाने के लिए, वेक्‍सीनेशन सर्टिफिकेट पाने के लिए बनाए गए कोविन पोर्टल पर करीब 110 करोड़ रजिस्‍ट्रेशन हुए हैं। कोरोना संक्रमण की tracking के लिए बनाए गए एक विशेष एप आरोग्‍य सेतु से आज करीब 22 करोड़ भारतीय जुड़े हुए हैं। सरकार द्वारा खरीदारी करने के लिए बनाए गए गवर्मेंट ई-मार्केट प्‍लेस यानी GEM से करीब 50 लाख विक्रेता जुड़े हुए हैं। आज 12 से 15 लाख भारतीय ट्रेन से आने-जाने के लिए हर रोज 12 से 15 लाख टिकट ऑनलाइन बुक करा रहे हैं।


आज भारत में ड्रोन टेक्‍नोलॉजी का जिस तरह इस्‍तेमाल हो रहा है वो अभूतपूर्व है। आप जान करके हैरान रह जाएंगे कि अब देश के अनेक क्षेत्रों में ड्रोन से फर्टिलाइजर का छिड़काव होने लगा है। भारत में सरकार ने एक योजना शुरू की है- स्‍वामित्‍व योजना। इस योजना के तहत देश के लाखों गांवों में जमीन की मैपिंग, घरों की मैपिंग का काम ड्रोन ही कर रहे हैं। इस अभियान के द्वारा करोड़ों नागरिकों को property certificate दिए जा रहे हैं। प्राकृतिक आपदाओं के समय, राहत और बचाव के समय भी ड्रोन टेक्‍नोलॉजी का इस्‍तेमाल भारत में लगातार बढ़ रहा है।


साथियो,


आज का भारत- होता है, चलता है, ऐसे ही चलेगा- उस मानसिकता से बाहर निकल चुका है दोस्‍तों। आज के भारत की पहचान है- करना है, करना ही है और समय पर करना है। इस संकल्‍प के साथ हिन्‍दुस्‍तान चल रहा है। भारत अब तत्‍पर है, तैयार है, अधीर है। भारत अधीर है प्रगति के लिए, विकास के लिए, भारत अधीर है अपने सपनों के लिए, अपने सपनों को संकल्‍प ले करके सिद्धि तक पहुंचाने के लिए अधीर है। भारत आज अपने सामर्थ्‍य में भरोसा करता है, अपने-आप में भरोसा करता है।


इसलिए आज हम पुराने रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं और नए लक्ष्‍य हासिल कर रहे हैं। आप किसी भी क्षेत्र में देखिए, मैं एक उदाहरण देता हूं आपको। भारत ने 2016 में तय किया था कि 2030 तक हमारी कुल बिजली उत्‍पादन क्षमता का 40 प्रतिशत Non fossil fuel से होगा। अभी 2030 से हम आठ साल दूर हैं लेकिन भारत ये लक्ष्‍य हासिल कर चुका है। हमने पेट्रोल में 10 प्रतिशत एथेनॉल ब्‍लैंडिंग का टारगेट रखा था। ये लक्ष्‍य भी देश ने डेड लाइन से पांच महीने पहले ही हासिल कर लिया है।


भारत में कोविड वैक्‍सीनेशन के स्‍पीड और स्‍केल से भी आप भलीभांति प‍रिचित हैं। आज भारत में 90 पर्सेंट adults को वैक्‍सीन की दोनों डोज लग चुकी हैं। 95 पर्सेंट adults ऐसे हैं जो कम से कम एक डोज ले चुके हैं। ये वही भारत है जिसके बारे में कुछ लोग कह रहे थे कि सवा अरब आबादी को वैक्‍सीन लगाने में 10-15 साल लग जाएंगे। आज जब मैं आपसे बात कर रहा हूं तो भारत में वैक्‍सीन डोज का आंकड़ा 196 करोड़ यानी 1.96 बिलियन को पार कर चुका है। मेड इन इंडिया वैक्‍सीन ने भारत के साथ ही दुनिया के करोड़ों लोगों की कोरोना से जान बचाई है।


साथियो,


मुझे याद है कि साल 2015 में जब मैं जर्मनी आया था तो स्‍टार्टअप इंडिया अभियान एक आइडिया के स्‍तर पर था, शब्‍द कान में पड़ते थे। तब स्‍टार्टअप दल में भारत का कोई नामोनिशान नहीं था, कोई जानता ही नहीं था। आज भारत में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्‍टार्टअप इकोसिस्‍टम है। एक समय था जब भारत साधारण से साधारण स्‍मार्टफोन भी बाहर से मंगाता था। आज भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा mobile phone manufacturer है और अब भारत में बने मोबाइल दुनिया भर में जा रहे हैं। सात-आठ साल पहले जब मैं आप जैसे साथियों से चर्चा करता था तो हमारी biotech economy 10 बिलियन डॉलर यानी 75 हजार करोड़ रुपये की हुआ करती थी। आज ये 8 गुना अधिक बढ़कर 80 बिलियन डॉलर यानी 6 लाख करोड़ रुपये को पार कर चुकी है।


साथियो,


मुश्किल से मुश्किल हालातों में भी भारत के लोगों का हौसला ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है। साथियो, पिछले साल हमने अब तक का highest export किया है। ये इस बात का सबूत है कि एक ओर हमारे manufacturers नए अवसरों के लिए तैयार हो चुके हैं, वहीं दुनिया भी हमें उम्‍मीद और विश्‍वास से देख रही है। बीते ही वर्ष भारत ने 111 बिलियन डॉलर्स यानी 8 लाख 30 हजार करोड़ रुपये के इंजीनियरिंग गुड्स का एक्‍सपोर्ट किया है। भारत के कॉटन और हैंडलूम प्रॉडक्‍ट्स के निर्यात में भी 55 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।


भारत में manufacturing को बढ़ाने के लिए सरकार ने करीब 2 लाख करोड़ रुपये की production linked incentive पीएलआई स्‍कीम भी शुरू की है। अगले साल हम अपने एक्‍सपोर्ट टारगेट को और भी बढ़ाना चाहते हैं और आप लोग इसमें काफी मदद भी कर सकते हैं। इसी तरह हमारा एफडीआई इनफ्लो, विदेशी निवेश भी साल-दर-साल नए रिकॉर्ड बना रहा है।


सा‍थियो,


जब किसी देश के नागरिक सबका प्रयास की भावना के साथ, जनभागीदारी की भावना के साथ राष्‍ट्रीय संकल्‍पों को सिद्ध करने में जुट जाते हैं तो उन्‍हें दुनिया की बड़ी-बड़ी शक्तियों का भी साथ मिलने लग जाता है। आज हम देख रहे हैं कि किस तरह दुनिया की बड़ी शक्तियां भारत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना चाहती हैं। अपने देशवासियों की संकल्‍प शक्ति से आज भारत प्रगति के पथ पर निरंतर आगे बढ़ रहा है। हमारे लोगों के संकल्‍पों से, उनकी भागीदारी से भारत के प्रयास आज जन-आंदोलन बन रहे हैं। यही है जो मुझे देश के भविष्‍य के लिए आश्‍वस्‍त करता है, भरोसा देता है।


उदाहरण के तौर पर, दुनिया में ऑर्गेनिक फार्मिंग जैसे शब्‍द चर्चा का‍ विषय बने हुए हैं। लेकिन भारत के किसान खुद आगे आकर इसे जमीन पर उतार रहे हैं। इसी तरह क्‍लाइमेट चेंज, आज ये भारत में केवल सरकारी पॉलिसीज का मुद्दा नहीं है। भारत का युवा ईवी और ऐसी ही दूसरी pro-climate technology में invest कर रहा है। Sustainable climate practices आज भारत के सामान्‍य से सामान्‍य मानवी के जीवन का हिस्‍सा बन रही है।


2014 तक भारत में खुले में शौच एक बड़ी समस्‍या थी लेकिन हमने देश में 10 करोड़ से ज्‍यादा शौचालय बनवाए। आज स्‍वच्‍छता भारत में जीवन-शैली बन रही है। भारत के लोग, भारत के युवा देश को स्वच्‍छ रखना अपना कर्तव्‍य समझ रहे हैं। आज भारत के लोगों को भरोसा कि उनका पैसा ईमानदारी से देश के लिए लग रहा है, भ्रष्‍टाचार की भेंट नहीं चढ़ रहा है। और इसलिए देश में कैश कम्‍पलॉयन्‍स तेजी से बढ़ रही है। ये किसी कानूनी प्रक्रिया के कारण नहीं है बल्कि स्‍वत: स्‍फूर्त जागरण से हो रहा है दोस्‍तों।


सा‍थियो,


हम सभी भारतीय इस साल अपनी आजादी के 75 वर्ष का पर्व मना रहे हैं, अमृत महोत्‍सव मना रहे हैं। आजादी के 75वें वर्ष में भारत अभूतपूर्व inclusiveness और इससे प्रभावित होने वाले करोड़ों aspirations का गवाह बन रहा है। भारत आज अभूतपूर्व संभावनाओं से भरा है। भारत एक मजबूत सरकार के नेतृत्‍व में, एक स्थिर सरकार के नेतृत्‍व में, एक निर्णायक सरकार के नेतृत्‍व में नए सपने भी देख रहा है, नए संकल्‍प भी ले रहा है और संकल्‍पों को सिद्धि में परिवर्तित करने के लिए जी-जान से जुटा हुआ भी है। हमारी पॉलिसी स्‍पष्‍ट है और reforms के लिए भरपूर commitment है। पांच साल बाद हमें कहां पहुंचना है ये भी तय है और आने वाले 25 साल के लिए जब देश आजादी की शताब्‍दी मनाएगा, 25 साल के बाद हमें कहां पहुंचना है, 25 साल के लिए आत्‍मनिर्भरता का रोडमैप भी तैयार है।


सा‍थियो,


वो दिन चले गए ज‍ब दुनिया में कुछ होता था तो हम रोना रोते थे। भारत आज वैश्विक चुनौतियों का रोना रोने वाला देश नहीं है बल्कि भारत आज आगे बढ़कर इन चुनौतियों का समाधान दे रहा है। Coalition for Disaster Resilient Infrastructure (CDRI) के माध्‍यम से हम पूरी दुनिया को आपदाओं से लड़ने में सक्षम बनाना चाहते हैं। आज हम International Solar Alliance के जरिए दुनियाभर के देशों को एक मंच पर ला रहे हैं ताकि सस्‍ती और एनवायरमेंट फ्रेंडली एनर्जी का लाभ दुनिया को दे सकें। One Sun- One World- One Grid का सपना हमने दुनिया के सामने रखा है। इसके लाभ भारत ने बीते आठ वर्षों में खुद अनुभव भी किए हैं। भारत में सोलर पॉवर की रिकॉर्ड कैपिसिटी तो बिल्‍ड हुई ही है ये दो-ढाई रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से उपलब्‍ध है।


ग्रीन हाइड्रोजन को लेकर भी जिस स्‍केल पर भारत काम कर रहा है, जर्मनी जैसे मित्र देशों के साथ साझेदारी कर रहा है तो उसमें भी मानवता का ही हित है। भारत में WHO Center for traditional medicine स्‍थापित होने से भारत दुनिया की प्राचीन चिकित्‍सा पद्धतियों का ग्‍लोबल सेंटर भी बन रहा है।


साथियो,


योग की ताकत क्‍या है ये तो आप भलीभांति जानते हैं। पूरी दुनिया को नाक पकड़वा दिया है।


साथियो,


आने वाली पीढ़ियों के लिए आज का नया भारत नई विरासत बनाने पर काम कर रहा है। नई विरासत बनाने के इस अभियान की सबसे बड़ी ताकत हमारे नौजवान हैं, हमारे youth हैं। भारत के युवाओं को सशक्‍त करने के लिए 21वीं सदी की पहली एजुकेशन पॉलिसी लेकर हम आए हैं। पहली बार भारत में मातृभाषा में डॉक्‍टरी और इंजीनियरिंग की पढ़ाई तक का विकल्‍प दिया गया है।


जर्मनी में रहने वाले आप सब लोग तो जानते हैं कि मातृभाषा में डॉक्‍टरी-इंजीनि‍यरिंग पढ़ने का कितना लाभ होता है। अब यही लाभ भारत के युवाओं को भी मिलेगा। नई एजुकेशन पॉलिसी में हायर एजुकेशन और रिसर्च के लिए ग्‍लोबल पार्टनरशिप पर भी बहुत अधिक फोकस है। इसका जिक्र आज मैं इसलिए भी कर रहा हूं क्‍योंकि इसमें जर्मनी के संस्‍थानों के लिए भी बहुत सारे अवसर बन रहे हैं।


साथियो,


बीते दशकों में आपने मेहनत से, अपने काम से भारत की सशक्‍त छवि यहां बनाई है। आजादी के अमृतकाल में यानी आने वाले 25 साल में आपसे अपेक्षाएं और बढ़ गई हैं। आप इंडिया की success story भी हैं और भारत की सफलताओं के brand ambassador भी हैं। और इसलिए मैं आप सब साथियों को, विश्‍वभर में फैले हुए मेरे भारतीय भाइयों-बहनों को हमेशा कहता हूं कि आप राष्‍ट्रदूत हैं। सरकारी व्‍यवस्‍था में एक-दो राजदूत होते हैं, मेरे तो करोड़ों राष्‍ट्रदूत हैं जो मेरे देश को आगे बढ़ा रहे हैं।


साथियो,


आप सबने जो प्‍यार दिया, जो आशीर्वाद दिए, जो उत्‍साह और उमंग के साथ इतना बड़ा शानदार कार्यक्रम बनाया, आप सबको मिलने का मुझे मौका‍ मिला। इसलिए मैं एक बार फिर आप सभी का बहुत-बहुत आभार व्‍यक्‍त करता हूं। आप सब स्‍वस्‍थ रहिए, खुश-खुशहाल रहिए।


भारत माता की – जय !


भारत माता की – जय !


भारत माता की – जय !


बहुत-बहुत धन्‍यवाद !


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DS/SH/NS/AK




(Release ID: 1837315)
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Hindi







Text of PM’s speech at the inauguration of the Biotech Startup Expo – 2022 at Pragati Maidan, New Delhi


केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सभी सहयोगी, बायोटेक सेक्टर से जुड़े सभी महानुभाव, देशविदेश से आए अतिथिगण, एक्सपर्ट्स, निवेशक, SMEs और स्टार्टअप्स सहित इंडस्ट्री के सभी साथी, देवियों और सज्जनों !


देश की पहली Biotech Start-Up Expo इस आयोजन के लिए, इसमें हिस्सा लेने के लिए और भारत की इस शक्ति का दुनिया को परिचय कराने के लिए मैं आप सबको बहुतबहुत बधाई देता हूं। ये Expo, भारत के बायोटेक सेक्टर की Exponential ग्रोथ का प्रतिबिंब है। बीते 8 साल में भारत की बायोइकोनॉमी 8 गुना बढ़ गई है। 10 अरब डॉलर से 80 अरब डॉलर तक हम पहुंच चुके हैं। भारत, Biotech के Global Ecosystem में Top-10 देशों की लीग में पहुंचने से भी ज्यादा दूर नहीं हैं। नए भारत की इस नई छलांग में Biotechnology Industry Research Assistance Council यानी ‘BIRAC’ की बड़ी भूमिका रही है। बीते वर्षों में भारत में Bio-economy का, रिसर्च और इनोवेशन का जो अभूतपूर्व विस्तार हुआ है, उसमें ‘BIRAC’ का अहम contribution रहा है। मैं आप सभी को ‘BIRAC’ के 10 वर्ष की सफल यात्रा के लिए इस महत्वपूर्ण पड़ाव पर अनेकअनेक बधाई देता हूं। यहां जो exhibition लगी है, उसमें भारत के युवा टैलेंट, भारत के बायोटेक स्टार्टअप्स, इनका सामर्थ्य और बायोटेक सेक्टर के लिए भविष्य का रोडमैप, बहुत बखूबी, सुंदरतापूर्वक वहां प्रस्तुत किया गया है। ऐसे समय में जब भारत, अपनी आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, अगले 25 वर्षों के लिए नए लक्ष्य तय कर रहा है, तब बायोटेक सेक्टर, देश के विकास को नई गति देने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। Exhibition में show-case किए गए Biotech Startups और Biotech Investors और Incubation centers, नए भारत की Aspirations के साथ चल रहे हैं। आज यहां जो थोड़ी देर पहले जो e-portal लॉन्च किया गया है, उसमें हमारे साढ़े सात सौ Biotech Product Listed हैं। ये भारत की Bio-economy के सामर्थ्य और उसके विस्तार को भी और उसकी विविधता को दिखाता है।


साथियों,


इस हॉल में बायोटेक सेक्टर से जुड़ा करीबकरीब हर सेक्टर मौजूद है। हमारे साथ बड़ी संख्या में ऑनलाइन भी बायोटेक प्रोफेशनल्स जुड़े हुए हैं। आने वाले 2 दिनों में आप इस expo में biotech sector के सामने अवसरों और चुनौतियों पर चर्चा करने वाले हैं। बीते दशकों में हमने दुनिया में अपने डॉक्टरों, हेल्थ प्रोफेशनल्स की Reputation को बढ़ते हुए देखा है। दुनिया में हमारे IT professionals की स्किल और इनोवेशन को लेकर Trust का जो माहौल है, वो एक नई ऊंचाई पर पहुंचा है। यही Trust, यही Reputation, इस दशक में भारत के Biotech sector, भारत के बायोप्रोफेशनल्स के लिए होते हुए हम सब देख रहे हैं। ये मेरा आप पर विश्वास है, भारत के बायोटेक सेक्टर पर विश्वास है। ये विश्वास क्यों है, इसकी वजह पर भी मैं विस्तार से बात करना चाहूंगा।


साथियों,


आज अगर भारत को biotech के क्षेत्र में अवसरों की भूमि माना जा रहा है, तो उसके अनेक कारणों में पांच बड़े कारण मैं देखता हूं। पहलाDiverse Population, Diverse Climatic Zones, दूसरा भारत का टैलेंटेड Human Capital Pool, तीसरा भारत में Ease of Doing Business के लिए बढ़ रहे प्रयास चौथा भारत में लगातार बढ़ रही Bio-Products की डिमांड और पांचवाभारत के बायोटेक सेक्टर यानि आपकी सफलताओं का Track Record. ये पांचों Factors मिलकर भारत की शक्ति को कई गुना बढ़ा देते हैं।


साथियों,


बीते 8 साल में सरकार ने देश की इस ताकत को बढ़ाने के लिए निरंतर काम किया है। हमने Holistic और Whole of Government Approach पर बल दिया है। जब मैं कहता हूं, सबका साथसबका विकास, तो ये भारत के अलगअलग सेक्टर्स पर भी लागू होता है। एक समय था जब देश में ये सोच हावी हो गई थी कि कुछ ही सेक्टर्स को मजबूत किया जाता था, बाकी को अपने हाल पर छोड़ दिया जाता था। हमने इस सोच को बदल दिया है, इस अप्रोच को बदल दिया है। आज के नए भारत में हर सेक्टर में उसके विकास से ही देश के विकास को गति मिलेगी। इसलिए हर सेक्टर का साथ, हर सेक्टर का विकास, ये आज देश की जरूरत है। इसलिए, हम हर उस रास्ते को Explore कर रहे हैं जो हमारी Growth को momentum दे सकता है। सोच और अप्रोच में ये जो महत्वपूर्ण बदलाव आया है वो देश को नतीजे भी दे रहा है। हमने अपने मज़बूत सर्विस सेक्टर पर फोकस किया तो, Service Export में 250 बिलियन डॉलर का रिकॉर्ड बनाया। हमने Goods Exports पर फोकस किया तो 420 बिलियन डॉलर के Products के Export का भी रिकॉर्ड बना दिया। इन सबके साथ ही, हमारे प्रयास, अन्य सेक्टर्स के लिए भी उतनी ही गंभीरता से चल रहे हैं। इसलिए ही हम अगर Textiles के सेक्टर में PLI स्कीम को लागू करते हैं, तो Drones, Semi-conductors और High-Efficiency Solar PV Modules इसके लिए भी इस स्कीम को आगे बढ़ाते हैं। बायोटेक सेक्टर के विकास के लिए भी भारत आज जितने कदम उठा रहा है, वो अभूतपूर्व है।


साथियों,


सरकार के प्रयासों का आप हमारे स्टार्टअप इकोसिस्टम में भलीभांति उन बातों को बहुत विस्तार से देख सकते हैं। बीते 8 वर्षों में हमारे देश में स्टार्टअप्स की संख्या, कुछ सौ से बढ़कर 70 हजार तक पहुंच गई है। ये 70 हजार स्टार्टअप्स लगभग 60 अलगअलग इंडस्ट्रीज़ में बने हैं। इसमें भी 5 हज़ार से अधिक स्टार्ट अप्स, बायोटेक से जुड़े हैं। यानि भारत में हर 14वां स्टार्टअप बायोटेक्नॉलॉजी सेक्टर में बन रहा है। इनमें भी 11 सौ से अधिक तो पिछले साल ही जुड़े हैं। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि देश का कितना बड़ा टैलेंट तेजी से बायोटेक सेक्टर की तरफ बढ़ रहा है।


साथियों,


बीते सालों में हमने अटल इनोवेशन मिशन, मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत जो भी कदम उठाए हैं, उनका भी लाभ बायोटेक सेक्टर को मिला है। स्टार्ट अप इंडिया की शुरुआत के बाद हमारे बायोटेक स्टार्ट अप्स में निवेश करने वालों की संख्या में 9 गुना वृद्धि हुई है। बायोटेक Incubators की संख्या और टोटल फंडिंग में भी लगभग 7 गुना बढ़ोतरी हुई है। 2014 में हमारे देश में जहां सिर्फ 6 bio-incubators थे, वही आज इनकी संख्या बढ़कर 75 हो गई है। 8 साल पहले हमारे देश में 10 बायोटेक प्रोडक्ट्स थे। आज इनकी संख्या 700 से अधिक हो गई है। भारत जो अपने फिज़िकल इंफ्रास्ट्रक्चर और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर में अभूतपूर्व Invest कर रहा है, उसका लाभ भी बायोटेक्नॉलॉजी सेक्टर को हो रहा है।


साथियों,


हमारे युवाओं में ये नया जोश, ये नया उत्साह, आने की एक और बड़ी वजह है। ये Positivity इसलिए है, क्योंकि देश में अब Innovation का, R&D का एक आधुनिक Support System  उन्हें उपलब्ध हो रहा है। देश में Policy से लेकर Infrastructure तक, इसके लिए हर ज़रूरी reforms किए जा रहे हैं। सरकार ही सब कुछ जानती है, सरकार ही अकेले सब कुछ करेगी, इस कार्यसंस्कृति को पीछे छोड़कर अब देशसबका प्रयासकी भावना से आगे बढ़ रहा है। इसलिए भारत में आज अनेक नए interface तैयार किए जा रहे हैं, BIRAC जैसे प्लेटफॉर्म्स को सशक्त किया जा रहा है। Start-ups के लिए Startup India अभियान हो, Space sector के लिए IN-SPACe हो, Defence start-ups के लिए iDEX हो, Semi-conductors के लिए Indian Semi-conductor Mission हो, युवाओं में इनोवेशन को प्रोत्साहित करने के लिए Smart India Hackathon हो, ये Biotech Start-Up Expo हो, सबसे प्रयास की भावना को बढ़ाते हुए नए संस्थानों के माध्यम से सरकार इंडस्ट्री के Best Minds को एक साथ, एक प्लेटफॉर्म पर ला रही है। इसका देश को एक और बड़ा फायदा हो रहा है। Research और Academia से देश को नए break throughs मिलते हैं, जो Real World View होता है उसमें Industry सहायता करती है, और सरकार ज़रूरी Policy Environment और ज़रूरी इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराती है।


साथियों,


हमने कोविड के पूरे कालखंड में देखा है कि जब ये तीनों मिलकर काम करते हैं तो कैसे कम समय में अप्रत्याशित परिणाम आते हैं। आवश्यक मेडिकल डिवाइस, मेडिकल इंफ्रा से लेकर वैक्सीन रिसर्च, मैन्युफेक्चरिंग और वैक्सीनेशन तक, भारत ने वो कर दिखाया जिसकी किसी ने कल्पना नहीं की थी। तब देश में भांतिभांति के सवाल उठ रहे थे। टेस्टिंग लैब्स नहीं है तो जांच कैसे होगी? अलगअलग डिपार्टमेंट्स और प्राइवेट सेक्टर के बीच coordination कैसे होगा? भारत को कब वैक्सीन मिलेगी? वैक्सीन मिल भी गई तो इतने बड़े देश में सबको वैक्सीन लगाने में कितने साल लग जाएंगे? ऐसे अनेक सवाल हमारे सामने बारबार आए। लेकिन आज सबका प्रयास की ताकत से भारत ने सारी आशंकाओं का उत्तर दे दिया है। हम लगभग 200 करोड़ वैक्सीन डोज़ देशवासियों को लगा चुके हैं। बायोटेक से लेकर तमाम दूसरे सेक्टर्स का तालमेल, सरकार, इंडस्ट्री और एकेडमिया का तालमेल, भारत को बड़े संकट से बाहर निकाल लाया है।


साथियों,


बायोटेक सेक्टर सबसे अधिक Demand Driven Sectors में से एक है। बीते वर्षों में भारत में Ease of Living के लिए जो अभियान चले हैं, उन्होंने बायोटेक सेक्टर के लिए नई संभावनाएं बना दी हैं। आयुष्मान भारत योजना के तहत गांव और गरीब के लिए जिस प्रकार इलाज को सस्ता और सुलभ किया गया है, उससे हेल्थकेयर सेक्टर की डिमांड बहुत अधिक बढ़ रही है। बायोफार्मा के लिए भी नए अवसर बने हैं। इन अवसरों को हम टेलिमेडिसिन, डिजिटल हेल्थ आईडी और ड्रोन टेक्नॉलॉजी के माध्यम से और व्यापक बना रहे हैं। आने वाले सालों में बायोटेक के लिए देश में बहुत बड़ा कंज्यूमर बेस तैयार होने वाला है।


साथियों,


फार्मा के साथ ही Agriculture और Energy सेक्टर में भारत जो बड़े परिवर्तन ला रहा है, वो भी बायोटेक सेक्टर के लिए नई उम्मीद जगा रही है। कैमिकल फ्री खेती को बढ़ावा देने के लिए भारत में आज Biofertilizers और Organic fertilizers को अभूतपूर्व प्रोत्साहन मिल रहा है। खेती पर Climate Change के असर को कम करने के लिए, कुपोषण को दूर करने के लिए Bio-Fortified Seeds को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। बायोफ्यूल के क्षेत्र में जो डिमांड बढ़ रही है, जो R&D इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार हो रहा है, वो बायोटेक से जुड़े SMEs के लिए, स्टार्ट अप्स के लिए एक बहुत बड़ा अवसर है। हाल में ही हमने पेट्रोल में इथेनॉल की 10 प्रतिशत ब्लेंडिंग का टारगेट हासिल कर लिया। भारत ने पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल ब्लेंडिंग का टारगेट भी 2030 से 5 साल कम करके अब इसे 2025 कर लिया है। ये सारे प्रयास, बायोटेक के क्षेत्र में रोजगार के भी नए अवसर बनाएंगे, बायोटेक प्रोफेशनल्स के लिए नए मौके बनाएंगे। सरकार ने अभी हाल में जो लाभार्थियों के सैचुरेशन, गरीब के शतप्रतिशत सशक्तिकरण का अभियान शुरू किया है, वो भी बायोटेक सेक्टर को नई ताकत दे सकता है। यानि बायोटेक सेक्टर की ग्रोथ के लिए अवसर ही अवसर हैं। भारत की Generic दवाओं, भारत की वैक्सीन्स ने जो Trust दुनिया में बनाया है, जितने बड़े लेवल पर हम काम कर सकते हैं, वो बायेटेक सेक्टर के लिए एक और बड़ा advantage है। मुझे विश्वास है, आने वाले 2 दिनों में आप बायोटेक सेक्टर से जुड़ी हर संभावना पर विस्तार से चर्चा करेंगे। अभी ‘BIRAC’ ने अपने 10 साल पूरे किए हैं। मेरा ये भी आग्रह है कि जब BIRAC अपने 25 साल पूरे करेगा, तो बायोटेक सेक्टर किस ऊंचाई पर होगा, उसके लिए अपने लक्ष्यों और Actionable Points पर अभी से काम करना चाहिए। इस शानदार आयोजन के लिए देश की युवा पीढ़ियों को इस क्षेत्र में आकर्षित करने के लिए और देश के कौशल को दुनिया के सामने पूरे सामर्थ्य के साथ प्रस्तुत करने केलिए मैं आप सबको बहुतबहुत बधाई देता हूं। बहुतबहुत शुभकामनाएं देता हूं !


बहुतबहुत धन्यवाद !


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DS/ST/AV






(Release ID: 1832519)
Visitor Counter : 615











Text of PM’s address at ‘Save Soil’ programme organised by Isha Foundation at Vigyan Bhavan, New Delhi


नमस्‍कार!


आप सभी को, पूरे विश्व को विश्व पर्यावरण दिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। सदगुरू और ईशा फाउंडेशन भी आज बधाई के पात्र हैं। मार्च में उनकी संस्था ने Save Soil अभियान की शुरुआत की थी। 27 देशों से होते हुए उनकी यात्रा आज 75वें दिन यहां पहुंची है। आज जब देश अपनी आजादी के 75वें वर्ष का पर्व मना रहा है, इस अमृतकाल में नए संकल्प ले रहा है, तो इस तरह के जन अभियान बहुत अहम हो जाते हैं।


साथियों,


मुझे संतोष है कि देश में पिछले 8 साल से जो योजनाएं चल रही हैं, जो भी प्रोग्राम चल रहे हैं, सभी में किसी ना किसी रूप से पर्यावरण संरक्षण का आग्रह है। स्वच्छ भारत मिशन हो या Waste to Wealth से जुड़े कार्यक्रम, अमृत मिशन के तहत शहरों में आधुनिक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स का निर्माण हो या फिर सिंगल यूज़ प्लास्टिक से मुक्ति का अभियान, या नमामि गंगे के तहत गंगा स्‍वच्‍छता का अभियान, One Sun-One ग्रिड – सोलर एनर्जी पर फोकस हो या इथेनॉल के उत्पादन और ब्लेंडिंग दोनों में वृद्धि, पर्यावरण रक्षा के भारत के प्रयास बहुआयामी रहे हैं और भारत ये प्रयास तब कर रहा है जब दुनिया में आज जो क्‍लाइमेट के लिए दुनिया परेशान है, उस बरबादी में हम लोगों की भूमिका नहीं है, हिंदुस्‍तान  की भूमिका नहीं है।


विश्व के बड़े और आधुनिक देश ना केवल धरती के ज्यादा से ज्यादा संसाधनों का दोहन कर रहे हैं, बल्कि सबसे ज्यादा कार्बन एमिशन भी उन्हीं के खाते में जाता है। कार्बन एमिशन का ग्लोबल औसत प्रति व्यक्ति 4 टन का है। जबकि भारत में प्रति व्यक्ति कार्बन फुटप्रिंट प्रतिवर्ष आधे टन के आसपास ही है। कहां चार टन और कहां आधे टन। बावजूद इसके, भारत पर्यावरण की दिशा में एक होलिस्टिक अप्रोच के साथ न केवल देश के भीतर, बल्कि वैश्विक समुदाय के साथ भी जुड़ करके काम कर रहा है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत ने Coalition for Disaster Resilient Infrastructure (CDRI) और जैसे अभी सद्गुरू जी ने कहा है, International Solar Alliance, ISA के निर्माण का नेतृत्व किया है। पिछले वर्ष भारत ने ये भी संकल्प लिया है कि भारत वर्ष 2070 तक नेट जीरो का लक्ष्य हासिल करेगा।


साथियों,


मिट्टी या ये भूमि, हमारे लिए पंचतत्वों में से एक है। हम माटी को गर्व के साथ अपने माथे से लगाते हैं। इसी में गिरते हुए, खेलते हुए हम बड़े होते हैं। माटी के सम्मान में कोई कमी नहीं है, माटी की अहमियत को समझने में कोई कमी नहीं है। कमी इस बात को स्वीकारने में है कि मानव जाति जो कर रही है उससे मिट्टी को कितना नुकसान हो रहा है, उसकी समझ का एक गैप रह गया है। और अभी सद्गुरू जी कह रहे थे कि सबको पता है समस्‍या क्‍या है।


हम जब छोटे थे तो सिलेबस में, किताब में पाठयक्रम में हमें एक पाठ पढ़ाया जाता था, गुजराती में मैंने पढ़ा है, बाकियों ने अपनी भाषा में पढ़ा हो शायद…कहीं रास्‍ते पर एक पत्‍थर पड़ा था, लोग जा रहे थे। कोई गुस्‍सा कर रहा था, कोई उस पर लात मार देता था। सब कहते थे कि ये किस ने पत्‍थर रखा, कहां से पत्‍थर आया, ये समझते नहीं, वगैरह-वगैरह। लेकिन कोई उसको उठा करके साइड में नहीं रखता था। एक सज्‍जन निकले, उनको लगा कि चलो भई…सद्गुरू जैसा कोई आ गया होगा।


हमारे यहां युधिष्ठिर और दुर्योधन की भेंट की जब चर्चा होती है तो दुर्योधन के विषय में जब कहा जाता है तो यही कहा जाता है कि – ”जानाम धर्मं न च में प्रवृत्ति।।”


मैं धर्म को जानता हूं, लेकिन मेरी प्रवृत्ति नहीं है, मैं नहीं कर सकता, वो सत्‍य है क्‍या है मुझे मालूम है, लेकिन मैं उस रास्‍ते पर नहीं चल सकता। तो समाज में जब ऐसी प्रवृत्ति बढ़ जाती है तो ऐसा संकट आता है तो सामूहिक अभियान से समस्‍याओं के समाधान के लिए रास्‍ते खोजने होते हैं।


मुझे खुशी है कि बीते आठ वर्षों में देश ने मिट्टी को जीवंत बनाए रखने के लिए निरंतर काम किया है। मिट्टी को बचाने के लिए हमने पांच प्रमुख बातों पर फोकस किया है-


पहला- मिट्टी को केमिकल फ्री कैसे बनाएं। दूसरा- मिट्टी में जो जीव रहते हैं, जिन्हें तकनीकी भाषा में आप लोग Soil Organic Matter कहते हैं, उन्हें कैसे बचाएं। और तीसरा- मिट्टी की नमी को कैसे बनाए रखें, उस तक जल की उपलब्धता कैसे बढ़ाएं। चौथा- भूजल कम होने की वजह से मिट्टी को जो नुकसान हो रहा है, उसे कैसे दूर करें और पांचवा, वनों का दायरा कम होने से मिट्टी का जो लगातार क्षरण हो रहा है, उसे कैसे रोकें।


साथियों,


इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए ही देश में बीते वर्षों में जो सबसे बड़ा बदलाव हुआ है, वो है देश की कृषि नीति में। पहले हमारे देश के किसान के पास इस जानकारी का अभाव था कि उसकी मिट्टी किस प्रकार की है, उसकी मिट्टी में कौन सी कमी है, कितनी कमी है। इस समस्या को दूर करने के लिए देश में किसानों को सॉयल हेल्थ कार्ड देने का बहुत बड़ा अभियान चलाया गया। अगर हम किसी को मनुष्‍य को हेल्‍थ कार्ड दें ना तो भी अखबार में हेडलाइन बन जाएगी कि मोदी सरकार ने कुछ अच्‍छा काम किया है। ये देश ऐसा है जो सॉयल हेल्‍थ कार्ड दे रहा है लेकिन मीडिया की नजर अभी कम है।


पूरे देश में 22 करोड़ से ज्यादा सॉयल हेल्थ कार्ड किसानों को दिए गए। और सिर्फ कार्ड ही नहीं दिए, बल्कि देशभर में सॉयल टेस्टिंग से जुड़ा एक बहुत बड़ा नेटवर्क भी तैयार हुआ है। आज देश के करोड़ों किसान Soil Health Card से मिली जानकारी के आधार पर fertilizers और माइक्रो-न्यूट्रिएंट्स का उपयोग कर रहे हैं। इससे किसानों को लागत में 8 से 10 प्रतिशत की बचत तो हुई है और उपज में भी 5-6 प्रतिशत की बढोतरी देखी गई है। यानि जब मिट्टी स्वस्थ हो रही है, तो उत्पादन भी बढ़ रहा है।


मिट्टी को लाभ पहुंचाने में यूरिया की शत प्रतिशत नीम कोटिंग ने भी बहुत फायदा पहुंचाया है। माइक्रो-इरीगेशन को बढ़ावा देने की वजह से, अटल भू योजना की वजह से देश के अनेक राज्यों में मिट्टी की सेहत भी संभल रही है। कभी-कभी कुछ चीजें आप मान लीजिए कोई डेढ़-दो साल का बच्‍चा बीमार है, तबियत ठीक नहीं हो रही है, वेट नहीं बढ़ रहा है, ऊंचाई में भी कोई फर्क नहीं आता है और मां को कोई कहे कि जरा इसकी चिंता करो और उसको कहीं सुना हो कि भई स्‍वास्‍थ्‍य के लिए दूध वगैरह चीजें अच्‍छी होती हैं और मान लो वो हर दिन 10-10 लीटर दूध में उसको स्‍नान करवा दे तो उसका स्‍वास्‍थ्‍य ठीक होगा क्‍या? लेकिन अगर कोई समझदार मां एक-एक चम्‍मच, थोड़ा-थोड़ा सा दूध उसको पिलाती जाए, दिन में दो बार, पांच बार, सात बार, एक-एक चम्‍मच, तो धीरे-धीरे फर्क नजर आएगा।


ये फसल का भी ऐसा ही है। पूरा पानी भर करके फसल को डुबो देने से फसल अच्‍छी होती है ऐसा नहीं है। बूंद-बूंद पानी पिलाया जाये तो फसल ज्‍यादा अच्‍छी होती है, Per Drop More Crop. अनपढ़ मां भी अपने बच्‍चे को दस लीटर दूध से नहलाती नहीं है, लेकिन पढ़े-लिखे हम लोग पूरा खेत पानी से भर देते हैं। खैर, इन सारी चीजों में बदलाव लाने के लिए कोशिश करते रहना है।


हम Catch the Rain जैसे अभियानों के माध्यम से जल संरक्षण से देश के जन-जन को जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। इस साल मार्च में ही देश में 13 बड़ी नदियों के संरक्षण का अभियान भी शुरू हुआ है। इसमें पानी के प्रदूषण को कम करने के साथ-साथ नदियों के किनारे वन लगाने का भी काम किया जा रहा है। और अनुमान है कि इससे भारत के फॉरेस्ट कवर में 7400 स्कैवेयर किलोमीटर से ज्यादा की बढोत्तरी होगी। बीते आठ वर्षों में भारत ने अपना जो फोरेस्ट कवर 20 हजार स्कवैयर किलोमीटर से ज्यादा बढ़ाया है, उसमें ये और मदद करेगा।


साथियों,


भारत आज Biodiversity और वाइल्डलाइफ से जुड़ी जिन नीतियों पर चल रहा है, उसने वन्य-जीवों की संख्या में भी रिकॉर्ड वृद्धि की है। आज चाहे Tiger हो, Lion हो, Leopard हो या फिर Elephant, सभी की संख्या देश में बढ़ रही है।


साथियों,


देश में ये भी पहली बार हुआ है, जब हमारे गांवों और शहरों को स्वच्छ बनाने, ईंधन में आत्मनिर्भरता, किसानों को अतिरिक्त आय और मिट्टी के स्वास्थ्य के अभियानों को हमने एक साथ जोड़ा है। गोबरधन योजना ऐसा ही एक प्रयास है। और जब मैं गोबरधन बोलता हूं, कुछ सेकुलर लोग सवाल उठाएंगे कि ये कौन सा गोवर्धन ले आया है। वो परेशान हो जाएंगे।


इस गोबरधन योजना के तहत बायोगैस प्लांट्स से गोबर और खेती से निकलने वाले अन्य कचरे को ऊर्जा में बदला जा रहा है। कभी आप लोग काशी-विश्‍वनाथ के दर्शन के लिए जाएं तो वहां एक गोबरधन का भी प्‍लांट कुछ किलोमीटर दूरी पर लगा है, जरूर देखकर आइएगा। इससे जो जैविक खाद बनती है, वो खेतों में काम आ रही है। मिट्टी पर अतिरिक्त दबाव बनाए बिना हम पर्याप्त उत्पादन कर सकें, इसके लिए बीते 7-8 सालों में 1600 से ज्यादा नई वैरायटी के बीज भी किसानों को उपलब्ध कराए गए हैं।


साथियों,


नैचुरल फार्मिंग में भी हमारी आज की चुनौतियों के लिए एक बहुत बड़ा समाधान है। इस साल के बजट में हमने तय किया है कि गंगा के किनारे बसे गांवों में नैचुरल फार्मिंग को प्रोत्साहित करेंगे, नैचुरल फार्मिंग का एक विशाल कॉरिडोर बनाएंगे। हमारे देश में इंडस्ट्रियल कॉरिडोर हमने सुना है, डिफेंस कॉरिडोर हमने सुना है, हमने एक नया कॉरिडोर प्रारंभ किया है गंगा के तट पर, एग्रीकल्‍चर कॉरिडोर का, नेचुरल फार्मिंग का। इससे हमारे खेत तो केमिकल फ्री होंगे ही, नमामि गंगे अभियान को भी नया बल मिलेगा। भारत, वर्ष 2030 तक 26 मिलियन हेक्टेयर बंजर जमीन को Restore करने के लक्ष्य पर भी काम कर रहा है।


साथियों,


पर्यावरण की रक्षा के लिए आज भारत नए innovations, pro-environment technology पर लगातार जोर दे रहा है। आप सभी ये जानते हैं कि प्रदूषण कम करने के लिए हम BS-5 norm पर नहीं आए बल्कि BS-4 से सीधे BS-6 पर हम जंप लगा दिए हैं। हमने जो देशभर में LED बल्ब देने के लिए उजाला योजना चलाई, उसकी वजह से सालाना लगभग 40 मिलियन टन कार्बन एमिशन कम हो रहा है। सिर्फ लट्टू के बदलने से घर में..अगर सब लोग जुड़ जाएं तो, सबका प्रयास कितना बड़ा परिणाम लाता है।


भारत Fossil fuels पर अपनी निर्भरता को भी कम से कम करने का प्रयास कर रहा है। हमारी ऊर्जा जरूरतें, renewable sources से पूरी हों, इसके लिए हम तेजी से बड़े लक्ष्यों पर काम कर रहे हैं। हमने अपनी Installed Power Generation Capacity का 40 परसेंट non-fossil-fuel based sources से हासिल करने का लक्ष्य तय किया था। ये लक्ष्य भारत ने तय समय से 9 साल पहले ही हासिल कर लिया है। आज हमारी Solar Energy Capacity करीब 18 गुना बढ़ चुकी है। हाइड्रोजन मिशन हो या फिर सर्कुलर पॉलिसी का विषय हो, ये पर्यावरण रक्षा की हमारी प्रतिबद्धता का प्रमाण है। हम पुरानी गाड़ियों का स्‍क्रैप पॉलिसी लाए हैं, वो स्‍क्रैप पॉलिसी पर अपने-आप में एक बहुत बड़ा काम होने वाला है।


साथियों,


अपने इन प्रयासों के बीच आज पर्यावरण दिवस के दिन भारत ने एक और उपलब्धि हासिल की है। और ये हमारा सौभाग्‍य है कि खुशखबरी देने के लिए आज मुझे बहुत उचित मंच मिल गया है। भारत की परंपरा रही है कि जो यात्रा करके आता है, उसको छूते हैं तो आधा पुण्‍य आपको मिल जाता है। ये खुशखबरी मैं आज जरूर सुनाऊंगा देश को और दुनिया के लोगों को भी आनंद आएगा…हां कुछ लोग आनंद ही ले सकते हैं। आज भारत ने पेट्रोल में 10 प्रतिशत इथेनॉल ब्लेंडिंग के लक्ष्य को प्राप्त कर लिया है।


आपको ये जानकर भी गर्व की अनुभूति होगी, कि भारत इस लक्ष्य पर तय समय से 5 महीने पहले पहुंच गया है। ये उपलब्धि कितनी बड़ी है, इसका अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि साल 2014 में भारत में सिर्फ डेढ़ प्रतिशत इथेनॉल की पेट्रोल में ब्लेंडिंग होती थी।


इस लक्ष्य पर पहुंचने की वजह से भारत को तीन सीधे फायदे हुए हैं। एक तो इससे करीब 27 लाख टन कार्बन एमिशन कम हुआ है। दूसरा, भारत को 41 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की विदेशी मुद्रा की बचत हुई है। और तीसरा महत्वपूर्ण फायदा ये कि देश के किसानों को इथेनॉल ब्लेंडिंग बढ़ने की वजह से 8 वर्षों में 40 हजार करोड़ रुपए से भी ज्‍यादा आय हुई है। मैं देश के लोगों को, देश के किसानों को, देश की Oil कंपनियों को इस उपलब्धि के लिए बधाई देता हूं।


साथियों,


देश आज जिस पीएम-नेशनल गति शक्ति मास्टर प्लान पर काम कर रहा है, वो भी पर्यावरण रक्षा में अहम भूमिका निभाएगा। गति-शक्ति की वजह से देश में लॉजिस्टिक्स सिस्टम आधुनिक होगा, ट्रांसपोर्ट सिस्टम मजबूत होगा। इससे प्रदूषण कम करने में बहुत मदद मिलेगी। देश में मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी हो, सौ से ज्यादा नए वॉटरवे के लिए काम हो, ये सभी पर्यावरण की रक्षा और Climate Change की चुनौती से निपटने में भारत की मदद करेंगे।


साथियों,


भारत के इन प्रयासों, इन अभियानों का एक और पक्ष है, जिसकी चर्चा बहुत कम होती है, ये पक्ष है Green Jobs. भारत जिस प्रकार पर्यावरण हित में फैसले ले रहा है, उन्हें तेजी से लागू कर रहा है, वो बड़ी संख्या में Green Jobs के अवसर भी बना रहे हैं। ये भी एक अध्ययन का विषय है कि जिसके बारे में सोचा जाना चाहिए।


साथियों,


पर्यावरण की रक्षा के लिए, धरती की रक्षा के लिए, मिट्टी की रक्षा के लिए जनचेतना जितनी ज्यादा बढ़ेगी, उतना ही बेहतर परिणाम मिलेगा। मेरा देश और देश की सभी सरकारों से, सभी स्थानीय निकायों से, सभी स्वयंसेवी संस्थाओं से आग्रह है कि अपने प्रयासों में स्कूल-कॉलेजों को जोड़िए, NSS-NCC को जोड़िए।


आज़ादी के अमृत महोत्सव में जल संरक्षण से जुड़ा एक आग्रह और भी करना चाहता हूं। अगले साल 15 अगस्त तक देश के हर जिले में कम से कम एक जिले में, हर जिले में कम से कम 75 अमृत सरोवर के निर्माण का काम आज देश में चल रहा है। 50 हजार से ज्यादा अमृत सरोवर आने वाली पीढ़ियों के लिए Water Security सुनिश्चित करने में मदद करेंगे। ये अमृत सरोवर, अपने आस-पास मिट्टी में नमी को बढ़ाएंगे, वॉटर लेवल को नीचे जाने से रोकेंगे और इनसे बायोडायवर्सिटी भी Improve होगी। इस विराट संकल्प में आप सभी की भागीदारी कैसे बढ़ेगी, इस पर ज़रूर विचार हम सब एक नागरिक के नाते करें।


साथियों,


पर्यावरण की सुरक्षा और तेज़ विकास, सभी के प्रयासों से, संपूर्णता की अप्रोच से ही संभव है। इसमें हमारी लाइफस्टाइल की क्या भूमिका है, हमें कैसे उसे बदलना है, इसे लेकर मैं आज शाम को एक कार्यक्रम में बात करने वाला हूं, विस्‍तार से कहने वाला हूं, क्‍योंकि वो अंतरराष्‍ट्रीय मंच पर मेरा कार्यक्रम है। Lifestyle for Environment, Mission Life, इस शताब्दी की तस्वीर, इस शताब्दी में धरती का भाग्य बदलने वाले एक मिशन का आरम्भ। ये P-3 यानि Pro-Planet-People movement होगा। आज शाम को Lifestyle for the Environment के Global– Call for Action का लॉन्च हो रहा है। मेरा आग्रह है कि पर्यावरण की रक्षा के लिए सचेत हर व्यक्ति को, इससे जरूर जुड़ना चाहिए। वरना हम AC भी चलाएंगे और रजाई भी ओढेंगे और फिर पर्यावरण के सेमिनार में बढ़िया भाषण भी देंगे।


साथियों,


आप सभी मानवता की बहुत बड़ी सेवा कर रहे हैं। आपको सिद्धि मिले, सद्गुरूजी ने जो लंबी ये, यानी मेहनत वाली यात्रा है, बाइक पर। वैसे उनका बचपन से शौक रहा है, ये लेकिन फिर भी काम बड़ा कठिन होता है। क्‍योंकि मैं जब कभी यात्राओं को आर्गेनाइज करता रहता था और मैं कहता था मेरी पार्टी में कि एक यात्रा को चलाना मतलब पांच-दस साल उम्र कम कर देना, इतनी मेहनत पड़ती है। सद्गुरू जी ने यात्रा की, अपने-आप में बहुत बड़ा काम किया है। और मुझे पक्‍का विश्‍वास है कि दुनिया को मिट्टी के प्रति स्‍नेह तो पैदा हुआ ही होगा, लेकिन भारत की मिट्टी की ताकत का भी परिचय मिला होगा।


आप सबको बहुत-बहुत शुभकामनाएं।


धन्‍यवाद ! 


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DS/ST/NS




(Release ID: 1831292)
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Text of PM’s address at ‘Sahkar Se Samrudhi’ Programme in Gandhinagar, Gujarat


भारत माता की जय, गुजरात के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र भाई पटेल, केंद्रीय मंत्रिमंडल मेरे मेरे सहयोगी अमित भाई शाह,  मनसुख भाई मांडविया,  संसद में मेरे साथी सीआर पाटिल,  गुजरात सरकार में मंत्री जगदीश भाई विश्वकर्मा, सासंदगण, विधायकगण, गुजरात सरकार के सभी मंत्रीगण, सहकारिता आंदोलन से जुड़े सभी वरिष्ठ महानुभाव! इफको premises  में भी एक बड़ा कार्यक्रम इसके साथ parallel चल रहा है। यहां उपस्थित इफको के चेयरमैन दिलीप भाई, इफको के सभी साथी, देशभर में लाखों स्थानों पर आज सारे किसान गुजरात के गांधीनगर के महात्मा मंदिर से जुड़े हुए हैं। मैं उन सभी किसानों को भी नमस्कार करता हूं। आज यहां हम सहकार से समृद्धि की चर्चा कर रहे हैं। सहकार गांव के स्वावलंबन का भी बहुत बड़ा माध्यम है, और उसमें आत्मनिर्भर भारत की ऊर्जा है। आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए गांव का आत्मनिर्भर होना बहुत आवश्यक है। और इसलिए तो पूज्य बावू और सरदार साहब ने जो रास्ता हमें दिखाया उसके अनुसार आज हम model cooperative village उस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। गुजरात के ऐसे 6 गांव चिन्हित भी किए गए हैं, जहां पूरी तरह से cooperative व्यवस्थाएं लागू की जाएंगी। 




साथियों,


आज आत्मनिर्भर कृषि के लिए देश के पहले नैनो यूरिया प्लांट का लोकार्पण करते हुए भी मैं सच्चे हृदय से बताता हूं  कि मैं एक विशेष आनंद की अनुभूति करता हूं।  जरा कल्पना कीजिए आज जब किसान यूरिया लेने जाता है। उस दृश्य को जरा मन में लाइये और होने वाला क्या है उसका मैं वर्णन कर सकता हूं उसको जरा मन को लाइये। अब यूरिया की एक बोरी उसकी जितनी ताकत है। यानि यूरिया की बोरी की ताकत एक बॉटल में समा गई है। यानि नैनो यूरिया की आधा लीटर बोतल किसान की एक बोरी यूरिया की जरूरत को पूरा करेगी। कितना खर्चा कम हो जाएगा Transportation का, बाकी सब चीजों का। और कल्पना कीजिए, छोटे किसानों के लिए ये कितना बड़ा संबल है।




साथियों,


ये जो आधुनिक प्लांट कलोल में लगा है इसकी कैपेसिटी अभी डेढ़ लाख बोतल के उत्पादन की है। लेकिन आने वाले समय में ऐसे 8 और प्लांट देश में लगने वाले हैं। इससे यूरिया पर विदेशी निर्भरता कम होगी, देश का पैसा भी बचेगा। मुझे उम्मीद है ये इनोवेशन सिर्फ नैनो यूरिया तक ही सीमित नहीं रहेगा। मुझे विश्वास है कि भविष्य में अन्य नैनो फर्टिलाइजर भी हमारे किसानों को मिल सकते हैं। हमारे वैज्ञानिक उस पर आज काम कर भी रहे हैं। 




साथियों,


फर्टिलाइज़र में इस नैनो टेक्नॉलॉजी में आत्मनिर्भरता की तरफ जो कदम हमने रखा है, वो कितना महत्वपूर्ण है, ये मैं चाहुंगा हर देशवासी ने समझना चाहिए। भारत में फर्टिलाइज़र के मामले में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कंज्यूमर है लेकिन उत्पादन के मामले में हम तीसरे नंबर पर है। ऊपर से 7-8 साल पहले तक हमारे यहां ज्यादातर यूरिया खेत में जाने के बजाय कालाबाज़ारी का शिकार हो जाता था और किसान अपनी ज़रूरत के लिए लाठियां खाने को मजबूर हो जाता था। हमारे यहां जो बड़ी यूरिया की फैक्ट्रियां थीं, वो भी नई टेक्नॉलॉजी के अभाव में बंद हो गई थीं और इसलिए 2014 में सरकार बनने के बाद हमने यूरिया की शत-प्रतिशत नीम कोटिंग का बीड़ा उठाया, उसको किया। इससे देश के किसानों को पर्याप्त यूरिया मिलना सुनिश्चत हुआ। साथ ही हमने  उत्तर प्रदेश, बिहार,झारखंड, ओडिशा और तेलंगाना वहां जो 5 बंद पड़े खाद के कारखानें थे, उन बंद पड़े हुए खाद के कारखानों को फिर चालू करने का काम शुरु किया। और उसमे यूपी और तेलंगाना की फैक्ट्रियां चालू हो चुकी हैं, उत्पादन हो रहा है। और बाकी चीज भी बहुत ही जल्द अपना काम करना शुरू कर देंगी।




साथियों, 


फर्टिलाइजर की अपनी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए भारत दशकों से बहुत बड़ी मात्रा में विदेशों पर dependent है,  हम इंपोर्ट करते हैं, आयात करते हैं। हम अपनी ज़रूरत का लगभग एक चौथाई इंपोर्ट करते हैं, लेकिन पोटाश और फॉस्फेट के मामले में तो हमें करीब-करीब शतप्रतिशत  विदेशों से लाना पड़ता है। बीते 2 सालों में कोरोना लॉकडाउन के कारण इंटरनेशनल मार्केट में फर्टिलाइज़र की कीमतें बहुत अधिक बढ़ गईं। वो शायद कम था तो युद्ध आ धमका। युद्ध से परिस्थितियों ने फर्टिलाइज़र की वैश्विक बाजार में उपलब्धता भी सीमित कर दी और कीमतों को भी कई गुणा और बढ़ा दिया।




साथियों, 


किसानों के प्रति संवेदनशील हमारी सरकार ने तय किया कि अंतर्राष्ट्रीय स्थितियां चिंताजनक है। दाम बढ़ रहे हैं, फर्टिलाइजर को प्राप्त करने के लिए दुनियाभर में दौड़ना पड़ रहा है। कठिनाईयां है, मुसिबतें हैं। लेकिन हमने कोशिश ये की है। कि ये सारी मुसिबतें हम झेलते रहेंगे। लेकिन किसान पर इसका असर नहीं पड़ने देंगे।   और इसलिए हर मुश्किल के बावजूद भी हमने देश में फर्टिलाइज़र का कोई बड़ा संकट नहीं आने दिया।




साथियों, 


भारत विदेशों से यूरिया मंगाता है उसमें यूरिया का 50 किलो का एक बैग 3500 रुपए का पड़ता है। तीन हजार पांच सौ रुपये का एक बैग, याद रखिये। लेकिन देश के गांव में किसान को वही यूरिया का बैग 3500 से खरीदकर सिर्फ 300 रुपए में दिया जाता है, तीन सौ रुपये में। यानि यूरिया के एक बैग पर हमारी सरकार 3200 रुपए से ज्यादा खुद सरकार उस बोझ को वहन कर रही है। इसी प्रकार DAP के 50 किलो के बैग पर पहले हमारे पूर्व जो सरकारें थीं। उनको 500 रुपए वहन करना होता था एक बैग पर। अंतरराष्ट्रीय बाजार में DAP की कीमतों में उछाल आने के बावजूद, हमारी सरकार ने लगातार प्रयास किया है कि किसानों पर इसका बोझ कम से कम हो। अब हमारी सरकार DAP के 50 किलो के बैग पर 2500 रुपए वहन कर रही है। यानि 12 महीने के भीतर-भीतर हर बैग DAP पर 5 गुणा भार केंद्र सरकार ने अपने ऊपर लिया है। भारत के किसान को दिक्कत ना हो इसके लिए पिछले साल 1 लाख 60 हज़ार करोड़ रुपए की सब्सिडी फर्टिलाइजर में  केंद्र सरकार ने दी है। किसानों को मिलने वाली ये राहत इस साल लगभग 2 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा होने वाली है।




साथियों,


देश के किसान के हित में जो भी ज़रूरी हो, वो हम करते हैं, करेंगे और देश के किसान की ताकत बढ़ाते रहेंगे। लेकिन हमनें सोचना भी चाहिए क्या हम 21वीं सदी में अपने किसानों को सिर्फ विदेशी परिस्थितियों पर निर्भर रख सकते हैं क्या? हर साल ये जो लाखों करोड़ रुपए केंद्र सरकार खर्च कर रही है, ये विदेश क्यों जाएं?  क्या ये भारत के किसानों के काम नहीं आना चाहिए? महंगे फर्टिलाइज़र से किसानों की बढ़ती लागत को कम करने का कोई स्थाई सामाधान क्या हमें नहीं ढूंढना चाहिए?




साथियों,


ये सवाल हैं जो हर सरकार के सामने अतीत में रहे हैं। ऐसा नहीं की सारे मामलें सिर्फ मेरे सामने आए हैं। लेकिन पहले सिर्फ तात्कालिक समस्या का ही समाधान तलाशा गया,  आगे वो परिस्थितियां ना आएं इसके लिए बहुत सीमित प्रयास हुए। बीते 8 सालों में हमने तात्कालिक उपाय भी किए हैं और समस्याओं के स्थाई समाधान भी खोजे हैं। कोरोना महामारी जैसी परिस्थितियां भविष्य में ना बनें,  इसके लिए हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर पर फोकस किया जा रहा है। खाद्य तेल की समस्या कम से कम हो, इसके लिए मिशन ऑयल पाम पर काम चल रहा है। कच्चे तेल पर विदेशी निर्भरता कम करनी है, इसके लिए बायोफ्यूल्स, ग्रीन हाईड्रोजन और दूसरे उपायों पर आज बड़े स्तर पर प्रयास चल रहे हैं।  नैनो टेक्नॉलॉजी पर व्यापक निवेश भी इसी अप्रोच का परिणाम है। इसी प्रकार प्राकृतिक खेती की तरफ किसानों को प्रोत्साहन देने के लिए जो अभियान देश में चल रहा है, वो भी परमानेंट सोल्यूशन का हिस्सा है। और मैं गुजरात के किसानों को विशेष रूप से बधाई देता हूं। गुजरात का किसान प्रगतिशील है, छोटा किसान हो तो भी साहस करने का स्वभाव रखता है और जिस प्रकार से मुझे गुजरात से खबरें आ रही हैं। कि प्राकृतिक खेती की तरफ गुजरात का छोटा किसान भी अब मुड़ने लगा है। लाखों की तादाद में गुजरात में किसान प्राकृतिक खेती के मार्ग पर चल पड़े हैं। मैं इन सब किसानों को हृदय से  अभिनंदन करता हूं और इस पहल के लिए मैं उनको प्रणाम करता हूं। 




साथियों,


आत्मनिर्भरता में भारत की अनेक मुश्किलों का हल है। और आत्मनिर्भरता का एक बेहतरीन मॉडल, सहकार भी है। ये हमने गुजरात में बहुत सफलता के साथ अनुभव किया है और आप सभी साथी इस सफलता के सेनानी हैं। गुजरात के cooperative सेक्टर से जुड़े सभी महारथी बैठे हैं। मैं हर किसी का चेहरा बैठे-बैठे देख रहा था। सब पुराने साथी जो आज सहकारी क्षेत्र में गुजरात की विकास यात्रा को आगे बढ़ा रहे हैं। ऐसे एक से बढ़कर एक दिग्ग्ज मेरे सामने बैठे हैं। आनंद हो रहा है, जिस तपस्या से आप इस काम को आगे बढ़ा रहे हैं। और सहकार स्पिरिट को लेकर के आगे बढ़ा रहे हैं। 




साथियों,


गुजरात तो इसलिए भी सौभाग्यशाली रहा है क्योंकि पूज्य बापू और सरदार साहेब का नेतृत्व यहां हमें मिला। पूज्य बापू ने सहकार से स्वाबलंबन का जो मार्ग दिखाया, उसको सरदार साहेब ने ज़मीन पर उतारने का काम किया। और जब सहकारी की बात आती है जैसे अमित भाई ने उल्लेख किया वैंकट भाई मेहता की याद आना बहुत स्वाभाविक है और आज भी भारत सरकार एक बहुत बड़ी इंस्टीट्यूट उनके नाम पर चलाती है।  लेकिन वो भी धीरे-धीरे भुला दिया गया था। इस बार हमने बजट में 25 करोड़ का प्रावधान करके उसको और ताकतवर बनाने का काम शुरू किया है। इतना ही नहीं हमारे यहां तो housing के लिए society, cooperative society इसका पहला प्रयोग हमारे यहां हुआ है। ये जो हमारे पालरेडी में प्रीतमनगर है, वो प्रीतमनगर उसी का उदाहरण है। देश की पहली सहकारी आवास योजना को वो जीता जागता उदाहरण है। 




साथियों,


सहकारी क्षेत्र में अमूल एक अपनी पहचान बना दी। अमूल जैसे brand ने पूरी दुनिया में गुजरात के cooperative movement की एक ताकत का परिचय कराया है, पहचान बनाई है। गुजरात में डेयरी, चीनी और बैंकिंग सहकारी आंदोलन के सफलता का उदाहरण है। बीते सालों में तो फल-सब्ज़ी सहित दूसरे क्षेत्रों में भी सहकार का दायरा बढ़ा है।




भाइयों और बहनों,


सहकारिता के सफल प्रयोगों में एक बहुत बड़ा मॉडल देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करने के लिए हमारे सामने है। डेयरी सेक्टर के cooperative model का उदाहरण हमारे सामने है। आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक है जिसमें गुजरात की बहुत बड़ी हिस्सेदारी है। बीते सालों में डेयरी सेक्टर तेज़ी से बढ़ भी रहा है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में ज्यादा कंट्रीब्यूट भी कर रहा है। आज भारत एक साल में लगभग 8 लाख करोड़ रुपए का दूध उत्पादन करता है। 8 लाख करोड़ रुपए का दूध और प्रमुखतया ये कारोबार ज्यादातर हमारी माताए-बहनें संभालती हैं। उसकी दूसरी तरफ देखिए गेहूं और धान का बाजार अगर हम मिलाकर के देखें तो वो दूध उत्पादन से भी कम है। यानि दूघ अगर8 लाख करोड़ का है तो गेहूं और धान का टोटल उससे भी कम है। आप देखिए दूध उत्पादन में हमारे देश ने कितनी बड़ी ताकत खड़ी की है। इसी तरह हम पशुपालन के पूरे सेक्टर को देखें तो ये साढ़े 9 लाख करोड़ रुपए से अधिक का है। ये भारत के छोटे किसानों,  भूमिहीन, श्रमिकों के लिए बहुत बड़ा संबल है।




साथियों,


बीते दशकों में गुजरात में अगर गांवों में अधिक समृद्धि देखने को मिली है, तो उसका एक बहुत बड़ा कारण डेयरी सेक्टर से जुड़े cooperatives रहे हैं। और आपको हैरानी होगी हम अगर कोइ्र भी कोई चीज याद कराते हैं तो किसी को लगता है कि हम किसी की आलोचना करते हैं। आलोचना नहीं करते हैं। लेकिन कभी कोई चीज को याद इसलिए करना होता है कि पहले क्या होता था। हमारे देश में, हमारे गुजरात में कच्छ सौराष्ट्र में डेयरी करना, डेयरी का निमार्ण करना इस पर रोक लगाने के प्रावधान किए गए थे। यानि एक प्रकार से illegal activity में डाल दिया गया था। जब मैं यहां था तो हमने कहा भई ये अमूल बढ़ रहा है तो कच्छ की डेयरी भी बढ़ सकती है। अमरेली की डेयरी भी बढ सकती है। हम रोककर क्यों बैठे हैं? और आज गुजरात में चारो दिशा में डेयरी का क्षेत्र बहुत ताकत के साथ खड़ा हो गया है। गुजरात में भी दूध आधारित उद्योगों का व्यापक प्रसार इसलिए हुआ क्योंकि इसमें सरकार की तरफ से पाबंदियां कम से कम रहीं। सरकार जितना बचकर के रहे बचने की कोशिश की और सहकारी क्षेत्रों को फलने फूलने की पूरी आजादी दी। सरकार यहां सिर्फ एक facilitator की भूमिका निभाती है, बाकी का काम या तो आप जैसे सारे हमारे सहकारी क्षेत्र को समर्पित सारे हमारे साथी कर  रहे हैं, या तो हमारे किसान भाई-बहन कर रहे हैं। दूध उत्पादक और दूध का व्यवसाय करने वाला प्राइवेट और कोऑपरेटिव सेक्टर, दोनों एक दूसरे से जुड़े हैं और एक बेहतरीन सप्लाई और वैल्यू चेन उन्होंने खड़ी की है।




साथियों,


सबसे बड़ी बात डेयरी सेक्टर में सबसे अधिक हमारे छोटे किसान हैं,  और जैसे मैंने पहले कहा हमारी माताएं-बहनें इस काम को संभालती हैं। गुजरात में लगभग 70 लाख बहनें आज इस मूवमेंट का हिस्सा हैं। 70 लाख बहनें, 50 लाख से ज्यादा परिवार होंगे ही होंगे जी। साढ़े 5 हज़ार से अधिक milk cooperative societies आज गुजरात में हमारी माताएं-बहनें चला रही हैं।  अमुल जैसे अंतर्राष्ट्रीय ब्रांड को बनाने में भी गुजरात की हमारी बहनों की बहुत बड़ी भूमिका है। एक प्रकार से सहकारिता ने गुजरात में महिला उद्यमिता को नए आयाम दिए हैं। हम तो लिज्जत पापड़ तो जानते ही हैं, आदिवासी क्षेत्र की गरीब माताओं-बहनों से शुरू किया गया काम आज एक  multinational brand बन गया है। दुनियाभर में भारतीय पहुंचा होगा तो लिज्जत पापड़ भी पहुंचा होगा। और पहली बार मुझे गर्व है इस बात का है कि इतने सालों से लिज्जत पापड़ का काम बढ़ रहा है, इतना बढ़ा लेकिन कभी केसी ने उसकी सूं नहीं ली। हमने पिछली बार पद्मश्री का अवार्ड उनको दिया जिन्होंने इस लिज्जत पापड़ को अब तो उनकी आयु 90 से ऊपर हा गई है। मूल गुजराती है मुंबई में रहते हैं। लेकिन वो माताजी आईं और उन्होंने बहुत आर्शीवाद दिए। यानि हमारी सहकारहिता के स्पिरिट और हमारी माताओं बहनों का ये कौशल्य अगर अमूल ब्रांड बन जाता है तो लिज्ज्त भी तो एक ब्रांड बन गया है। हमारी बहनों- बेटियों के मैनेजमेंट कौशल को अगर देखना है तो cooperatives में हम स्पष्ट रूप से देख सकते हैं।






साथियों, 


सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास इस मंत्र पर हम चल रहे हैं। ये मंत्र अपने आप में सहकार की आत्मा ही है। सहकार की सीमाओं के अंदर ही है ये मंत्र। इसलिए सहकार की स्पिरिट को आज़ादी के अमृतकाल की स्पिरिट से जोड़ने के लिए हम निरंतर आगे बढ़ रहे हैं। इसी उद्देष्य के साथ केंद्र में सहकारिता के लिए अलग मंत्रालय का गठन किया गया। और कोशिश यही है कि देश में सहकारिता आधारित आर्थिक मॉडल को प्रोत्साहित किया जाए। इसके लिए एक के बाद एक नए कदम उठाए जा रहे हैं। हमारा प्रयास है कि सहकारी समितियों को, संस्थानों को हम मार्केट में competitive बनाएं,  उनको बाकी मार्केट प्लेयर्स के साथ लेवल प्लेइंग फील्ड उपलब्ध कराएं। बीते सालों में हमने Cooperative societies से जुड़े टैक्स में भी कटौती करके उन्हें राहत दी है। अमित भाई ने इसका वर्णन कम शब्दों में किया लेकिन बहुत सारे कदम उठाए हैं हमने। surcharge  की बात उन्होंने कही और पहले तो शिकायत रहती थी। इसमें भी सुधार करते हुए हमने सहकारी समितियों को किसान उत्पादक संघों के बराबर कर दिया है। इससे सहकारी समितियों को ग्रो करने में बहुत मदद मिलेगी।




साथियों


यही नहीं सहकारी समितियों को, सहकारी बैंकों को आधुनिक डिजिटल टेक्नॉलॉजी से जोड़ने का भी एक बहुत बड़ा प्रयास चल रहा है। गुजरात में इसमें बहुत प्रशंसनीय काम शुरू हो रहा है। इतना ही नहीं मैं जब मुख्यमंत्री था तो सहकारी क्षेत्र में जो अमित भाई ने थोड़ा वर्णन किया इनकम टैक्स लगता था, और मैं भारत सरकार को चिट्ठी लिखता रहता था, और भारत सरकार में भी ये डिपार्टमेंट वो लोग संभालते थे जो खुद सहकारी आंदोलन से जुड़े हुए थे। लेकिन उन्होंने गुजरात की बात मानी नहीं, देश के सहकारिता के क्षेत्र के लोगों की बात मानी नहीं। हमने जाकर के उस समस्या का भी समाधान कर दिया। 




साथियों,


मुझे बताया गया है कि डिस्ट्रिक्ट को-ऑपरेटिव बैंकों ने लगभग 8 लाख किसानों को रुपए किसान कार्ड जारी किए हैं। बाकी बैंकों की तरह ही ऑनलाइन बैंकिंग की सुविधाएं भी आज किसानों को मिल रही हैं। जब देश की सभी जिसका अभी अमित भाई ने वर्णन किया 63 हजार Primary Agricultural Credit Society-  PACS कंप्यूटरीकृत हो जाएगी, computerization हो जाएगा तो हमारी कॉ-ऑपरेटिव्स की तस्वीर पूरी तरह बदल जाने वाली है। इससे हमारे किसानों को बहुत लाभ होगा क्योंकि इन सोसायटीज के अधिकांश सदस्य किसान ही हैं। मुझे एक और खुशी की बात है मुझे बीच में पता चला कि अब सहकारी क्षेत्र में से कई जुड़े हुए कई लोग भारत सरकार का जो जैम पोर्टल है, कुछ भी खरीदी करनी है तो जैम पोर्टल के माध्यम से करते हैं। उसके कारण एक transparency  आई है, गति बढ़ी है और दाम भी कम खर्चे में आवश्यकता पूरी हो रही है। भारत सरकार के जैम पोर्टल को सहकारी क्षेत्र के लोगों ने स्वीकार किया है। इसलिए मैं सहकारी क्षेत्र के लोगों का हृदय से धन्यवाद करता हूं। 




साथियों, 


सहकार की सबसे बड़ी ताकत भरोसा है, सहयोग है,  सबके सामर्थ्य से संगठन के सामर्थ्य को बढ़ाने का है। यही आज़ादी के अमृतकाल में भारत की सफलता की गारंटी है। हमारे यहां जिसको भी छोटा समझकर कम आंका गया,  उसको अमृतकाल में बड़ी ताकत बनाने पर हम काम कर रहे हैं।छोटे किसानों को आज हर प्रकार से सशक्त किया जा रहा है। इसी प्रकार लघु उद्योगों- MSMEs को भारत की आत्मनिर्भर सप्लाई चेन का मज़बूत हिस्सा बनाया जा रहा है। जो हमारे छोटे दुकानदार हैं, व्यापारी हैं, उनको भी एक डिजिटल टेक्नॉलॉजी का प्लेटफॉर्म, ONDC- open network for digital commerce उपलब्ध कराया जा रहा है। इससे डिजिटल स्पेस में स्वस्थ स्पर्धा को प्रोत्साहन मिलेगा, देश के छोटे व्यापारियों को भी बराबरी का मौका मिलेगा। ये भारत के e-commerce market की संभावनाओं को बल देगा, जिसका गुजरात के छोटे व्यापारियों को भी निश्चित रूप से लाभ होगा




साथियों, 


गुजरात व्यापार-कारोबार की परंपरा से जुड़ा राज्य रहा है। अच्छे व्यापारी की कसौटी ये है कि वो मुश्किल हालात में भी कैसे व्यापार को अच्छे से संभालता है। सरकार की भी यही कसौटी होती है कि चुनौतियों के बीच से वो कैसे समाधान निकालने कि लिए नए-नए तरीके खोजती है। ये जितने भी प्रावधान, जितने भी रिफॉर्म बीते वर्षों से हम देख रहे हैं, ये आपदा को अवसर में बदलने का ही हमारा प्रयास है। मुझे विश्वास है कि सहकार की हमारी स्पिरिट हमें अपने संकल्पों की सिद्धि में मदद करेगी। और अभी एक बहुत बढ़िया वाक्य भूपेन्द्र भाई ने अपने भाषण में कहा कि आजादी का यह पहले आजादी का एक शस्त्र था असहकार। आजादी के बाद समृद्धि का एक शस्त्र है सहकार। असहकार से सहकार तक की ये यात्रा समृद्धि की ऊंचाइयों को प्राप्त करने वाली, सबका साथ, सबका विकास  के मंत्र को चरित्रार्थ करने वाली हमारी राह है। इस राह पर आत्मविश्वास के साथ हम चलें, देशभर के लोगों को भी इस पवित्र कार्य से हम जोड़ें, गुजरात की cooperative movement का विस्तार हिन्दुस्तान के और क्षेत्रों में जितना ज्यादा हो उस क्षेत्र के लोगों की भलाई के लिए काम आएगा। मैं गुजरात सरकार का बहुत आभारी हूं कि सहकारी क्षेत्र के इन दिग्गजों के साथ आज मुझे मिलने का अवसर मिला क्योंकि मैं जब गुजरात में था हमेशा उन्हे अपनी शिकायतें लेकर के आना पड़ता था। लेकिन आज वो अपना रिपोर्ट कार्ड लेकर के आते हैं। तो हम इतने कम समय में यहां पहुंच गए, हमने हमारी सोसायटी को यहां ले गए, हमने हमारी संस्था को यहां पहुंचा दिया। पहले हमारा टर्न ओवार इतना था अब हमारा टर्न ओवर इतना हो गया। बड़े गर्व के साथ छोटी छोटी सोसायटी के लोग मिल जाते हैं कहते हैं – हमनें तो साहब सब कम्प्यूटर पर चलाते हैं, साहब हमारे यहां ऑनलाइन होने लगा है। ये जो बदलाव गुजरात के सहकारी क्षेत्र में देखने को मिलता है वो अपनेआप में गर्व करने वाला है। मैं आज आपकी इस तपस्या को प्रणाम करता हूं, इस महान परंपरा को प्रणाम करता हूं और आजादी के इतने 75 साल जब मना रहे हैं तब जिसकी बीज पहले बोए गए थे आज वो वटवृक्ष बनकर के गुजरात के सार्वजनिक जीवन में रचनात्मक प्रभुत्व   में आर्थिक व्यवस्था के  आधार सहकारी प्रभुत्व के रूप में बढ़ रहा है। वो अपने आप में एक प्रसन्नता के आनंद का विषय में सबको प्रणाम करते हुए, हृदय से आपका धन्यवाद करते हुए मेरी वाणी को विराम देता हूं। मेरे साथ पूरी ताकत से बोलिये, भारत माता की – जय, भारत माता की जय, भारत माता की – जय, धन्यवाद। 


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Text of PM’s address at inauguration of Matushri K.D.P. Multi-Speciality Hospital in Atkot, Gujarat


भारत माता की – जय


भारत माता की – जय


गुजरात के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्रीमान भूपेंद्र भाई पटेल जी, गुजरात भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष सी आर पाटिल, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी पुरुषोत्तम रुपाला जी, मनसुख मंडाविया जी, डॉ. महेन्द्र मुंजपरा जी, हमारे वरिष्ठ नेता श्री वजुभाई वाला जी, श्री विजय रुपाणी जी, पटेल सेवा समाज ट्रस्ट के सभी ट्रस्टी, सभी दाता, विशाल संख्‍या में हमें आशीर्वाद देने के लिए यहां पधारे हुए पूज्य संतगण, गुजरात सरकार के अन्य मंत्रिगण, सांसदगण, विधायकगण, और यहां इतनी गर्मी के बावजूद भी आटकोट में बड़ी संख्या में आशीर्वाद देने के लिए आए हुए मेरे प्यारे भाइयों और बहनों,


मुझे खुशी है कि आज यहां मातुश्री के.डी.पी. मल्टी-स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल का शुभारंभ हुआ है। ये हॉस्पिटल सौराष्ट्र में स्वास्थ्य सेवाओं को और बेहतर बनाने में मदद करेगा। जब सरकार के प्रयास में जनता का प्रयास जुड़ जाता है, तो सेवा करने की हमारी शक्ति भी अनेक गुना बढ़ जाती है। राजकोट में बना ये आधुनिक अस्पताल एक इसका बहुत बड़ा उत्‍तम उदाहरण है।


भाइयों और बहनों,


केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली NDA सरकार राष्ट्रसेवा के 8 साल पूरे कर रही है। आठ साल पहले आप सभी ने मुझे विदा किया था, परंतु आप सबका प्यार बढता ही जा रहा है। आज जब गुजरात की धरती पर आया हूं तो मैं सिर झुका करके गुजरात के सभी नागरिकों का आदर करना चाहता हूं। आपने मुझे जो संस्‍कार दिए, आपने मुझे जो शिक्षा दी, आपने जो मुझे समाज के लिए कैसे जीना चाहिए, ये जो सब बातें सिखाईं उसी की बदौलत गत आठ वर्ष मातृभूमि की सेवा में मैंने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है। ये आप ही के संस्‍कार हैं, इस मिट्टी के संस्‍कार हैं, पूज्‍य बापू और सरदार वल्‍लभ भाई पटेल की इस पवित्र धरती के संस्‍कार हैं कि आठ साल में गलती से भी ऐसा कुछ नहीं होने दिया है न ऐसा कुछ किया है जिसके कारण आपको या देश के किसी नागरिक को अपना सिर झुकाना पड़े।


इन वर्षों में हमने गरीब की सेवा, सुशासन और गरीब कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है। सबका साथ-सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास, इस मंत्र पर चलते हुए हमने देश के विकास को नई गति दी है। इन 8 सालों में हमने पूज्य बापू और सरदार पटेल के सपनों का भारत बनाने के लिए ईमानदार प्रयास किए हैं। पूज्य बापू एक ऐसा भारत चाहते थे जो हर गरीब, दलित, वंचित, पीड़ित, हमारे आदिवासी भाई-बहन, हमारी माताएं-बहनें, उन सबको सशक्त करे। जहां स्वच्छता और स्वास्थ्य जीवन पद्धति का हिस्सा बने, जिसका अर्थतंत्र स्वदेशी समाधानों से समर्थ हो।


साथियों,


तीन करोड़ से अधिक गरीबों को पक्के घर, 10 करोड़ से अधिक परिवारों को खुले में शौच से मुक्ति, 9 करोड़ से अधिक गरीब बहनों को धुएं से मुक्ति, ढाई करोड़ से अधिक गरीब परिवारों को बिजली कनेक्शन, 6 करोड़ से अधिक परिवारों को नल से जल, 50 करोड़ से अधिक भारतीयों को 5 लाख रुपये तक मुफ्त इलाज की सुविधा। ये सिर्फ आंकड़े नहीं हैं मेरे भाइयो-बहनों। ये सिर्फ आंकड़े नहीं हैं बल्कि गरीब की गरिमा सुनिश्चित करने के हमारे कमिटमेंट के ये प्रमाण हैं, प्रमाण साथियों।


भाइयों और बहनों,


गरीबों की सरकार होती है, तो कैसे उसकी सेवा करती है, कैसे उसे सशक्त करने के लिए काम करती है, ये आज पूरा देश देख रहा है। 100 साल के सबसे बड़े संकटकाल में, कोरोना महामारी के इस समय में भी देश ने ये लगातार अनुभव किया है। महामारी शुरु हुई तो, गरीब के सामने खाने-पीने की समस्या हुई, तो हमने देश के अन्न के भंडार देशवासियों के लिए खोल दिए। हमारी माताओं-बहनों को सम्‍मान से जीने के लिए जनधन बैंक खाते में सीधे पैसे जमा किए, किसानों और मज़दूरों के बैंक खाते में पैसे जमा किए, हमने मुफ्त गैस सिलेंडरों की भी व्यवस्था की ताकि गरीब की रसोई चलती रहे, उसके घर का चूल्हा कभी बुझ न पाए। जब इलाज की चुनौती बढ़ी तो, हमने टेस्टिंग से लेकर ट्रीटमेंट की सुविधाओं को गरीब के लिए सुलभ कर दिया। जब वैक्सीन आई तो, हमने ये सुनिश्चित किया कि हर भारतीय को वैक्सीन लगे, मुफ्त लगे। आप सब को वेक्सीन लगी है ना ? टीकाकरण हो गया है ना ? किसी को भी एक पाई भी चुकानी पडी है ? एक रुपिया भी खर्चा करना पडा है आपको ?


भाइयो-बहनों,


एक तरफ कोरोना का ये विकट समय, वैश्विक महामारी और आज, आजकल तो आप देख रहे हैं कि युद्ध भी चल रहा है। टीवी पर आधा समय युद्ध की खबरें हर किसी को चिंतित करती हैं। इन परिस्थितियों में भी हमने निरंतर प्रयास किया कि हमारे गरीब भाई-बहन को, हमारे मिडिल क्लास को, मध्‍यमवर्गीय भाई-बहनों को मुश्किल का सामना ना करना पड़े। अब हमारी सरकार सुविधाओं को शत-प्रतिशत नागरिकों तक पहुंचाने के लिए अभियान चला रही है। जो जिस बात का हकदार है उसे उसका हक मिलना चाहिए।


जब हर नागरिक तक सुविधाएं पहुंचाने का लक्ष्य होता है तो भेदभाव भी खत्म होता है, भ्रष्टाचार की गुंजाइश भी नहीं होती। न भाई-भतीजावाद रहता है, न जात-पात का भेद रहता है। इसलिए हमारी सरकार मूलभूत सुविधाओं से जुड़ी योजनाओं को सैचुरेशन तक शत-प्रतिशत तक पहुंचाने में जी-जान से जुटी हुई है। राज्य सरकारों को भी हम लगातार इस काम के लिए प्रेरित कर रहे हैं, सहायता कर रहे हैं। हमारा ये प्रयास देश के गरीब को, देश के मध्यम वर्ग को सशक्त करेगा, उनका जीवन और आसान बनाएगा।


और आज जब यहाँ जसदण में पहला सुपर स्पेश्यालिटी होस्पिटल और आटकोट में, मैं यहां आया और होस्पिटल देखने जाने का मौका मिला। तमाम दाताओं और ट्रस्टियों से मिलने का मौका मिला। और ट्रस्टियों ने मुझे कहा साहब, पीछे मुडकर देखना मत, यहाँ कोई भी आएगा, वह वापस नहीं जायेगा। यह ट्रस्टी के शब्द और उनकी भावना और एक आधुनिक हॉस्पिटल अपने घर-आंगन। मैं भरतभाई बोघरा को, पटेल सेवा समाज के सभी साथियों को, जितना अभिनंदन करूं उतना कम है। पटेल सेवा समाज ने समर्पित भाव से आज जो बडा काम किया है, उसके लिए आप सभी अभिनंदन के अधिकारी है। और इसमें से प्रेरणा लेकर आप सब समाज के लिए कुछ करने की इच्छा रखते है।


सामान्य तौर पर कोई फैक्ट्री का उद्घाटन करने गए हो, कोई बस स्टेशन का उद्घाटन करने गये हो, रेलवे स्टेशन का उद्घाटन करने गए हो, तो अपने मन से कहते है भाई आपका सब काम खूब आगे बढे, लोग प्रयास करें, फैक्ट्री में उत्पादन अच्छा हो । लेकिन अब हॉस्पिटल के लिए क्या कहे, बताइए। अब मैं ऐसा तो नहीं कह सकता कि हॉस्पिटल भरा रहे। इसलिए मैंने उद्घाटन तो किया है, परंतु हम समाज में ऐसा स्वास्थ्य का वातावरण बनायें, कि हॉस्पिटल खाली के खाली रहें। किसी को आने की जरूरत ही ना पड़े। और जो सब स्वस्थ हो, तो कभी भी किसी को आना ही नहीं पड़ेगा। और जब आने की जरुरत पडे, तो पहले से भी ज्यादा स्वस्थ होकर अपने घर पर जायें। ऐसा काम इस हॉस्पिटल में होने वाला है। आज गुजरात में आरोग्य के क्षेत्र में जो गति मिली है, जो ईन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार हुआ है, जिस स्तर पर काम हो रहा है, भूपेन्द्रभाई और उनकी समग्र टीम को दिल से अनेक-अनेक शुभकामना देता हुं। और इसका लाभ गुजरात के कोने-कोने में सामान्य से सामान्य मनुष्य को मिलने वाला है। आज हमारा यह राजकोट तो ऐसी जगह है, कि आसपास के तीन-चार जिलों को लगे कि यह हमारे पास ही है। बस यह निकले तो आधा घंटा या एक घंटे में पहुंच सकते है। आप सब जानते ही हो कि, अपने यहां राजकोट में गुजरात को जो एम्स मिली है, उसका काम राजकोट में तेज गति से चल रहा है।


थोडे समय पहले मैं जामनगर आया था, और जामनगर में विश्व का ट्रेडीशनल मेडिसीन सेन्टर, WHO के द्वारा अपने जामनगर में उसका शिलान्यास हुआ है। एक तरफ जामनगर में आर्युवेद और दूसरी तरफ मेरे राजकोट में एम्स, और आटकोट में। हां, बापू आपकी तो शान बढ़ गई। मित्रों, दो दशक पहले मुझे आपकी सेवा करने का मौका आपने मुझे दिया। 2001 में तब अपने गुजरात में सिर्फ और सिर्फ 9 मेडिकल कोलेज थी। यह सब आप लोग याद रखते हो कि भूल जाते हो ? यह नई पीढ़ी को बताना । नहीं तो उनको पता ही नहीं होगा कि क्या हाल था। सिर्फ 9 मेडिकल कॉलेज और डॉक्टर बनने की कितने लोगों की इच्छा होती थी। तब मात्र 1100 बैठक थी, जिसमें डॉक्टर बनने के लिए अभ्यास कर सके। इतना बड़ा गुजरात, 2001 में पहले मात्र 1100 बैठक। और आपको जानकर आनंद होगा कि, आज सरकारी और प्राइवेट कॉलेज मिलाकर 30 मेडिकल कोलेज सिर्फ गुजरात में हैं। और इतना ही नहीं गुजरात में भी, और देश में भी हर जिले में एक मेडिकल कॉलेज बनाने की इच्छा है। MBBS और PG, की मेडिकल सीटें एक जमाने में 1100, और आज 8000 सीट है 8000 ।


भाईयों-बहनों, उसमें भी हमने नया साहसिक काम किया है। आप लोग बताएं गरीब मां-बाप के बच्चे को डॉक्टर बनने की इच्छा हो या ना हो? जरा कहिए तो पता चले, हो या ना हो? आप उनसे परंतु उन्हें पहले पूछे कि, आप अंग्रेजी माध्यम पढ़े हो या गुजराती में। अगर अंग्रेजी में पढ़े हो तो डॉक्टर बनने के दरवाजे खुलेंगे। अगर आप गुजराती मीडियम में पढ़े हो तो डॉक्टर बनने के सारे रास्ते बंद। अब यह अन्याय है कि नहीं, अन्याय है कि नहीं भाई ? हमने नियमों को बदला, और निर्णय लिया कि डॉक्टर बनना हो, या इंजीनियर बनना हो तो मातृभाषा में भी अभ्यास कर सकते है। और लोगों की सेवा की जा सके।


मित्रो, डबल इंजन की सरकार, डबल लाभ तो होगा ही ना, होगा की नहीं होगा ? और अपने गुजरात वालों को समझाना पड़ेगा कि, मामा के घर भोजन करने गये हो, और परोसने वाली अपनी माँ हो, तो इसका अर्थ समझना पड़ेगा? य़ह डबल ईजन की सरकार ने गुजरात के विकास को नई उंचाई पर पहुंचाने का काम किया है। विकास के सामने आने वाली तमाम अडचनो को दूर किया है। और तेज गति से विकास का लाभ गुजरात को मिल रहा है। 2014 के पहले गुजरात में ऐसे अनेक प्रोजेक्ट थे, कि दिल्‍ली में ऐसी सरकार थी, यहां से प्रोजेक्ट जायें तो उनको प्रोजेक्ट नहीं दिखता था। उनको अंदर मोदी ही दिखता था। और ऐसा दिमाग खराब हो जाता था, कि तुरंत ही केन्सल-रिजेक्ट। तमाम कामो में ताले लगा दिये थे। इतनी सारी उदासीनता, अपनी माता नर्मदा, आप सोचिए यह लोग नर्मदा मैया को रोककर बैठे थे। यह सरदार सरोवर डेम बनाने के लिए हमें उपवास करना पडा था। याद है ना ? याद है ना साथीयों ? और यह उपवास रंग लाया और सरदार सरोवर डेम बन गया। सौनी योजना बन गई। और नर्मदा मैया ने कच्छ-काठियावाड की धरती पर आकर हमारे जीवन को उज्जवल बनाया। यह काम होता है हमारे यहां। और अब तो सरदार सरोवर, सरदार वल्लभभाई पटेल, पूरे दुनिया में सबसे बडा स्टेच्यु, पूरी दुनिया में सरदार साहब का नाम गूंज रहा है। और लोग जाते है तो आश्चर्य होता हो कि, अपने गुजरात में इतना बडा काम, इतनी जल्दी। यही तो गुजरात की ताकत है भाई।


इन्फ्रास्ट्रक्चर के तेज विकास का लाभ गुजरात को मिला है। अभूतपूर्व स्पीड से, अभूतपूर्व स्केल पर आज गुजरात में इन्फ्रास्ट्रक्चर का काम आगे बढ रहा है। इसका लाभ गुजरात के तमाम विस्तारों को मिला है। एक जमाना था, कि उधोग का नाम हो तो सिर्फ और सिर्फ वडोदरा से वापी। नेशनल हाई-वे से जायें, तो उनके आसपास सब कारखाने दिखें। यहीं अपना औद्योगिक विकास था। आज आप गुजरात के किसी भी दिशा में जायें छोटे-बडे उद्योग, कारखाने तेज गति से चल रहे है। अपना राजकोट का इंजीनियरिंग उद्योग बडी-बडी गाड़ियां कहीं भी बनती हो, गाड़ी छोटी बनती हो या बड़ी बनती हो, परंतु उसका छोटे से छोटा पुर्जा आपके राजकोट से जाता है। आप सोचिये, अहमदाबाद–मुंबई बुलेट ट्रेन, हाईस्पीड ट्रेन का तेज गति से काम चल रहा है। वेस्टर्न डेडिकेटेड कॉरिडोर मुंबई से दिल्ली तक, और उसमें लॉजिस्टिक की व्यवस्था का काम तेज गति से चल रहा है। इन सबका लाभ गुजरात का हाई-वे जब चौडा हो, डबल-त्रिपल छ लाईन, और यह सब गुजरात के बंदरगाहों की ताकत बढानें में मदद करेगा। ऐर-कनेक्टीवीटी, आज गुजरात में अभूपूर्व विस्तार देखने को मिल रहा है। और रो-रो फेरी सर्विस, मुझे याद है कि जब हम छोटे थे तब अखबारो में पढते कि यह रो-रो फेरी सर्विस क्या है? मैं मुख्यमंत्री बना तब मैंने पूछा कि भाई यह है क्या ? किस कोने में है? बचपन से सुनते आ रहे थे, आज रो-रो फेरी सर्विस चालू हो गई है। और यह लोग 300-350 किलोमीटर के बदले, सूरत से काठियावाड़ आना हो तो आठ घंटा बचाकर गिनती के समय में हम पहुंच जाते है।


विकास कैसे होता है, यह आज हमने देखा है। MSME गुजरात की सबसे बडी ताकत बनकर उभरा है। पूरे सौराष्ट्र के अंदर एक जमाना था, नमक के सिवाय कोई उद्योग नहीं था, काठियावाड़ खाली हो रहा था, रोजी-रोटी कमाने के लिए कच्छ-काठियावाड़ के लोगों को हिंदुस्तान के कोने-कोने में भटकना पड़ता था। लेकिन आज हिन्दुस्तान के लोगों को कच्छ-काठियावाड आने का मन होता है। बंदरगाह धमधमा रहे है, यह गुजरात की छवि बदली है मित्रों। अपने मोरबी का टाइल्स का उद्योग दुनिया में डंका बज रहा है।


हमारा जामनगर का ब्रास का उधोग, दुनिया में उसकी पहुंच बढी है। अब तो फार्मा इन्डस्ट्री, दवा की कंपनीयों, एक जमाने में सुरेन्द्रनगर के पास दवा की कंपनी आयें उसके लिए गुजरात की सरकार इतनी सारी ओफर देती थी। लेकिन कुछ हो नहीं रहा था। आज दवा की बडी-बडी कंपनीयां गुजरात और सौराष्ट्र की धरती पर अडींगा जमाकर आगे बढ रही है भाई। अनेक विस्तार ऐसे है, जिसमें गुजरात तेज गति से आगे बढ रहा है। और इस कारण भाईओ-बहनों गुजरात के औधोगिक विकास का जो कोई लाभ हो, उसमें वन डिस्ट्रीक्ट-वन प्रोडक्ट का अभियान पूरे देश में चला है। और सौराष्ट्र की पहचान भी है। और वह हमारे काठियावाड़ की पहचान, हमारे कच्छ की पहचान, हमारे गुजरात की पहचान, साहसिक स्वभाव, खमीर जीवन, पानी के अभाव के बीच में भी जिंदगी जीने वाला गुजरात का नागरिक आज खेती के क्षेत्र में भी अपना डंका बजा रहा है। यहीं गुजरात की ताकत है भाइयों, और ताकत को प्रगति के रास्ते पर ले जाने के लिए, सरकार दिल्‍ली में बैठी हो, या सरकार गांधीनगर में बैठी हो, हम चारों दिशा में आगे बढ रहे है भाईओं।


आज जब आरोग्य की इतनी सारी सुविधाएं बढ रही है, तब मेरी तरफ से इस विस्तार के सभी नागरिको को बधाई देता हुं। आप विश्वास रखियेगा, अभी भूपेन्द्रभाई कह रहे थे, PMJAY योजना, आयुष्मान योजना दुनिया की बड़ी से बड़ी योजना अपने यहां चल रही है। अमेरिका की कुल जनसंख्या से भी ज्यादा लोग, इसका लाभ ले ऐसी योजना अपने यहां चल रही है। यूरोप के देशों की जनसंख्या से भी ज्यादा लोग लाभ ले, ऐसी योजना भारत में चल रही है। 50 करोड़ लोगों को आयुष्मान कार्ड के द्वारा गंभीर से गंभीर रोग हो, पांच लाख रुपये तक की बीमारी का खर्च सरकार उठाती है, भाइयों-बहनों सरकार।


भाइयों, गरीबी और गरीब की परेशानी, यह मुझे पुस्तक में पढ़ना नहीं पड़ा, टीवी के परदे पर नहीं देखना पड़ा, मुझे पता है कि गरीबी में जीवन कैसे जीया जाता है। आज भी अपने समाज में माता-बहनों को बीमारी हो, पीडा होती तो भी परिवार में किसी को कहती नहीं है, पीड़ा सहन करती है, और घर का काम करती है, और अगर घर में कोई बीमार हो तो उसका भी ध्यान रखती है। खुद को होनेवाले दर्द की बात माता-बहनें किसी को कहती नहीं। और जब बढ़ जायें तो भगवान को प्रार्थना करती है, कि मुझे उठा लो। मेरी वजह से मेरे बच्चे दुखी हो रहे है। बेटा-बेटी को पता चले तो, कहे मां हम कोई अच्छी होस्पिटल में जाकर ईलाज कराते है। तब मां कहती है, भाई इतना सारा कर्जा हो जायेगा, और अब मुझे कितना जीना है। और तुम लोग कर्जे में डूब जाओगे, तुम्हारी पीढ़ी पूरी डूब जाएगी, भगवान ने जितने दिन दिए है, उतने दिन जिऊंगी। हमें हॉस्पिटल नहीं जाना। हमें कर्जा लेकर दवा नहीं कराना। हमारे देश की माता-बहनें पैसे के कारण उपचार नहीं कराती थी। बेटा कर्जे में ना डूब जाये उस कारण हॉस्पिटल नहीं जाती थी।


आज वह माताओं के लिए दिल्‍ली में एक बेटा बैठा है, माताओं को दुख ना हो, उनको ऑपरेशन की जरूरत हो, पैसे के कारण ऑपरेशन रुके नहीं उसके लिए आयुष योजना चलाई है। और मुझे खुशी है कि इस हॉस्पिटल में भी, आयुष्मान कार्ड लेकर आने वाले व्यक्ति को सरकार की योजना का पूरा लाभ मिलने की व्यवस्था की गई है। और इस कारण किसी को अपनी जेब में से रुपये देकर इलाज कराना पड़े ऐसा दिन नहीं आएगा। आप सोचिए जन औषधि केन्द्र, मध्यमवर्गीय परिवार हो, फिक्स्ड इनकम हो, और परिवार में एक वृद्ध को मानो कि डायबिटीज का रोग हो, तो उसे महीने में 1200-1500 कि दवा करानी पड़ती है। उसे रोज इंजेक्शन लेना पडे या फिर गोली खानी पडे। और इतनी महंगी दवा, सामान्य़ मध्यमवर्गीय परिवार का क्या हो ? अपने हिन्दुस्तान के कोने-कोने में जनऔषधि केन्द्र खोले गए है, और जो दवा के महीने में 2000 का खर्चा होता हो, वह दवा 100 रुपये मिले, और किसी को भी दवा के बिना दुखी न होना पडे। इसलिए हिंदुस्तान में सैकड़ों की मात्रा में जन औषधि केन्द्र चलाये जा रहे हैं। और जिसके कारण सामान्य़ मनुष्य सस्ते में दवा लेकर खुद के शरीर के सुखकारी के लिए, कोई भी नये बोझ के बिना व्यवस्था को संभाल सकता है।


भाइयों-बहनों स्वच्छता, पानी, पर्यावरण यह सब चीजें स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस स्वास्थ्य के लिए हम चला रहे है। मेरी आप सभी से यही प्रार्थना है कि, आप सबका स्वास्थ्य उत्तम रहे, तंदुरुस्त रहो, अपने गुजरात का एक एक बच्चा स्वस्थ रहे, अपने गुजरात का भविष्य तंदुरस्त रहे, उसके संकल्प के साथ आज इस शुभ अवसर पर समाज के सभी आगेवानो को दिल से शुभकामना देता हूं। दाताओं को शुभकामना देता हूं, उन दाता की माताओं को शुभकामना देता हूं, जिसने ऐसे संतानों को, ऐसे संस्कार देकर बड़ा किया। जिन्होंने समाज के लिए इतना बड़ा काम किया है। उन सबको शुभकामना देकर आप सबको प्रणाम करके, आप लोगों ने इतना प्यार बरसाया, लाखों की संख्या में इतनी गर्मी में आपका यहां आना, यही आशीर्वाद मेरी सबसे बडी ताकत है। यही मेरा धन है। हजारो बहनों अपनी काठियावाड़ी परंपरा के रूप में कलश सिर पर रखकर धूप में खड़े रहकर मुझे आशीर्वाद दे रही थी। अपनी माताओं-बहनों, सर्व समाज की बहनें अपने घर में कोई अवसर हो उस तरह मुझे आशीर्वाद दिया है। मैं वह तमाम माताओं-बहनो को प्रणाम करता हुँ। उनके आर्शिवाद के अनुरूप भारत की और गुजरात की सेवा करता रहूं। यह आपका आशीर्वाद रहे। खूब-खूब धन्यवाद।


भारत माता की – जय


भारत माता की – जय


बहुत- बहुत धन्यवाद !


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DS/VJ/NS/AK




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