प्याज की ये 3 किस्में सबसे दमदार, इस ट्रिक से करें खेती, बना देंगी मालामाल

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Onion cultivation tips : प्याज की बुवाई का समय आ गया है. अक्टूबर से नवंबर का पहला हफ्ता प्याज की बुवाई के लिए सबसे सही है. किसान इस महीने की बुवाई से कम समय में अच्छी उपज पा सकते हैं. सिर्फ कुछ बातों का ध्यान रखना होगा.

Onion best varieties/रायबरेली. अक्टूबर का महीना प्याज की खेती के लिए सबसे सही माना जाता है. इस समय मौसम ठंडा और मिट्टी में नमी संतुलित होती है, जो प्याज के अच्छे विकास के लिए जरूरी है. प्याज एक ऐसी फसल है, जिसकी मांग पूरे साल बनी रहती है, इसलिए किसान इस महीने की बुवाई से कम समय में अच्छी उपज और मुनाफा कमा सकते हैं. कृषि के क्षेत्र में 10 वर्षों का अनुभव रखने वाले रायबरेली जिले के राजकीय कृषि केंद्र शिवगढ़ के प्रभारी अधिकारी शिव शंकर वर्मा (बीएससी एग्रीकल्चर डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, अयोध्या) लोकल 18 से बताते हैं कि अक्टूबर में प्याज की खेती करने से किसान सीमित समय में अधिक उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं. उन्नत किस्मों का चयन, सही बुवाई और उचित देखभाल से फसल न केवल रोग-मुक्त रहती है बल्कि बाजार में अच्छे दाम भी देती है. इस मौसम में प्याज की खेती किसानों के लिए लाभदायक और सुरक्षित निवेश साबित हो सकती है.

इन किस्मों का चुनाव

शिव शंकर वर्मा के मुताबिक, अक्टूबर में प्याज की बुवाई के लिए उन्नत और उच्च उत्पादक किस्मों का चयन करना सबसे फायदेमंद रहता है. प्याज की पूसा रेड, एग्री फाउंड डार्क रेड और N-53 जैसी किस्में जल्दी बढ़ने वाली और रोग-प्रतिरोधी मानी जाती हैं. ये किस्में प्याज की उन्नत किस्में में शामिल हैं. इन किस्मों में न केवल उत्पादन अधिक होता है, बल्कि इनके फल लंबे समय तक ताजे भी रहते हैं. किसानों के लिए यह महत्त्वपूर्ण है कि बीज प्रमाणित और गुणवत्तायुक्त हों, ताकि बुवाई से लेकर कटाई तक नुकसान का जोखिम कम हो. प्याज हल्की दोमट मिट्टी में सबसे अच्छी तरह उगता है. मिट्टी में पर्याप्त नमी और अच्छे जल निकासी की व्यवस्था होना आवश्यक है. तापमान 15°C से 25°C तक होना चाहिए, ताकि पौधे स्वस्थ रहें और प्याज की गांठ अच्छे आकार की बनें.

बुवाई का सही तरीका

अक्टूबर के मध्य से नवंबर के पहले सप्ताह तक प्याज की बुवाई करना सबसे उपयुक्त माना जाता है. बीज को पहले गमलों या नर्सरी में बोकर 4–6 सप्ताह तक अंकुरित किया जाता है, फिर मुख्य खेत में ट्रांसप्लांट किया जाता है. पंक्तियों के बीच 15–20 सेंटीमीटर और पौधों के बीच 10–12 सेंटीमीटर की दूरी रखें.प्याज की फसल में संतुलित उर्वरक देना बेहद जरूरी है. प्रति हेक्टेयर 60–70 किलोग्राम नाइट्रोजन, 30–40 किलोग्राम फॉस्फोरस और 20–25 किलोग्राम पोटाश उत्पादन बढ़ाने में मदद करता है. सिंचाई में नमी का विशेष ध्यान रखें. हल्की जलवायु में सप्ताह में 2–3 बार सिंचाई पर्याप्त होती है. फूल आने के समय पानी की मात्रा कम कर दें, ताकि प्याज सड़े नहीं.

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Priyanshu Gupta

Priyanshu has more than 10 years of experience in journalism. Before News 18 (Network 18 Group), he had worked with Rajsthan Patrika and Amar Ujala. He has Studied Journalism from Indian Institute of Mass Commu…और पढ़ें

Priyanshu has more than 10 years of experience in journalism. Before News 18 (Network 18 Group), he had worked with Rajsthan Patrika and Amar Ujala. He has Studied Journalism from Indian Institute of Mass Commu…

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Location :

Rae Bareli,Uttar Pradesh

First Published :

October 07, 2025, 05:01 IST

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