इस महंगाई के जमाने में बुजुर्ग पेंशनर्स 2500 में अपना महीने का खर्च कैसे चला सकते हैं। पिछले एक साल में लाखों पेंशनर्स दम तोड़ चुके हैं, जिंदगी हमें मोहलत नहीं दे रही, हम किसी को क्या मोहलत दें, हम बसों के शीशे नहीं तोड़ सकते, सरकार बता कि हम अपना हक लेने के लिए क्या करें-अशोक राउत, ईपीएफ राष्ट्रीय संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष कमांडर

कोशियारी समिति की सिफारिशों के तहत कम से कम 7,500 रुपये मासिक पेंशन और अंतरिम राहत के रूप में 5000 रुपये और महंगाई भत्ते की मांग के लिए संघर्ष कर रहे ईपीएस-95 के पेंशनर्स आमरण अनशन और सामूहिक आत्मदाह पर आमदा हो गए हैं। ईपीएफ पेंशनर्स 4 दिसंबर2018 से नई दिल्ली के भीकाजी कामा प्लेस स्थित भविष्य निधि ऑफिस के सामने आमरण अनशन करेंगे। ईपीएफ राष्ट्रीय संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष कमांडर अशोक राउत ने बताया कि पेंशनर्स की मांगें अगर सरकार 6 दिसंबर तक नहीं मानी तो वह 7 दिसम्बर को जंतर -मंतर परसामूहिक आत्मदाह का रास्ता अपनाएंगे | कमांडर अशोक राउत ने कहा की ज़िन्दगी हमें मोहलत नहीं दे रही हम किसी को क्या मोहलत देंगे। गौरतलब है कि एक साल के भीतर 2 लाख पेंशनर्स दम तोड़ चुके हैं। ईपीएफ पेंशन के लिए संघर्ष कर रहे लोग 60 से 80 वर्ष की उम्र के हैं। उनके पास ज्यादा जिंदगी नहीं बची है।

ईपीएफ राष्ट्रीय संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष कमांडर अशोक राउत ने तंज कसते हुए कहा कि 7 दिसंबर को विभिन्न् दलों के नेता हमारे सामूहिक आत्मदाह कार्यक्रम का रिबन काटकर उद्घाटन करें। रोज-रोज मरने से अच्छा है कि एक दिन मरकर जिंदगी खत्म कर दी जाए। हम अपना हक पाने के लिए हर जायज तरीके से आंदोलन किया। तालाबंदी की, सांसदों के धर के आगे प्रदर्शन किया,भिक्षा मागी, मुंडन तक कराया। अब सरकार हमें बताएं कि किस ढंग से हम प्रदर्शन करें, जो उनके कानों में जूं रेंगेगी । हम बुजुर्ग है। सड़क पर उतरकर तोड़फोड़ नहीं कर सकते। बसों के शीशे नहीं तोड़ सकते। हमारे पास बहुत कम जिंदगी बची है।

राउत ने कहा कि 2014 में माननीय प्रधानमंत्री ने पेंशन धारकों को मिलने वाली पेंशन की राशि 1000 रुपये करने की घोषणा की थी, लेकिन आज भी करीब 17 लाख पेंशन धारकों को 1000 रुपये से भी कम पेंशन मिल रही है और ईपीएफओ पेंशन धारकों को गुमराह कर रहा है। पेंशन धारक इतने परेशान हैं कि वह अर्धनग्न होकर प्रदर्शन करने के अलावा सांसदों के घऱों और दफ्तरों का घेराव भी चुके है। इसके अलावा पेंशनर्स मुंडन करवाकर और भिक्षा मांगकर भी अपना विरोध जता चुके हैं।

राउत ने कहा कि ईपीएस-95 योजना के तहत 62 लाख पेंशनधारक है, जिसमें से करीब 40 लाख सदस्यों को हर महीने 1500 रुपये से कम पेंशन मिल रही है और अन्य कर्मचारियों को 2 हजार रुपये से ढाई हजार रुपये मासिक पेंशन मिल रही है। कर्मचारियों का कहना है कि कमरतोड़ महंगाई के जमाने में इतनी कम पेंशन में महीने का खर्च चलना काफी मुश्किल है। ईपीएस-95 पेंशनर देश भर में सीबीटी मेंबर्स के घर और ऑफिस के सामने धरना दे चुके हैं। देश भर में कामगारों के नुमाइंदे माने जाने वाले 10 सीबीटी के सदस्यों के घर हैदराबाद, नई दिल्ली, विशाखापटनम, जलगांव (महाराष्ट्र), लखनऊ, चंडीगढ़, नई दिल्ली और कोलकाता में ईपीएफ पेंशनर्स ने धरना दिया था। राउत ने कहा, “इतनी महंगाई के जमाने में ईपीएस-95 के पेंशनर्स को सिर्फ 200 रुपये से 2500 महीने पेंशन मिल रही है, दूसरी ओर सरकारी कर्मचारियों की महीने का तनख्वाह 1 लाख या 1.50 लाख तक पहुंच गई है।

राउत ने बताया कि ईपीएफ पेंशनर्स अपनी मांगों की प्रतियां माननीय प्रधानमंत्री के अलावा माननीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, वित्त मंत्री, श्रम और रोजगार मंत्री, सभी सांसदों, सभी सीबीटी के सदस्यों और दिल्ली पुलिस के कमिश्नर को पत्र भेज चुके हैं।

हमारी मुख्य मांगें यह है

ईपीएफ राष्ट्रीय संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष कमांडर अशोक राउत ने बताया कि ईपीएफओ की ओर से 31 मई 2017 को जारी किए गए अंतरिम पत्र पेन-1/12/33/ईपीएस संशोधन/96/वॉल्यूम II/4432 को रद्द कर माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार ईपीएस-95 पेंशनर्स को उच्च पेंशन की सुविधा दी जाए। कम से कम 7500 रुपये और महंगाई भत्ता महीने मासिक पेंशन दी जाए, अंतरिम राहत के रूप में 5000 रुपये महंगाई भत्ते की मांग की गई है। जिन पेंशनर्स को ईपीएस-95 योजना में शामिल नहीं किया गया है, उन्हें अंशदान लेकरं पेंशन योजना में भागीदार बनाया जाए। ईपीएस-95 के सदस्यों और उनकी पत्नी को मुफ्त मेडिकल सुविधाएं उपलब्ध हो, 20 साल तक काम करने वाले पेंशनर्स को नियमानुसार दो साल का वेटेज दिया जाए। ईपीएस की सदस्यता में बढ़ोतरी की जाए। ईपीएस कर्मचारियों को मिलने वाली न्यूनतम पेंशन 1,000 रुपये से बढ़ाकर ,7500की जाए। पेंशन को डीए से जोड़ा जाए।
ईपीएफ राष्ट्रीय संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष कमांडर अशोक राउत ने बताया कि केंद्र के पास पेंशनर्स से जमा किए गए फंड के तहत 4 लाख करोड़ से अधिक रुपये जमा हैं, जिस पर सरकार ब्याज कमा रही है, लेकिन हकदारों को उनका हक नहीं मिल रहा है।