Text of PM’s speech at inauguration of Kashi Tamil Sangamam, in Varanasi


हर हर महादेव!


वणक्कम् काशी।


वणक्कम् तमिलनाडु।


कार्यक्रम में उपस्थित उत्तर प्रदेश की गवर्नर आनंदी बेन पटेल, मुख्यमंत्री श्रीमान योगी आदित्यनाथ जी, केंद्रीय कैबिनेट में मेरे सहयोगी श्री धर्मेंद्र प्रधान जी, श्री एल मुरुगन जी, पूर्व केंद्रीय मंत्री पॉन राधाकृष्णन जी, विश्व प्रसिद्ध संगीतकार और राज्यसभा के सदस्य इलैईराजा जी, बीएचयू के वाइस चांसलर सुधीर जैन, आईआईटी मद्रास के डायरेक्टर प्रोफेसर कामाकोट्टि जी, अन्य सभी महानुभाव और तमिलनाडु से मेरी काशी में पधारे सभी मेरे सम्मानित अतिथिगण, देवियों और सज्जनों,


विश्व के सबसे प्राचीन जीवंत शहर काशी की पावन धरती पर आप सभी को देखकर आज मन बहुत ही प्रसन्न हो गया, बहुत ही अच्छा लग रहा है। मैं आप सभी का महादेव की नगरी काशी में, काशी-तमिल संगमम् में हृदय से स्वागत करता हूँ। हमारे देश में संगमों की बड़ी महिमा, बड़ा महत्व रहा है। नदियों और धाराओं के संगम से लेकर  विचारों-विचारधाराओं, ज्ञान-विज्ञान और समाजों-संस्कृतियों के हर संगम को हमने सेलिब्रेट किया है। ये सेलिब्रेशन वास्तव में भारत की विविधताओं और विशेषताओं का सेलिब्रेशन है। और इसलिए काशी-तमिल संगमम् अपने आप में विशेष है, अद्वितीय है। आज हमारे सामने एक ओर पूरे भारत को अपने आप में समेटे हमारी सांस्कृतिक राजधानी काशी है तो दूसरी ओर, भारत की प्राचीनता और गौरव का केंद्र हमारा तमिलनाडु और तमिल संस्कृति है। ये संगम भी गंगा यमुना के संगम जितना ही पवित्र है। ये गंगा-यमुना जितनी ही अनंत संभावनाओं और सामर्थ्य को समेटे हुये है। मैं काशी और तमिलनाडु के सभी लोगों का इस आयोजन के लिए हार्दिक बधाई देता हूँ। मैं देश के शिक्षा मंत्रालय और उत्तर प्रदेश सरकार को भी शुभकामनायें देता हूँ, जिन्होंने एक माह के इस व्यापक कार्यक्रम को साकार किया है। इसमें BHU और IIT मद्रास जैसे महत्वपूर्ण शिक्षा संस्थान भी सहयोग कर रहे हैं। विशेष रूप से, मैं काशी और तमिलनाडु के विद्वानों का, छात्रों का, अभिनंदन करता हूं।


साथियों,


हमारे यहाँ ऋषियों ने कहा है- ‘एको अहम् बहु स्याम्’! अर्थात्, एक ही चेतना, अलग-अलग रूपों में प्रकट होती है। काशी और तमिलनाडु के context में इस फ़िलॉसफ़ी को हम साक्षात् देख सकते हैं। काशी और तमिलनाडु, दोनों ही संस्कृति और सभ्यता के timeless centres हैं। दोनों क्षेत्र, संस्कृत और तमिल जैसी विश्व की सबसे प्राचीन भाषाओं के केंद्र हैं। काशी में बाबा विश्वनाथ हैं तो तमिलनाडु में भगवान् रामेश्वरम् का आशीर्वाद है। काशी और तमिलनाडु, दोनों शिवमय हैं, दोनों शक्तिमय हैं।  एक स्वयं में काशी है, तो तमिलनाडु में दक्षिण काशी है। ‘काशी-कांची’ के रूप में दोनों की सप्तपुरियों में अपनी महत्ता है। काशी और तमिलनाडु दोनों संगीत, साहित्य और कला के अद्भुत स्रोत भी हैं। काशी का तबला और तमिलनाडु का तन्नुमाई। काशी में बनारसी साड़ी मिलेगी तो तमिलनाडु का कांजीवरम् सिल्क पूरी दुनिया में फेमस है।  दोनों भारतीय आध्यात्म के सबसे महान आचार्यों की जन्मभूमि और कर्मभूमि हैं। काशी भक्त तुलसी की धरती तो तमिलनाडु संत तिरुवल्लवर की भक्ति-भूमि। आप जीवन के हर क्षेत्र में, लाइफ के हर dimension  में काशी और तमिलनाडु के अलग-अलग रंगों में इस एक जैसी ऊर्जा के दर्शन कर सकते हैं। आज भी तमिल विवाह परंपरा में काशी यात्रा का ज़िक्र होता है। यानी, तमिल युवाओं के जीवन की नई यात्रा से काशी यात्रा को जोड़ा जाता है। ये है तमिल दिलों में काशी के लिए अविनाशी प्रेम, जो न अतीत में कभी मिटा, न भविष्य में कभी मिटेगा। यही ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की वो परंपरा है, जिसे हमारे पूर्वजों ने जिया था, और आज ये काशी-तमिल संगमम फिर से उसके गौरव को आगे बढ़ा रहा है।


साथियों,


काशी के निर्माण में, काशी के विकास में भी तमिलनाडु ने अभूतपूर्व योगदान दिया है। तमिलनाडु में जन्में डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन् बीएचयू के पूर्व कुलपति थे। उनके योगदान को आज भी बीएचयू याद करता है। श्री राजेश्वर शास्त्री जैसे तमिल मूल के प्रसिद्ध वैदिक विद्वान् काशी में रहे। उन्होंने रामघाट पर सांगवेद विद्यालय की स्थापना की। ऐसे ही, श्री पट्टाभिराम शास्त्री जी, जोकि हनुमान् घाट में रहते थे, उन्हें भी काशी के लोग याद करते हैं। आप काशी भ्रमण करेंगे, तो देखेंगे कि हरिश्चन्द्र घाट पर “काशी कामकोटिश्वर पंचायतन मन्दिर’ है, जोकि एक तमिलियन मन्दिर है। केदार घाट पर भी 200 वर्ष पुराना कुमारस्वामी मठ है तथा मार्कण्डेय आश्रम है। यहाँ हनुमान् घाट और केदार घाट के आस-पास बड़ी संख्या में तमिलनाडु के लोग रहते हैं, जिन्होंने पीढ़ियों से काशी के लिए अभूतपूर्व योगदान दिये हैं। तमिलनाडु की एक और महान विभूति, महान कवि श्री सुब्रमण्यम भारती जी, जोकि महान स्वतन्त्रता सेनानी भी थे, वो भी कितने समय तक काशी में रहे। यहीं मिशन कॉलेज और जयनारायण कॉलेज में उन्होंने पढ़ाई की थी। काशी से वो ऐसे जुड़े कि काशी उनका हिस्सा बन गई। कहते हैं कि अपनी पॉपुलर मूछें भी उन्होंने यहीं रखीं थीं। ऐसे कितने ही व्यक्तित्वों ने, कितनी ही परम्पराओं ने, कितनी ही आस्थाओं ने काशी और तमिलनाडु को राष्ट्रीय एकता के सूत्र से जोड़कर रखा है। अब BHU ने सुब्रमण्यम भारती के नाम से चेयर की स्थापना करके, अपना गौरव और बढ़ाया है।


साथियों,


काशी-तमिल संगमम् का ये आयोजन तब हो रहा है, जब भारत ने अपनी आज़ादी के अमृतकाल में प्रवेश किया है। अमृतकाल में हमारे संकल्प पूरे देश की एकता और एकजुट प्रयासों से पूरे होंगे। भारत वो राष्ट्र है जिसने हजारों वर्षों से ‘सं वो मनांसि जानताम्’ के मंत्र से, ‘एक दूसरे के मनों को जानते हुये’, सम्मान करते हुये स्वाभाविक सांस्कृतिक एकता को जिया है। हमारे देश में सुबह उठकर ‘सौराष्ट्रे सोमनाथम्’ से लेकर ‘सेतुबंधे तु रामेशम्’ तक 12 ज्योतिर्लिंगों के स्मरण की परंपरा है। हम देश की आध्यात्मिक एकता को याद करके हमारा दिन शुरू करते हैं। हम स्नान करते समय, पूजा करते समय भी मंत्र पढ़ते हैं- गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती। नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु॥ अर्थात्, गंगा, यमुना से लेकर गोदावरी और कावेरी तक, सभी नदियां हमारे जल में निवास करें। यानी, हम पूरे भारत की नदियों में स्नान करने की भावना करते हैं। हमें आज़ादी के बाद हजारों वर्षों की इस परंपरा को, इस विरासत को मजबूत करना था। इसे देश का एकता सूत्र बनाना था। लेकिन, दुर्भाग्य से, इसके लिए बहुत प्रयास नहीं किए गए। काशी-तमिल संगमम् आज इस संकल्प के लिए एक प्लेटफ़ॉर्म बनेगा। ये हमें हमारे इस कर्तव्यों का बोध कराएगा, और राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने के लिए ऊर्जा देगा।


साथियों,


भारत का स्वरूप क्या है, शरीर क्या है, ये विष्ण पुराण का एक श्लोक हमें बताता है, जो कहता है- उत्तरं यत् समुद्रस्य हिमाद्रेश्चैव दक्षिणम्। वर्षं तद् भारतं नाम भारती यत्र सन्ततिः॥ अर्थात्, भारत वो जो हिमालय से हिन्द महासागर तक की सभी विविधताओं और विशिष्टताओं को समेटे हुये है। और उसकी हर संतान भारतीय है। भारत की इन जड़ों को, इन रूट्स को अगर हमें अनुभव करना है, तो हम देख सकते हैं कि उत्तर और दक्षिण हजारों किमी दूर होते हुये भी कितने करीब हैं। संगम तमिल साहित्य में हजारों मील दूर बहती गंगा का गौरव गान किया गया था, तमिल ग्रंथ कलितोगै में वाराणसी के लोगों की प्रशंसा की गई है। हमारे पूर्वजों ने तिरुप्पुगल के जरिए भगवान मुरुगा और काशी की महिमा एक साथ गाई थी, दक्षिण का काशी कहे जाने वाले तेनकासी की स्थापना की थी।


साथियों,


ये भौतिक दूरियां और ये भाषा-भेद को तोड़ने वाला अपनत्व ही था, जो स्वामी कुमरगुरुपर तमिलनाडु से काशी आए और इसे अपनी कर्मभूमि बनाया था। धर्मापुरम आधीनम के स्वामी कुमरगुरुपर ने यहां केदार घाट पर केदारेश्वर मंदिर का निर्माण कराया था। बाद में उनके शिष्यों ने तंजावुर जिले में कावेरी नदी के किनारे काशी विश्वनाथ मंदिर की स्थापना की थी। मनोन्मणियम सुंदरनार जी ने तमिलनाडु के राज्य गीत ‘तमिल ताई वाड़्तु’ को लिखा है। कहा जाता है कि उनके गुरू कोडगा-नल्लूर सुंदरर स्वामीगल जी ने काशी के मणिकर्णिका घाट पर काफी समय बिताया था। खुद मनोन्मणियम सुंदरनार जी पर भी काशी का बहुत प्रभाव था। तमिलनाडु में जन्म लेने वाले रामानुजाचार्य जैसे संत भी हजारों मील चलकर काशी से कश्मीर तक की यात्रा करते थे। आज भी उनके ज्ञान को प्रमाण माना जाता है। सी राजगोपालाचारी जी की लिखी रामायण और महाभारत से, दक्षिण से उत्तर तक, पूरा देश आज भी inspiration लेता है। मुझे याद है, मेरे एक टीचर ने मुझे कहा था कि तुमने रामायण और महाभारत तो पढ़ ली होगी, लेकिन अगर इसे गहराई से समझना है तो जब भी तुम्हे मौका मिले तुम राजाजी ने जो रामायण महाभारत लिखेंगे, वो पढ़ोगे तो तुम्हे कुछ समझ आएगा। मेरा अनुभव है, रामानुजाचार्य और शंकराचार्य से लेकर राजाजी और सर्वपल्ली राधाकृष्णन  तक, दक्षिण के विद्वानों ने भारतीय दर्शन को समझे बिना हम भारत को नहीं जान सकते, ये महापुरुष हैं, उनको हमें समझना होगा।


साथियों,


आज भारत ने अपनी ‘विरासत पर गर्व’ का पंच-प्राण सामने रखा है। दुनिया में किसी भी देश के पास कोई प्राचीन विरासत होती है, तो वो देश उस पर गर्व करता है। उसे गर्व से दुनिया के सामने प्रमोट करता है। हम Egypt के पिरामिड से लेकर इटली के कोलोसियम और पीसा की मीनार तक, ऐसे कितने ही उदाहरण देख सकते हैं। हमारे पास भी दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा तमिल है। आज तक ये भाषा उतनी ही पॉपुलर है, उतनी ही alive है। दुनिया में लोगों को पता चलता है कि विश्व की oldest language भारत में है, तो उन्हें आश्चर्य होता है। लेकिन हम उसके गौरवगान में पीछे रहते हैं। ये हम 130 करोड़ देशवासियों की ज़िम्मेदारी है कि हमें तमिल की इस विरासत को बचाना भी है, उसे समृद्ध भी करना है। अगर हम तमिल को भुलाएंगे तो भी देश का नुकसान होगा, और तमिल को बंधनों में बांधकर रखेंगे तो भी इसका नुकसान है। हमें याद रखना है- हम भाषा भेद को दूर करें, भावनात्मक एकता कायम करें।


साथियों,


काशी-तमिल संगमम्, मैं मानता हूँ, ये शब्दों से ज्यादा अनुभव का विषय है। अपनी इस काशी यात्रा के दौरान आप उनकी मेमरीज़ से जुड़ने वाले हैं, जो आपके जीवन की पूंजी बन जाएंगे। मेरे काशीवासी आपके सत्कार में कोई कमी नहीं छोड़ेंगे। मैं चाहता हूँ, तमिलनाडु और दक्षिण के दूसरे राज्यों में भी इस तरह के आयोजन हों, देश के दूसरे हिस्सों से लोग वहाँ जाएँ, भारत को जियें, भारत को जानें। मेरी कामना है, काशी-तमिल संगमम् इससे जो अमृत निकले, उसे युवा के लिए रिसर्च और अनुसंधान के जरिए आगे बढ़ाएँ। ये बीज आगे राष्ट्रीय एकता का वटवृक्ष बने। राष्ट्र हित ही हमारा हित है – ‘नाट्टु नलने नमदु नलन’। ये मंत्र हमारे देशवासी का जीवनमंत्र बनना चाहिए। इसी भावना के साथ, आप सभी को एक बार फिर ढेरों शुभकामनायें।


भारत माता की जय,


भारत माता की जय,


भारत माता की जय,


धन्यवाद!


वणक्कम्




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DS/ST/DK




(Release ID: 1877325)
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Text of PM’s address at the Bengaluru Tech Summit


Leaders of the tech world, international delegates, and friends, 


एल्लारिगू नमस्कारा Welcome to India! नम्म कन्नडा नाडिगे स्वागता, नम्म बेन्गलुरिगे स्वागता. 


I am delighted to address the Bengaluru Tech summit once again. I am sure you all are loving the warm people and vibrant culture of Karnataka.


Friends,


Bengaluru is the home of technology and thought leadership. It is an inclusive city. It is also an innovative city. For many years, Bengaluru is number one in India’s Innovation Index.


Friends,


India’s technology and innovation have already impressed the world. But the future will be much bigger than our present. Because India has: Innovative youth and increasing tech access.


Friends,


The power of India’s youth is known across the world. They have ensured tech globalisation and talent globalisation. Healthcare, management, finance – you will find young Indians leading many domains. We are using our talent for global good. Even in India, their impact is being seen. India jumped to the 40th rank in the Global Innovation Index this year. In 2015, we were ranked 81! The number of unicorn start-ups in India has doubled since 2021! We are now the 3rd largest start-up hub in the world. We have over 81,000 recognised startups. There are hundreds of international companies that have R&D centres in India. This is due to India’s talent pool.


Friends,


Indian youth are being empowered by increasing tech access. A mobile and data  revolution is happening in the country. In the last 8 years, Broadband connections rose from 60 million to 810 million, Smartphone users went from 150 million to 750 million. The growth of the internet is faster in rural areas than in urban areas. A new demographic is being connected to the information superhighway.


Friends, 


For a long time, technology was seen as an exclusive domain. It was said to be only for the high and mighty. But India has shown how to democratise technology. India has also shown how to give tech a human touch. In India, technology is a force of equality and empowerment. The world’s largest health insurance scheme Ayushman Bharat provides a safety net for nearly 200 million families. It means, about 600 million people! This programme is run based on a tech platform. India ran the world’s largest COVID-19 vaccine drive. It was run through a tech-based platform called COWIN. Let us go from the health sector to education. 


India has one of the largest online repositories of open courses. There are thousands of courses available across different subjects. Over 10 million successful certification have happened. This is all done online and free. Our data  tariffs are among the lowest in the world. During COVID-19, low data costs helped poor students to attend online classes. Without this, two precious years would have been lost for them.


Friends, 


India is using technology as a weapon in the war against poverty. Under Svamitva scheme, we are using drones to map lands in rural areas. Then, property cards are given to the people. This reduces land disputes. It also helps the poor to access financial services and credit. During COVID-19, many countries were struggling with a problem. They knew people needed help. They knew benefit transfers would help. But they did not have the infrastructure to take benefits to people. But India showed how technology could be a force for the good. Our Jan Dhan Aadhar Mobile Trinity gave us the power to directly transfer benefits. Benefits went directly to authenticated and verified beneficiaries. Billions of rupees reached the bank accounts of the poor. During COVID-19, everyone was worried about small businesses. We helped them but we went one step further. We help street vendors access working capital to restart businesses. Those who start using digital payments are given incentives. This is making digital transactions a way of life for them.


Friends, 


Have you heard of a government running a successful e-commerce platform? It has happened in India. We have the Government e-Marketplace, also called GeM. It is a platform where small traders and businesses fulfil the government’s needs. Technology has helped small businesses find a big customer. At the same time, this has reduced the scope for corruption. Similarly, technology has helped with online tendering.This has accelerated projects and boosted transparency. It has also hit a procurement value of Rs One trillion last year.


Friends, 


Innovation is important. But when backed by integration, it becomes a force. Technology is being used to end silos, enable synergy and ensure service. On a shared platform, there are no silos. Take, for example, the PM Gati Shakti National Masterplan. India is investing over Rs 100 trillion in infrastructure over the next few years. The number of stakeholders in any infra project is huge. Traditionally, in India, big projects were often delayed. Exceeding expenses, and extending timelines used to be common. But now, we have the Gati Shakti shared platform. The central government, state governments, district administrations, different departments can coordinate. Each of these knows what the other is doing. Information relating to projects, land use and institutions are available at a single place. So, each stakeholder sees the same data. This improves coordination and solves problems even before they occur. It is accelerating approvals and clearances.


Friends,


India is no more a place known for red tape. It is known for red carpet for investors. Whether it is FDI reforms, Or liberalization of drone rules, Or steps in the semiconductor sector, Or the production incentive schemes in various sectors, Or the rise of ease of doing business,


Friends, 


India has many excellent factors coming together. Your investment and our innovation can do wonders. Your trust and our tech talent can make things happen. I invite you all to work with us as we lead the world in solving its problems. I am sure your deliberations at the Bangalore Tech Summit will be interesting and fruitful. I wish you all the best.




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DS/VJ/AK




(Release ID: 1876323)
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Text of PM’s address at launch of Rozgar Mela & distributes appointment letters to 75000 candidates




साथियों,


आज भारत की युवा शक्ति के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। बीते आठ वर्षों में देश में रोजगार और स्वरोजगार का जो अभियान चल रहा है, आज उसमें एक और कड़ी जुड़ रही है। ये कड़ी है रोज़गार मेले की। आज केंद्र सरकार आजादी के 75 वर्ष को ध्यान में रखते हुए 75 हज़ार युवाओं को एक कार्यक्रम के अंतर्गत नियुक्ति पत्र दे रही है। बीते आठ वर्षों में पहले भी लाखों युवाओं को नियुक्ति पत्र दिए गए हैं लेकिन इस बार हमने तय किया  कि इकट्ठे नियुक्ति पत्र देने की परंपरा भी शुरू की जाए। ताकि departments भी time bound प्रक्रिया पूरा करने  और निर्धारित लक्ष्यों को जल्द से पार करने का एक सामूहिक स्वभाव बने, सामूहिक प्रयास हो। इसलिए भारत सरकार में इस तरह का रोजगार मेला शुरू किया गया है। आने वाले महीनों में इसी तरह लाखों युवाओं को भारत सरकार द्वारा समय-समय पर नियुक्ति पत्र सौंपे जाएंगे। मुझे खुशी है कि एनडीए शासित कई राज्य और केंद्र शासित प्रदेश भी  और भाजपा सरकारें भी अपने यहां इसी तरह रोज़गार मेले आयोजित करने जा रहे हैं। जम्मू कश्मीर, दादरा एवं नगर हवेली, दमन-दीव और अंडमान-निकोबार भी आने वाले कुछ ही दिनों में हजारों युवाओं को ऐसे ही कार्यक्रम करके  नियुक्ति पत्र देने वाले हैं। आज जिन युवा साथियों को नियुक्ति पत्र मिला है, उन्हें मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं।


साथियों,


आप सभी ऐसे समय में भारत सरकार के साथ जुड़ रहे हैं, जब देश आज़ादी के अमृतकाल में प्रवेश कर चुका है। विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि के लिए हम आत्मनिर्भर भारत के रास्ते पर चल रहे हैं। इसमें हमारे इनोवेटर्स, हमारे एंटरप्रन्योर्स, हमारे उद्यमी, हमारे किसान, सर्विसेज़ और मैन्युफेक्चरिंग से जुड़े हर किसी की बहुत  बड़ी भूमिका है। यानि विकसित भारत का निर्माण सबके प्रयास से ही संभव है। सबका प्रयास की इस भावना को तभी जागृत किया जा सकता है, जब हर भारतीय तक मूल सुविधाएं तेज़ी से पहुंचें, और सरकार की प्रक्रियाएं तेज़ हों, त्वरित हों। कुछ ही महीनों में लाखों भर्तियों से जुड़ी प्रक्रियाएं पूरी करना, नियुक्ति पत्र दे देना, ये अपने आप में दिखाता है कि बीते 7-8 वर्षों में कितना बड़ा बदलाव सरकारी तंत्र में लाया गया है। हमने 8-10 साल पहले की वो स्थितियां भी देखी हैं जब छोटे से सरकारी काम में भी कई-कई महीने लग जाते थे।  सरकारी फाइल पर एक टेबल से दूसरे टेबल तक पहुंचते-पहुंचते धूल जम जाती थी। लेकिन अब देश में स्थितियां बदल रही हैं, देश की कार्यसंस्कृति बदल रही है।


साथियों,


आज अगर केंद्र सरकार के विभागों में इतनी तत्परता, इतनी efficiency आई है इसके पीछे 7-8 साल की कड़ी मेहनत है, कर्मयोगियों का विराट संकल्प है। वरना आपको याद होगा, पहले सरकारी नौकरी के लिए अगर किसी को अप्लाई करना होता था, तो वहीं से अनेक परेशानियां शुरु हो जाती थीं। भांति-भांति के प्रमाण पत्र मांगे जाते, जो प्रमाणपत्र होते भी थे उनको प्रमाणित करने के लिए आपको नेताओं के घर के बाहर कतार लगाकर खड़ा रहना पड़ता था।  अफसरों की सिफारिश लेकर के जाना पड़ता था। हमने सरकार के शुरुआती वर्षों में ही इन सब मुश्किलों से युवाओं को मुक्ति दे दी। सेल्फ अटेस्टेशन, युवा अपने सर्टिफिकेट खुद प्रमाणित करे, ये व्यवस्था की। दूसरा बड़ा कदम हमने केंद्र सरकार की ग्रुप सी और ग्रुप डी इन भर्तियों में इंटरव्यू को खत्म करके उन सारे परंपराओं को उठा लिया। इंटरव्यू की प्रक्रिया को समाप्त करने से भी लाखों नौजवानों को बहुत फायदा हुआ है।


साथियों,


आज भारत दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था है। 7-8 साल के भीतर हमने 10वें नंबर से 5वे नंबर तक की छलांग लगाई है। ये सही है कि दुनिया के हालात ठीक नहीं हैं, अनेक बड़ी-बड़ी अर्थव्यवस्थाएं संघर्ष कर रही हैं। दुनिया के अनेक देशों में महंगाई हो, बेरोज़गारी हो, अनेक समस्याएं अपने चरम पर है। 100 साल में आए सबसे बड़े संकट के साइड इफेक्ट्स, 100 दिन में चले जाएंगे, ऐसा न हम सोचते हैं, न हिन्दुस्तान सोचता है और न ही दुनिया अनुभव करती है। लेकिन इसके बावजूद संकट बड़ा है, विश्वव्यापी है और उसका प्रभाव चारों तरफ हो रहा है, दुष्प्रभाव हो रहा है। लेकिन इसके बावजूद भारत पूरी मज़बूती से लगातार नए नए initiative लेकर के, थोड़ा रिस्क लेकर के भी  ये प्रयास कर रहा है ये जो दुनिया भर में संकट है उससे हम हमारे देश को कैसे बचा पाएं? इसका दुष्प्रभाव हमारे देश पर कम से कम कैसे हो? बड़ा कसौटी काल है  लेकिन आप सबके आशीर्वाद से, आप सबके सहयोग से अब तक तो हम बच पाए हैं। ये इसलिए संभव हो पा रहा है क्योंकि बीते 8 वर्षों में हमनें देश की अर्थव्यवस्था की उन कमियों को दूर किया है, जो रुकावटें पैदा करती थीं।


साथियों,


 इस देश में ऐसा वातावरण बना रहे हैं,  जिसमें खेती की, प्राइवेट सेक्टर की, छोटे और लघु उद्योगों की ताकत बढ़े।  ये देश में रोज़गार देने वाले सबसे बड़े सेक्टर हैं। आज हमारा सबसे अधिक बल युवाओं के कौशल विकास पर है, स्किल डेवल्पमेंट पर है। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत देश के उद्योगों की ज़रूरतों के हिसाब से युवाओं को ट्रेनिंग देने का एक बहुत बड़ा अभियान चल रहा है। इसके तहत अभी तक सवा करोड़ से अधिक युवाओं को स्किल इंडिया अभियान की मदद से ट्रेन किया जा चुका है। इसके लिए देशभर में कौशल विकास केंद्र खोले गए हैं। इन आठ वर्षों में केंद्र सरकार द्वारा उच्च शिक्षा के सैकड़ों नए संस्थान भी बनाए गए हैं। हमने युवाओं के लिए स्पेस सेक्टर खोला है, ड्रोन पॉलिसी को आसान बनाया है ताकि युवाओं के लिए देशभर में ज्यादा से ज्यादा अवसर बढ़ें।


साथियों,


देश में बड़ी संख्या में रोज़गार और स्वरोजगार के निर्माण में सबसे बड़ी रुकावट बैंकिंग व्यवस्था तक बहुत सीमित लोगों की पहुंच भी थी। इस रुकावट को भी हमने दूर कर दिया है। मुद्रा योजना ने देश के गांवों और छोटे शहरों में उद्यमशीलता का विस्तार किया है। अभी तक इस योजना के तहत करीब-करीब 20 लाख करोड़ रुपए के ऋण दिए जा चुके हैं। देश में स्वरोजगार से जुड़ा इतना बड़ा कार्यक्रम पहले कभी लागू नहीं किया गया। इसमें भी जितने साथियों को ये ऋण मिला है,  उसमें से साढ़े 7 करोड़ से अधिक लोग ऐसे हैं, जिन्होंने पहली बार अपना कोई कारोबार शुरू किया है, अपना कोई बिजनेस शुरु किया है। और इसमें भी सबसे बड़ी बात, मुद्रा योजना का लाभ पाने वालों में लगभग 70 प्रतिशत लाभार्थी हमारी बेटियां हैं, माताएं-बहनें हैं। इसके अलावा एक और आंकड़ा बहुत महत्वपूर्ण है। बीते वर्षों में सेल्फ हेल्प ग्रुप से 8 करोड़ महिलाएं जुड़ी हैं जिन्हें भारत सरकार आर्थिक मदद दे रही है। ये करोड़ों महिलाएं अब अपने बनाए उत्पाद, देशभर में बिक्री कर रही हैं, अपनी आय बढ़ा रही हैं। अभी मैं ब्रदीनाथ में कल पूछ रहा था, माताएं-बहनें जो सेल्फ हेल्प ग्रुप मुझे मिलीं, उन्होंने कहा इस बार जो बद्रीनाथ यात्रा पर लोग आए थे। हमारा ढाई लाख रुपया, हमारा एक-एक ग्रुप की कमाई हुई है।


साथियों,


गांवों में बड़ी संख्या में रोज़गार निर्माण का एक और उदाहरण, हमारा खादी और ग्रामोद्योग है। देश के पहली बार खादी और ग्रामोद्योग, 1 लाख करोड़ रुपए से अधिक का हो चुका है। इन वर्षों में खादी और ग्रामोद्योग में 1 करोड़ से अधिक रोज़गार बने हैं।  इसमें भी बड़ी संख्या में हमारी बहनों की हिस्सेदारी है।


साथियों,


स्टार्ट अप इंडिया अभियान ने तो देश के युवाओं के सामर्थ्य को पूरी दुनिया में स्थापित कर दिया है। 2014 तक जहां देश में कुछ गिने चुने सौ कुछ सौ स्टार्ट अप थे, आज ये संख्या 80 हज़ार से अधिक हो चुकी है। हज़ारों करोड़ रुपए की अनेक कंपनियां इस दौरान हमारे युवा साथियों ने तैयार कर ली हैं। आज देश के इन हज़ारों स्टार्ट अप्स में लाखों युवा काम कर रहे हैं। देश के MSMEs में, छोटे उद्योगों में भी आज करोड़ों लोग काम कर रहे हैं, जिसमें बड़ी संख्या में साथी बीते वर्षों में जुड़े हैं। कोरोना के संकट के दौरान केंद्र सरकार ने MSMEs के लिए जो 3 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा की मदद दी, उससे करीब डेढ़ करोड़ रोज़गार जिस पर संकट आया हुआ था वो बच गए। भारत सरकार मनरेगा के भी माध्यम से देशभर में 7 करोड़ लोगों को रोजगार दे रही है। और उसमें अब हम asset निर्माण, asset creation पर बल दे रहे  हैं। डिजिटल इंडिया अभियान ने भी पूरे देश में लाखों डिजिटल आंट्रप्रन्योर्स का निर्माण किया है। देश में 5 लाख से अधिक कॉमन सर्विस सेंटर्स में ही लाखों युवाओं को रोज़गार मिला है। 5G के विस्तार से डिजिटल सेक्टर में रोज़गार के अवसर और बढ़ने वाले हैं।


साथियों,


21वीं सदी में देश का सबसे महत्वकांक्षी मिशन है, मेक इन इंडिया, आत्मनिर्भर भारत। आज देश कई मामलों में एक बड़े आयातक importer से एक बहुत बड़े निर्यातक exporter  की भूमिका में आ रहा है। अनेक ऐसे सेक्टर हैं, जिसमें भारत आज ग्लोबल हब बनने की तरफ तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। जब खबर आती है कि भारत से हर महीने 1 अरब मोबाइल फोन पूरी दुनिया के लिए एक्सपोर्ट हो रहे हैं, तो ये हमारे नए सामर्थ्य को ही दिखाता है। जब भारत एक्सपोर्ट के अपने पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ देता है, तो ये इस बात का सबूत होता है कि ग्राउंड लेवल पर रोजगार के नए अवसर भी बन रहे हैं। आज गाड़ियों से लेकर मेट्रो कोच, ट्रेन के डिब्बे और डिफेंस के साजो सामान तक अनेक सेक्टर में निर्यात तेज़ी से बढ़ रहा है। ये तभी हो पा रहा है क्योंकि भारत में फैक्ट्रियां बढ़ रही हैं। फैक्ट्रियां बढ़ रही हैं, फैक्ट्रियां बढ़ रही हैं, तो उसमें काम करने वालों की संख्या बढ़ रही है।


साथियों,


मैन्युफेक्चरिंग और टूरिज्म, दो ऐसे सेक्टर हैं, जिसमें बहुत बड़ी संख्या में रोज़गार मिलते हैं। इसलिए आज इन पर भी केंद्र सरकार बहुत व्यापक तरीके से काम कर रही है। दुनियाभर की कंपनियां भारत में आएं, भारत में अपनी फैक्ट्रियां लगाएं और दुनिया की डिमांड को पूरी करें, इसके लिए प्रक्रियाओं को भी सरल किया जा रहा है। सरकार ने प्रोडक्शन के आधार पर इंसेंटिव देने के लिए PLI स्कीम भी चलाई है। जितना ज्यादा प्रोडक्शन उतना अधिक प्रोत्साहन, ये भारत की नीति है। इसके बेहतर परिणाम आज अनेक सेक्टर्स में दिखने शुरु भी हो चुके हैं। बीते वर्षों में EPFO का जो डेटा आता रहा है, वो भी बताता है कि रोजगार को लेकर सरकार की नीतियां से कितना लाभ हुआ है। दो दिन पहले आए डेटा के मुताबिक इस साल अगस्त के महीने में करीब 17 लाख लोग EPFO से जुड़े हैं।  यानि ये देश की फॉर्मल इकॉनॉमी का हिस्सा बने हैं। इसमें भी करीब 8 लाख ऐसे हैं जो 18 से 25 साल की उम्र के ग्रुप के हैं।


साथियों,


इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण से रोजगार निर्माण का भी एक और बड़ा अवसर होता है, एक बहुत बड़ा पक्ष होता है, और इस विषय में तो दुनियाभर में सब लोग मान्यता है  कि हां ये क्षेत्र है जो रोजगार बढ़ाता है। बीते आठ वर्षों में देशभर में हजारों किलोमीटर नेशनल हाईवे का निर्माण हुआ है। रेल लाइन के दोहरीकरण का काम हुआ है, रेलवे के गेज परिवर्तन का काम हुआ है, रेलवे में इलेक्ट्रिफिकेशन पर देशभर में काम किया जा रहा है। देश में नए हवाई अड्डे बना रहा है, रेलवे स्टेशनों का आधुनिकीकरण हो रहा है, नए वॉटरवेज बन रहे हैं। आप्टिकल फाइबर नेटवर्क का पूरे देश में बड़ा अभियान चल रहा है। लाखों वेलनेस सेंटर बन रहे हैं।  पीएम आवास योजना के तहत तीन करोड़ से ज्यादा घर भी बनाए गए हैं।  और आज शाम को धनतेरस पर जब मध्य प्रदेश के साढ़े चार लाख  भाई-बहनों को अपने घरों की चाबी सौंपूंगा तो मैं इस विषय पर भी  विस्तार से बोलने वाला हूं। मैं आपसे भी आग्रहकरूंगा। आज मेरा शाम का भाषण भी देख लीजिए।


साथियों,


भारत सरकार, इंफ्रास्ट्रक्चर पर सौ लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का लक्ष्य लेकर चल रही है। इतने बड़े पैमाने पर हो रहे विकास कार्य, स्थानीय अवसर पर युवाओं के लिए रोजगार के लाखों अवसर बना रहे हैं। आधुनिक इंफ्रा के लिए हो रहे ये सारे कार्य, टूरिज्म सेक्टर को भी नई ऊर्जा दे रहे हैं। आस्था के, आध्यात्म के, ये ऐतिहासिक महत्व के स्थानों को भी देशभर में विकसित किया जा रहा है। ये सारे प्रयास, रोजगार बना रहे हैं, दूर-सुदूर में भी युवाओं को मौके दे रहे हैं। कुल मिलाकर देश में अधिक से अधिक रोजगार के निर्माण के लिए केंद्र सरकार एक साथ अनेक मोर्चों पर काम कर रही है।


साथियों,


देश की युवा आबादी को हम अपनी सबसे बड़ी ताकत मानते हैं। आज़ादी के अमृतकाल में विकसित भारत के निर्माण के सारथी हमारे युवा हैं, आप सभी हैं। आज जिन्हें नियुक्ति पत्र मिला है, उनसे मैं विशेष तौर पर कहना चाहूंगा कि आप जब भी दफ्तर आएंगे अपने कर्तव्य पथ को हमेशा याद करें। आपको जनता की सेवा के लिए नियुक्त किया जा रहा है। 21वीं सदी के भारत में सरकारी सेवा सुविधा का नहीं, बल्कि समय सीमा के भीतर काम करके देश के कोटि-कोटि लोगों की सेवा करने का एक कमिटमेंट है, एक स्वर्णिम अवसर है। स्थितियां, परिस्थितियां कितनी भी कठिन हों, सेवाभाव का सरोकार और समय सीमा की मर्यादा को हर हाल में हम सब मिलकर के  कायम रखने का प्रयास करेंगे। मुझे विश्वास है कि आप इस बड़े संकल्प को ध्यान में रखते हुए, सेवाभाव को सर्वोपरि रखेंगे। याद रखिए, आपका सपना आज से शुरु हुआ है, जो विकसित भारत के साथ ही पूरा होगा। आप सभी को फिर से नियुक्ति पत्र जीवन की एक नई शुरूआत के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं और मुझे विश्वास है कि आप मेरे अनन्य साथी बनकर के हम सब मिलकर के देश के सामान्य मानवीय की आशा, आकांक्षाओं को पूरा करने में कोई कमी नहीं रखेंगे। धनतेरस का पावन पर्व है। हमारे यहां इसका अत्यंत महत्व भी है। दिवाली भी सामने आ रही है। यानि एक त्यौहारों का पल है। उसमें आपके हाथ में ये पत्र होना आपके त्यौहारों को अधिक उमंग और उत्साह से भर देंगे साथ में एक संकल्प से भी जोड़ देंगे जो संकल्प एक सौ साल का जब भारत की आजादी का समय होगा। अमृतकाल के 25 साल आपके जीवन के भी 25 साल, महत्वपूर्ण 25 साल आईये मिलकर के देश को नई ऊंचाईयों पर ले जाएं। मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं। बहुत-बहुत धन्यवाद। 


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Text of PM’s address at public gathering in Ujjain, Madhya Pradesh


हर हर महादेव ! जय श्री महाकाल, जय श्री महाकाल महाराज की जय ! महाकाल महादेव, महाकाल महा प्रभो। महाकाल महारुद्र, महाकाल नमोस्तुते॥ उज्जैन की पवित्र पुण्यभूमि पर इस अविस्मरणीय कार्यक्रम में उपस्थित देश भर से आए सभी चरण-वंद्य संतगण, सम्मानीय साधु-संन्यासी गण, मध्य प्रदेश के राज्यपाल श्रीमान मंगूभाई पटेल, छत्तीसगढ़ की राज्यपाल बहन अनुसुइया उईके जी, झारखंड के राज्यपाल श्रीमान रमेश बैंस जी, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री भाई शिवराज सिंह चौहान जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी, राज्य सरकार के मंत्रिगण, सांसदगण, विधायकगण, भगवान महाकाल के सभी कृपापात्र श्रद्धालुगण, देवियों और सज्जनों, जय महाकाल!




उज्जैन की ये ऊर्जा, ये उत्साह! अवंतिका की ये आभा, ये अद्भुतता, ये आनंद! महाकाल की ये महिमा, ये महात्म्य! महाकाल लोक में लौकिक कुछ भी नहीं है। शंकर के सानिध्य में साधारण कुछ भी नहीं है। सब कुछ अलौकिक है, असाधारण है। अविस्मरणीय है, अविश्वसनीय है। मैं आज महसूस कर रहा हूँ, हमारी तपस्या और आस्था से जब महाकाल प्रसन्न होते हैं, तो उनके आशीर्वाद से ऐसे ही भव्य स्वरूपों का निर्माण होता है। और, महाकाल का आशीर्वाद जब मिलता हैं तो काल की रेखाएँ मिट जाती हैं, समय की सीमाएं सिमट जाती हैं, और अनंत के अवसर प्रस्फुटित हो जाते हैं। अंत से अनंत यात्रा आरंभ हो जाती है। महाकाल लोक की ये भव्यता भी समय की सीमाओं से परे आने वाली कई-कई पीढ़ियों को अलौकिक दिव्यता के दर्शन कराएगी, भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक चेतना को ऊर्जा देगी। मैं इस अद्भुत अवसर पर राजाधिराज महाकाल के चरणों में शत् शत् नमन करता हूँ। मैं आप सभी को, देश और दुनिया में महाकाल के सभी भक्तों को हृदय से बहुत – बहुत  बधाई देता हूँ। विशेष रूप से, मैं शिवराज सिंह चौहान और उनकी सरकार, उनका मैं हृदय से अभिनंदन करता हूँ, जो लगातार इतने समर्पण से इस सेवायज्ञ में लगे हुये हैं। साथ ही, मैं मंदिर ट्रस्ट से जुड़े सभी लोगों का, संतों और विद्वानों का भी आदरपूवर्क  धन्यवाद करता हूँ जिनके सहयोग ने इस प्रयास को सफल किया है।




साथियों,


महाकाल की नगरी उज्जैन के बारे में हमारे यहाँ कहा गया है- प्रलयो न बाधते तत्र महाकालपुरी अर्थात्, महाकाल की नगरी प्रलय के प्रहार से भी मुक्त है। हजारों वर्ष पूर्व जब भारत का भौगोलिक स्वरूप आज से अलग रहा होगा, तब से ये माना जाता रहा है कि उज्जैन भारत के केंद्र में है। एक तरह से, ज्योतिषीय गणनाओं में उज्जैन न केवल भारत का केंद्र रहा है, बल्कि ये भारत की आत्मा का भी केंद्र रहा है। ये वो नगर है, जो हमारी पवित्र सात पुरियों में से एक गिना जाता है। ये वो नगर है, जहां स्वयं भगवान कृष्ण ने भी आकर शिक्षा ग्रहण की थी। उज्जैन ने महाराजा विक्रमादित्य का वो प्रताप देखा है, जिसने भारत के नए स्वर्णकाल की शुरुआत की थी। महाकाल की इसी धरती से विक्रम संवत के रूप में भारतीय कालगणना का एक नया अध्याय शुरू हुआ था। उज्जैन के क्षण-क्षण में,पल-पल में इतिहास सिमटा हुआ है, कण-कण में आध्यात्म समाया हुआ है, और कोने-कोने में ईश्वरीय ऊर्जा संचारित हो रही है। यहाँ काल चक्र का, 84 कल्पों का प्रतिनिधित्व करते 84 शिवलिंग हैं। यहाँ 4 महावीर हैं, 6 विनायक हैं, 8 भैरव हैं, अष्टमातृकाएँ हैं, 9 नवग्रह हैं, 10 विष्णु हैं, 11 रुद्र हैं, 12 आदित्य हैं, 24 देवियाँ हैं, और 88 तीर्थ हैं। और इन सबके केंद्र में राजाधिराज कालाधिराज महाकाल विराजमान हैं। यानि, एक तरह से हमारे पूरे ब्रह्मांड की ऊर्जा को हमारे ऋषियों ने प्रतीक स्वरूप में उज्जैन में स्थापित किया हुआ है। इसीलिए, उज्जैन ने हजारों वर्षों तक भारत की संपन्नता और समृद्धि का, ज्ञान और गरिमा का, सभ्यता और साहित्य का नेतृत्व किया है। इस नगरी का वास्तु कैसा था, वैभव कैसा था, शिल्प कैसा था, सौन्दर्य कैसा था, इसके दर्शन हमें महाकवि कालिदास के मेघदूतम् में होते हैं। बाणभट्ट जैसे कवियों के काव्य में यहाँ की संस्कृति और परम्पराओं का चित्रण हमें आज भी मिलता है। यही नहीं, मध्यकाल के लेखकों ने भी यहाँ के स्थापत्य और वास्तुकला का गुणगान किया है।




भाइयों और बहनों,


किसी राष्ट्र का सांस्कृतिक वैभव इतना विशाल तभी होता है, जब उसकी सफलता का परचम, विश्व पटल पर लहरा रहा होता है। और, सफलता के शिखर तक पहुँचने के लिए भी ये जरूरी है कि राष्ट्र अपने सांस्कृतिक उत्कर्ष को छुए, अपनी पहचान के साथ गौरव से सर उठाकर के खड़ा हो जाए। इसीलिए, आजादी के अमृतकाल में भारत ने गुलामी की मानसिकता से मुक्ति और अपनी विरासत पर गर्व जैसे पंचप्राण का आह्वान किया हैं। इसीलिए, आज अयोध्या में भव्य राममंदिर का निर्माण पूरी गति से हो रहा है। काशी में विश्वनाथ धाम, भारत की सांस्कृतिक राजधानी का गौरव बढ़ा रहा है। सोमनाथ में विकास के कार्य नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं। उत्तराखंड में बाबा केदार के आशीर्वाद से केदारनाथ-बद्रीनाथ तीर्थ क्षेत्र में विकास के नए अध्याय लिखे जा रहे हैं। आजादी के बाद पहली बार चारधाम प्रोजेक्ट के जरिए हमारे चारों धाम ऑल वेदर रोड्स से जुड़ने जा रहे हैं। इतना ही नहीं, आजादी के बाद पहली बार करतारपुर साहिब कॉरिडॉर खुला है, हेमकुंड साहिब रोपवे से जुड़ने जा रहा है। इसी तरह, स्वदेश दर्शन और प्रासाद योजना से देशभर में हमारी आध्यात्मिक चेतना के ऐसे कितने ही केन्द्रों का गौरव पुनर्स्थापित हो रहा है। और अब इसी कड़ी में, ये भव्य, अतिभव्य महाकाल लोक भी अतीत के गौरव के साथ भविष्य के स्वागत के लिए तैयार हो चुका है। आज जब हम उत्तर से दक्षिण तक, पूरब से पश्चिम तक अपने प्राचीन मंदिरों को देखते हैं, तो उनकी विशालता, उनका वास्तु हमें आश्चर्य से भर देता है। कोणार्क का सूर्य मंदिर हो या महाराष्ट्र में एलोरा का कैलाश मंदिर, ये विश्व में किसे विस्मित नहीं कर देते? कोणार्क सूर्य मंदिर की तरह ही गुजरात का मोढेरा सूर्य मंदिर भी है, जहां सूर्य की प्रथम किरणें सीधे गर्भगृह तक प्रवेश करती हैं। इसी तरह, तमिलनाडू के तंजौर में राजाराज चोल द्वारा बनवाया गया बृहदेश्वर मंदिर है। कांचीपुरम में वरदराजा पेरुमल मंदिर है, रामेश्वरम में रामनाथ स्वामी मंदिर है। बेलूर का चन्नकेशवा मंदिर है, मदुरई का मीनाक्षी मंदिर है, तेलंगाना का रामप्पा मंदिर है, श्रीनगर में शंकराचार्य मंदिर है। ऐसे कितने ही मंदिर हैं, जो बेजोड़ हैं, कल्पनातीत हैं, ‘न भूतो न भविष्यति’ के जीवंत उदाहरण हैं। हम जब इन्हें देखते हैं तो हम सोचने को मजबूर हो जाते हैं कि उस दौर में, उस युग में किस तकनीक से ये निर्माण हुये होंगे। हमारे सारे प्रश्नों के उत्तर हमें भले ही न मिलते हों, लेकिन इन मंदिरों के आध्यात्मिक सांस्कृतिक संदेश हमें उतनी ही स्पष्टता से आज भी सुनाई देते हैं। जब पीढ़ियाँ इस विरासत को देखती हैं, उसके संदेशों को सुनती हैं, तो एक सभ्यता के रूप में ये हमारी निरंतरता और अमरता का जरिया बन जाता है। महाकाल लोक में ये परंपरा उतने ही प्रभावी ढंग से कला और शिल्प के द्वारा उकेरी गई है। ये पूरा मंदिर प्रांगण शिवपुराण की कथाओं के आधार पर तैयार किया गया है। आप यहाँ आएंगे तो महाकाल के दर्शन के साथ ही आपको महाकाल की महिमा और महत्व के भी दर्शन होंगे। पंचमुखी शिव, उनके डमरू, सर्प, त्रिशूल, अर्धचंद्र और सप्तऋषि, इनके भी उतने ही भव्य स्वरूप यहाँ स्थापित किए गए हैं। ये वास्तु, इसमें ज्ञान का ये समावेश, ये महाकाल लोक को उसके प्राचीन गौरव से जोड़ देता है। उसकी सार्थकता को और भी बढ़ा देता है।




भाइयों और बहनों,


हमारे शास्त्रों में एक वाक्य है- शिवम् ज्ञानम्। इसका अर्थ है, शिव ही ज्ञान हैं। और, ज्ञान ही शिव है। शिव के दर्शन में ही ब्रह्मांड का सर्वोच्च दर्शन है। और, दर्शन ही शिव का दर्शन है। इसलिए मैं मानता हूँ, हमारे ज्योतिर्लिंगों का ये विकास भारत की आध्यात्मिक ज्योति का विकास है, भारत के ज्ञान और दर्शन का विकास है। भारत का ये सांस्कृतिक दर्शन एक बार फिर शिखर पर पहुँचकर विश्व के मार्गदर्शन के लिए तैयार हो रहा है।




साथियों,


भगवान् महाकाल एकमात्र ऐसे ज्योतिर्लिंग हैं जो दक्षिणमुखी हैं। ये शिव के ऐसे स्वरूप हैं, जिनकी भस्म आरती पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। हर भक्त अपने जीवन में भस्म आरती के दर्शन जरूर करना चाहता है। भस्म आरती का धार्मिक महत्व यहाँ उपस्थित आप सब संतगण ज्यादा गहराई से बता पाएंगे, लेकिन, मैं इस परंपरा में हमारे भारत की जीवटता और जीवंतता के दर्शन भी करता हूँ। मैं इसमें भारत के अपराजेय अस्तित्व को भी देखता हूँ। क्योंकि, जो शिव सोयं भूति विभूषण: हैं, अर्थात्, भस्म को धारण करने वाले हैं, वो सर्वाधिपः सर्वदा भी हैं। अर्थात, वो अनश्वर और अविनाशी भी हैं। इसलिए, जहां महाकाल हैं, वहाँ कालखण्डों की सीमाएं नहीं हैं। महाकाल की शरण में विष में भी स्पंदन होता है। महाकाल के सानिध्य में अवसान से भी पुनर्जीवन होता है। अंत से भी अनंत की यात्रा आरंभ होती है। यही हमारी सभ्यता का वो आध्यात्मिक आत्मविश्वास है जिसके सामर्थ्य से भारत हजारों वर्षों से अमर बना हुआ है। अजरा अमर बना हुआ है। अब तक हमारी आस्था के ये केंद्र जागृत हैं, भारत की चेतना जागृत है, भारत की आत्मा जागृत है। अतीत में हमने देखा है, प्रयास हुये, परिस्थितियाँ बदलीं, सत्ताएं बदलीं, भारत का शोषण भी हुआ, आज़ादी भी गई। इल्तुतमिश जैसे आक्रमणकारियों ने उज्जैन की ऊर्जा को भी नष्ट करने के प्रयास किए। लेकिन हमारे ऋषियों ने कहा है- चंद्रशेखरम् आश्रये मम् किम् करिष्यति वै यमः? अर्थात्, महाकाल शिव की शरण में अरे मृत्यु भी हमारा क्या कर लेगी? और इसलिए, भारत अपनी आस्था के इन प्रामाणिक केन्द्रों की ऊर्जा से फिर पुनर्जीवित हो उठा, फिर उठ खड़ा हुआ। हमने फिर अपने अमरत्व की वैसी ही विश्वव्यापी घोषणा कर दी। भारत ने फिर महाकाल के आशीष से काल के कपाल पर कालातीत अस्तित्व का शिलालेख लिख दिया। आज एक बार फिर, आजादी के इस अमृतकाल में अमर अवंतिका भारत के सांस्कृतिक अमरत्व की घोषणा कर रही है। उज्जैन जो हजारों वर्षों से भारतीय कालगणना का केंद्र बिन्दु रहा है, वो आज एक बार फिर भारत की भव्यता के एक नए कालखंड का उद्घोष कर रहा है।




साथियों,


भारत के लिए धर्म का अर्थ है, हमारे कर्तव्यों का सामूहिक संकल्प! हमारे संकल्पों का ध्येय है, विश्व का कल्याण, मानव मात्र की सेवा। हम शिव की आराधना में भी कहते हैं- नमामि विश्वस्य हिते रतम् तम्, नमामि रूपाणि बहूनि धत्ते! अर्थात्, हम उन विश्वपति भगवान शिव को नमन करते हैं, जो अनेक रूपों से पूरे विश्व के हितों में लगे हैं। यही भावना हमेशा भारत के तीर्थों, मंदिरों, मठों और आस्था केन्द्रों की भी रही है। यहाँ महाकाल मंदिर में पूरे देश और दुनिया से लोग आते हैं। सिंहस्थ कुम्भ लगता है तो लाखों लोग जुटते हैं। अनगिनत विविधताएं भी एक मंत्र, एक संकल्प लेकर एक साथ जुट सकती हैं, इसका इससे बड़ा और उदाहरण क्या हो सकता है? और हम जानते हैं हजारों साल से हमारे कुंभ मेले की परंपरा बहुत ही सामुहिक मंथन के बाद जो अमृत निकलता है उससे संकल्प लेकर के बारह साल तक उसको क्रियान्वित करने की परंपरा रही थी। फिर बारह साल के बाद जब कुंभ होता था, फिर एक बार अमृत मंथन होता था। फिर संकल्प लिया जाता था। फिर बारह साल के लिए चल पड़ते थे। पिछले कुंभ के मेले में मुझे यहां आने का सौभाग्य मिला था। महाकाल का बुलावा आया और ये बेटा आए बिना कैसे रह सकता है। और उस समय कुंभ की जो हजारों साल की पुरानी परंपरा उस समय जो मन मस्तिष्क में मंथन चल रहा था, जो विचार प्रवाह बह रहा था। मां क्षिप्रा के तट पे अनेक विचारों से मैं घिरा हुआ था। और उसी में से मन कर गया, कुछ शब्द चल पड़े, पता नहीं कहां से आए, कैसे आए, और जो भाव पैदा हुआ था। वो संकल्प बन गया। आज वो सृष्टि के रूप में नजर आ रहा है दोस्तों। मैं ऐसे साथियों को बधाई देता हूं जिन्होंने उस समय के उस भाव को आज चरितार्थ करके दिखाया है। सबके मन में शिव और शिवत्व के लिए समर्पण, सबके मन में क्षिप्रा के लिए  श्रद्धा, जीव और प्रकृति के लिए संवेदानशीलता, और इतना बड़ा समागम! विश्व के हित के लिए, विश्व की भलाई के लिए कितनी प्रेरणाएं यहाँ निकल सकती हैं?




भाइयों और बहनों,


हमारे इन तीर्थों ने सदियों से राष्ट्र को संदेश भी दिये हैं, और सामर्थ्य भी दिया है। काशी जैसे हमारे केंद्र धर्म के साथ-साथ ज्ञान, दर्शन और कला की राजधानी भी रहे। उज्जैन जैसे हमारे स्थान खगोलविज्ञान, एस्ट्रॉनॉमी से जुड़े शोधों के शीर्ष केंद्र रहे हैं। आज नया भारत जब अपने प्राचीन मूल्यों के साथ आगे बढ़ रहा है, तो आस्था के साथ साथ विज्ञान और शोध की परंपरा को भी पुनर्जीवित कर रहा है। आज हम एस्ट्रॉनॉमी के क्षेत्र में दुनिया की बड़ी ताकतों के बराबर खड़े हो रहे हैं। आज भारत दूसरे देशों की सैटिलाइट्स भी स्पेस में लॉंच कर रहा है। मिशन चंद्रयान और मिशन गगनयान जैसे अभियानों के जरिए भारत आकाश की वो छलांग लगाने के लिए तैयार है, जो हमें एक नई ऊंचाई देगी। आज रक्षा के क्षेत्र में भी भारत पूरी ताकत से आत्मनिर्भता की ओर आगे बढ़ रहा है। इसी तरह, आज हमारे युवा स्कील हो, स्पोर्टस हो, स्पोर्ट्स से स्टार्टअप्स, एक-एक चीज नई नए स्टार्टअप के साथ, नए यूनिकार्न के साथ हर क्षेत्र में भारत की प्रतिभा का डंका बजा रहे हैं।




और भाइयों बहनों,


हमें ये भी याद रखना है, ये न भूलें, जहां innovation है, वहीं पर renovation भी है। हमने गुलामी के कालखंड में जो खोया, आज भारत उसे renovate कर रहा है, अपने गौरव की, अपने वैभव की पुनर्स्थापना हो रही है। और इसका लाभ, सिर्फ भारत के लोगों को नहीं, विश्वास रखिये साथियों, महाकाल के चरणों में बैठे हैं, विश्वास से भर जाइये। और मैं विश्वास से कहता हूं इसका लाभ  पूरे विश्व को मिलेगा, पूरी मानवता को मिलेगा। महाकाल के आशीर्वाद से भारत की भव्यता पूरे विश्व के विकास के लिए नई संभावनाओं को जन्म देगी। भारत की दिव्यता पूरे विश्व के लिए शांति के मार्ग प्रशस्त करेगी। इसी विश्वास के साथ, भगवान महाकाल के चरणों में मैं एक बार फिर सिर झुकाकर के  प्रणाम करता हूँ। मेरे साथ पूरे भक्ति भाव से बोलिये जय महाकाल! जय जय महाकाल, जय जय महाकाल, जय जय महाकाल, जय जय महाकाल, जय  जय महाकाल, जय  जय महाकाल, जय जय महाकाल।


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DS/TS/DK




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Hindi







Text of PM’s address at the launch of various development initiatives in Ahmedabad, Gujarat


नमस्ते भाईयों,


आज गुजरात की स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए एक बहुत बड़ा दिन है। मैं भूपेन्द्र भाई को, मंत्रिपरिषद के सभी साथियों को, मंच पर बैठे हुए सभी सांसदों को, विधायकों को, कॉरपोरेशन के सभी महानुभावों को इस महत्वपूर्ण कार्य को आगे बढ़ाने के लिए और तेज गति से आगे बढ़ाने के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं और धन्यवाद करता हूं। दुनिया की सबसे एडवांस्ड मेडिकल टेक्नालजी, बेहतर से बेहतर सुविधाएं और मेडिकल इनफ्रास्ट्रक्चर अब अपने अहमदाबाद और गुजरात में और ज्यादा उपलब्ध होंगे, और इस समाज के सामान्य मानवीय को उपयोग होंगे। जो प्राइवेट अस्पताल में नहीं जा सकते हैं। एैसे हर किसी के लिए ये सरकारी अस्पताल, सरकारी टीम 24 घंटे सेवा के लिए तैयार रहेगी भाईयों-बहनों। तीन-साढ़े तीन वर्ष पहले मुझे यहाँ इस परिसर में आकर के 1200 बेड्स की सुविधा के साथ Maternal and Child Health और super-specialty services की शुरुआत का सौभाग्य मिला था। आज इतने कम समय में ही ये मेडिसिटी कैम्पस भी इतने भव्य स्वरूप में हमारे सामने तैयार हो चुका है। साथ ही, Institute of Kidney Diseases और U N Mehta Institute of Cardiology इसकी क्षमता और सेवाओं का भी विस्तार हो रहा है। Gujarat Cancer Research Institute की नई बिल्डिंग के साथ upgraded Bone marrow transplant जैसी सुविधायें भी शुरू हो रही हैं। ये देश का पहला सरकारी अस्पताल होगा, जहां साइबर-नाइफ़ जैसी आधुनिक तकनीक उपलब्ध होगी। जब विकास की गति गुजरात जैसी तेज होती है, तो काम और उपलब्धियां इतनी ज्यादा होती हैं कि उन्हें कई बार गिनना भी कठिन हो जाता है। हमेशा की तरह, ऐसा बहुत कुछ है जो देश में पहली बार गुजरात कर रहा है। मैं आप सभी को और सभी गुजरातवासियों को इन उपलब्धियों के लिए बधाई देता हूँ। विशेषरूप से मैं मुख्यमंत्री भूपेन्द्र भाई पटेल और उनकी सरकार की पूरी-पूरी प्रशंसा करता हूँ, जिन्होंने इतनी मेहनत से इन योजनाओं को सफल बनाया।


साथियों,


आज स्वास्थ्य से जुड़े इस कार्यक्रम में, मैं गुजरात की एक बड़ी यात्रा के बारे में बात करना चाहता हूं। ये यात्रा है, तरह-तरह की बीमारियों से स्वस्थ होने की। अब आप सोचेंगे अस्पताल मे कार्यक्रम है। मोदी तरह-तरह की बीमारियां क्या कह रहा है। मैं बताता हूं मैं कौन-कौन सी तरह-तरह की बीमारीयां, मैं डॉक्टर नहीं हूं लेकिन मुझे ठीक करनी पड़ती थी। 20-25 साल पहले गुजरात की व्यवस्थाओं को बहुत सारी बीमारियों ने जकड़ा हुआ था। एक बीमारी थी- स्वास्थ्य क्षेत्र में पिछड़ापन। दूसरी बीमारी थी- शिक्षा में कुव्यवस्था। तीसरी बीमारी थी- बिजली का अभाव। चौथी बीमारी थी- पानी की किल्लत। पांचवी बीमारी थी- हर तरफ फैला हुआ कुशासन। छठी बीमारी थी- खराब कानून और व्यवस्था। और इन सारी बीमारियों की जड़ में सबसे बड़ी बीमारी थी- वोट बैंक का पॉलिटिक्स। वोट बैंक की राजनीति। जो बड़े-बुजुर्ग यहां मौजूद हैं, गुजरात की जो पुरानी पीढ़ी के लोग हैं। उनको ये सारी बातें सब अच्छी तरह याद है। यही हालात थे 20-25 साल पहले के गुजरात के! अच्छी शिक्षा के लिए युवाओं को बाहर जाना पड़ता था। अच्छे इलाज के लिए लोगों को भटकना पड़ता था। लोगों को बिजली के लिए इंतज़ार करना पड़ता था। भ्रष्टाचार और खस्ताहाल कानून व्यवस्था से तो हर दिन जूझना पड़ता था। लेकिन आज गुजरात उन सारी बीमारियों को पीछे छोड़कर, आज सबसे आगे चल रहा है। और इसलिए जैसे नागरिकों को बीमारी से मुक्त करना, वैसे राज्य को भी अनेकों बीमारीयों से मुक्त करने का ये मुक्तयग्न हम चला रहे हैं। और हम मुक्त करने का हर कोशिश प्रयास करते रहते हैं। आज जब बात होती है हाइटेक हॉस्पिटल्स की तो गुजरात का नाम सबसे ऊपर रहता है। जब मैं यहां मुख्यमंत्री था, मैं सिविल अस्पताल में कई बार आता था, और मैं देख रहा था मध्यप्रदेश के कुछ इलाके, राजस्थान के कुछ इलाके, बहुत बड़ी मात्रा में उपचार के लिए सिविल अस्पताल आना पसंद करते थे।


साथियों,


अगर शिक्षा संस्थानों की बात, एक से बढ़कर एक यूनिवर्सिटी की बात हो तो आज गुजरात काकोई मुकाबला नहीं है। गुजरात में पानी की स्थिति, बिजली की स्थिति, कानून व्यवस्था की स्थिति अब सब सुधर चुका है। आज सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास वाली सरकार लगातार गुजरात की सेवा के लिए काम कर रही है।


साथियों,


आज अहमदाबाद में इस हाइटेक मेडिसिटी और स्वास्थ्य से जुड़ी दूसरी सेवाओं ने गुजरात की पहचान को एक नई ऊंचाई दी है। ये केवल एक सेवा संस्थान ही नहीं है, साथ ही ये गुजरात के लोगों की क्षमता का प्रतीक भी है। मेडिसिटी में गुजरात के लोगों को अच्छा स्वास्थ्य भी मिलेगा, और ये गर्व भी होगा कि विश्व की टॉप मेडिकल facilities अब हमारे अपने राज्य में लगातार बढ़ रही हैं। मेडिकल टूरिज़्म के क्षेत्र में गुजरात का जो अपार सामर्थ्य है, उसमें भी अब और वृद्धि होगी।


साथियों,


हम सभी अक्सर सुनते हैं कि स्वस्थ शरीर के लिए स्वस्थ मन जरूरी होता है। ये बात सरकारों पर भी लागू होती है। अगर सरकारों का मन स्वस्थ नहीं होता, नीयत साफ नहीं होती, उनके मन में जनता जनार्दन के लिए संवेदनशीलता नहीं होती, तो राज्य का स्वास्थ्य ढांचा भी कमजोर हो जाता है। गुजरात के लोगों ने 20-22 साल पहले तक ये पीड़ा बहुत झेली है, और पीड़ा से मुक्ति के लिए हमारे डॉक्टर साथी, आमतौर पर आप किसी भी डॉक्टर से मिलने जाएंगे, ज्यादातर डॉक्टर तीन सलाह तो जरूर देंगे। तीन अलग-अलग अल्टरनेट बताएंगे। पहले कहते हैं भई दवा से ठीक हो जाएगा। फिर उनको लगता है ये दवा वाला तो स्टेज चला गया है। तो उनको मजबूरन कहना पड़ता है भई सर्जरी के बिना कोई चारा नहीं है। दवा हो या सर्जरी लेकिन उसके साथ वो घरवालों को समझाते हैं। कि मैं तो मेरा काम कर लूंगा लेकिन देखभाल की जिम्मेवारी आपकी है। आप पेशेंट को अच्छी तरह देखभाल करना। उसके लिए भी वो एडवाइज करते हैं।


साथियों,


मैं इसी बात को अलग तरीके से सोचूं तो गुजरात की चिकित्सा व्यवस्था को सुधारने के लिए हमारी सरकार ने इलाज के इन तीनों तरीकों का इस्तेमाल किया। जो आप पेशेंट के लिए कहते हैं ना मैं राज्य व्यवस्था के लिए ऐसे ही करता था। जो डॉक्टर सलाह देते हैं। सर्जरी- यानी पुरानी सरकारी व्यवस्था में हिम्मत के साथ पूरी ताकत से बदलाव। निष्क्रियता, लचरपंथी, और भ्रष्टाचार पर कैंची, ये मेरी सर्जरी रही है। दूसरा, दवाई- यानी नई व्यवस्था को खड़ा करने के लिए नित्य नूतन प्रयास, नई व्यवव्स्थाएं भी विकसित करना, Human Resource विकसित करना, Infrastructure विकसित करना, Research करना, Innovation करना, नए अस्पताल बनाना, अनेक ऐसे काम। और तीसरी बात, देखभाल या केयर-


ये गुजरात के हेल्थ सेक्टर को ठीक करने का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। हमने केयर यानी, संवेदनशीलता के साथ काम किया। हम लोगों के बीच गए, उनकी तकलीफ को साझा किया। और इतना ही नहीं मैं आज बड़ी नम्रता के साथ कहना चाहता हूं। गुजरात इस देश में पहला राज्य था। वो सिर्फ इंसान की नहीं पशुओं के लिए भी हेल्थ कैंप लगाते थे। और जब मैं दुनिया को कहता था कि मेरे यहां पशुओं की Dental Treatment होती है, पशु की Eye Treatment होती है, तो बाहर के लोगों को अजूबा लगता था।


भाईयों-बहनों,


हमने जो प्रयास किए वो लोगों को साथ जोड़कर, जनभागीदारी से लिए। और जब कोरोना का संकट था तो G-20 समिट में मैं बोल रहा था। तब मैंने बंड़े आग्रह से कहा था। दुनियां की इतनी भयानक स्थिति को देखते हुए मैंने कहा था- जब तक हम One Earth, One Health इस मिशन को लेकर के काम नहीं करेंगे। जो गरीब है, पीड़ित है, उसकी कोई मदद नहीं करेगा और दुनिया में हमनें देखा है। कुछ देश ऐसे हैं जहां चार-चार, पांच-पांच, वैक्सीन के डोज हो गए कोरोना में, और दूसरी तरफ कुछ देश ऐसे हैं जहां गरीब को एक भी वैक्सीन नसीब नहीं हुआ। तब मुझे दर्द होता था दोस्तों। तब भारत को वो ताकत लेकर के निकले, हमने दुनिया में वैक्सीन पहुंचाने का प्रयास किया। ताकि दुनिया में कोई मरना नहीं चाहिए भाईयों। और हम सबने देखा है कि जब व्यवस्था स्वस्थ हो गई, तो गुजरात का स्वास्थ्य क्षेत्र भी स्वस्थ हो गया। लोग देश में गुजरात की मिसालें देने लगे।


साथियों,


प्रयास जब पूरे मन से holistic अप्रोच के साथ किए जाते हैं तो उनके परिणाम भी उतने ही बहुआयामी होते हैं। यही गुजरात की सफलता का मंत्र है। आज गुजरात में अस्पताल भी हैं, डॉक्टर्स भी हैं, और युवाओं के लिए डॉक्टर बनने का सपना पूरा करने का अवसर भी हैं। 20-22 साल पहले हमारे इतने बड़े राज्य में केवल 9 मेडिकल कॉलेज हुआ करते थे। केवल 9 मेडिकल कॉलेज! जब मेडिकल कॉलेज कम थे तो सस्ते और अच्छे इलाज की गुंजाइश भी कम थी। लेकिन, आज यहाँ 36 मेडिकल कॉलेज अपनी सेवाएँ दे रहे हैं। 20 साल पहले गुजरात के सरकारी अस्पतालों में 15 हजार करीब-करीब बेड थे। अब यहां के सरकारी अस्पतालों में बेड की संख्या 60 हजार हो चुकी है। पहले गुजरात में अंडर ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल की कुल सीटें 2200 हुआ करती थीं।


अब गुजरात में आठ हजार पांच सौ बैठकें मेडिकल सीट्स हमारे युवाओं-युवतियों के लिए उपलब्ध हैं। इनमें पढ़कर निकले डॉक्टर्स गुजरात के कोने-कोने में स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूती दे रहे हैं। आज हजारों सब-सेंटर्स, CHCs, PHCs और वेलनेस सेंटर्स का एक बड़ा नेटवर्क भी पूरी तरह गुजरात में तैयार हो चुका है।


और साथियों,


मैं आपको बताना चाहता हूं कि गुजरात ने जो सिखाया, वो दिल्ली जाने के बाद मेरे काम बहुत आया। स्वास्थ्य के इसी विज़न को लेकर हमने केंद्र में भी काम करना शुरू किया। इन 8 वर्षों में हमने देश के लगभग अलग-अलग हिस्सों में 22 नए AIIMS दिए हैं। इसका लाभ भी गुजरात को हुआ है। राजकोट में गुजरात को अपना पहला एम्स मिला है। गुजरात में जिस तरह हेल्थ सेक्टर में काम हो रहा है, वो दिन दूर नहीं जब गुजरात Medical Research, Pharma Research और Bio-tech Research में पूरी दुनिया में अपना परचम फहरायेगा।डबल इंजन की सरकार का बहुत बड़ा फोकस इस पर है।


साथियों,


जब संसाधनों के साथ संवेदनाएं जुड़ जाती हैं तो संसाधन सेवा का उत्तम माध्यम बन जाते हैं। लेकिन, जहां संवेदना नहीं होती है, वहाँ संसाधन स्वार्थ और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाते हैं। इसीलिए, मैंने शुरुआत में संवेदनाओं का भी ज़िक्र किया, और कुशासन वाली पुरानी व्यवस्था की याद भी दिलाई। अब व्यवस्था बदल चुकी है। इसी संवेदनशील और पारदर्शी व्यवस्था का परिणाम है कि अहमदाबाद में मेडिसिटी बना है, कैंसर इंस्टीट्यूट का आधुनिकीकरण हुआ है। और, साथ ही गुजरात के हर जिले में डे केयर कीमोथेरेपी की सुविधा भी शुरू होती है, ताकि गांव-गांव से मरीजों को कीमोथेरेपी के लिए भागना न पड़े। अब आप चाहे गुजरात के किसी भी कोने में हों, आपको घर के नजदीक में ही,अपने ही जिले में कीमोथेरेपी जैसा अहम इलाज उपलब्ध हो जाएगा। इसी तरह, भूपेन्द्र भाई की सरकार द्वारा डायलिसिस जैसी जटिल स्वास्थ्य सेवा भी तालुका स्तर पर दी जा रही है। गुजरात ने डायलिसिस वैन की सुविधा भी शुरू की है,


ताकि मरीज को अगर जरूरत है तो उसके घर जाकर भी उसको सेवा दी जा सके। आज यहाँ 8 फ्लोर के रैनबसेरे का लोकार्पण भी हुआ है। और जहां तक डायलिसिस का सवाल है। पूरे हिन्दुस्तान में सारी व्यव्स्था लचर थी। डायलिसिस वाले के लिए एक निश्चित समय सीमा में डायलिसिस होना जरूरी है। तब जाकर के मैंने दुनिया के बड़े-बड़े हेल्थ सेक्टर में काम करने वालों से बात की। मैंने कहा मुझे मेरे हिन्दुस्तान में हर जिले में डायलिसिस सेंटर बनाने हैं। और जैसे गुजरात में तहसील तक काम जा रहा है। मैंने देश में जिले तक डायलिसिस की व्यव्स्था पहुंचाने का बड़ा बीड़ा उठाया, और बहुत बड़ी मात्रा में काम चल रहा है।




साथियों,


मरीज के परिवार वाले जिन मुश्किलों से जूझ रहे होते हैं, उन्हें और तकलीफ का सामना न करना पड़े, ये चिंता गुजरात सरकार ने की है। यही आज देश के काम करने का तरीका है। यही आज देश की प्राथमिकताएँ हैं।


साथियों,


जब सरकार संवेदनशील होती है तो उसका सबसे बड़ा लाभ समाज के कमजोर वर्ग को होता है, गरीब को होता है, मध्यम वर्ग के परिवार को होता है, माताओं-बहनों को होता है। पहले हम देखते थे कि गुजरात में मातृ मृत्युदर, शिशु मृत्युदर इतनी चिंता का विषय था, लेकिन सरकारों ने उसे किस्मत के नाम पर छोड़ रखा था। हमने तय किया कि ये हमारी माताओं-बहनों के जीवन का प्रश्न है। इसका ठीकरा किसी की किस्मत पर नहीं फोड़ने दिया जाएगा। पिछले 20 वर्षों में हमने इसके लिए लगातार सही नीतियां बनाई, उन्हें लागू किया। आज गुजरात में माता मृत्युदर और शिशु मृत्युदर में बड़ी कमी आई है। माँ का जीवन भी बच रहा है, और नवजात भी दुनिया में सुरक्षित अपना विकास की यात्रा पर कदम रख रहा हैं। ‘बेटी-बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ अभियान इसके कारण पहली बार बेटों की तुलना में बेटियों की संख्या ज्यादा हुई है दोस्तों। इन सफलताओं के पीछे गुजरात सरकार की ‘चिरंजीवी’ और ‘खिलखिलाहट’ जैसी योजनाओं की मेहनत लगी है। गुजरात की ये सफलता, ये प्रयास आज पूरे देश को ‘मिशन इंद्रधनुष’ और ‘मातृवंदना’ जैसी योजनाओं के जरिए मार्गदर्शन दे रही है।


साथियों,


आज देश में हर गरीब के मुफ्त इलाज के लिए आयुष्मान भारत जैसी योजनाएँ उपलब्ध हैं। गुजरात में ‘आयुष्मान भारत’ और ‘मुख्यमंत्री अमृतम’ योजना एक साथ मिलकर गरीबों की चिंता और बोझ कम कर रही हैं। यही डबल इंजन सरकार की ताकत होती है।


साथियों,


शिक्षा और स्वास्थ्य, ये दो ऐसे क्षेत्र हैं जो केवल वर्तमान ही नहीं बल्कि भविष्य की दिशा भी तय करते हैं। और उदाहरण के तौर पर अगर हम देखें, 2019 में सिविल हॉस्पिटल में 1200 बेड की सुविधा होती थी। एक साल बाद जब वैश्विक महामारी आई तो, यही अस्पताल सबसे बड़े सेंटर के रूप में उभरकर सामने आया। उस एक हेल्थ इनफ्रास्ट्रक्चर ने कितने लोगों का जीवन बचाया। इसी तरह, 2019 में ही अहमदाबाद में AMC के SVP हॉस्पिटल, उसकी शुरुआत हुई थी। इस अस्पताल ने भी वैश्विक महामारी से लड़ने में बड़ी भूमिका निभाई। अगर गुजरात में बीते 20 वर्षों में इतना आधुनिक मेडिकल इनफ्रास्ट्रक्चर तैयार नहीं होता, तो कल्पना करिए वैश्विक महामारी से लड़ने में हमें कितनी मुश्किलें आतीं? हमें गुजरात के वर्तमान को भी बेहतर करना है, और भविष्य को भी सुरक्षित रखना है। मुझे विश्वास है, अपने विकास की इस गति को गुजरात और आगे बढ़ाएगा, और ऊंचाई पर लेकर जाएगा, और आपके आर्शीवाद निरंतर बनते रहेंगे और उसी ताकत को लेकर के हम और अधिक ऊर्जा के साथ आपकी सेवा करते रहेंगे। मैं आप सबको उत्तम स्वास्थ्य की कामना करता हूं। और आप निरोगी रहें, आपका परिवार निरोगी रहे, यही मेरे गुजरात के भाईयों-बहनों को शुभकामनाएं देते हुए मेरी वाणी को विराम देता हूं। बहुत-बहुत धन्यवाद।




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DS/LP/DK/AK




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