न्यूज डेस्क, अमर उजाला
Published by: संध्या
Updated Sat, 13 Sep 2025 05:03 PM IST
राहुल गांधी को सीआरपीएफ ने उनके द्वारा सिक्योरिटी प्रोटोकॉल तोड़ने को लेकर जो चिट्ठी लिखी। साथ ही राहुल गांधी द्वारा हाइड्रोजन बम जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया जा रहा जो हिंसक राजनीति को जन्म दे सकता है।
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– फोटो : अमर उजाला
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कांग्रेस नेता राहुल गांधी इस हफ्ते भी चर्चा में रहे। उनका हाइड्रोजन बम का बयान चर्चा में रहा। दूसरी तरफ सीआरपीएफ की ओर से उनके द्वारा सिक्योरिटी प्रोटोकॉल तोड़ने को लेकर जो चिट्ठी लिखी उस पर सियासत जारी है। राहुल की सुरक्षा को लेकर बहस हो रही है। वहीं, उपराष्ट्रपति के शपथ ग्रहण में राहुल गांधी के नहीं जाने पर भी सियासी आरोप-प्रत्यारोप जारी हैं। इस हफ्ते के ‘खबरों के खिलाड़ी’ में इसी पर चर्चा हुई। चर्चा के लिए वरिष्ठ पत्रकार रामकृपाल सिंह, विनोद अग्निहोत्री, समीर चौगांवकर, राकेश शुक्ल, विजय त्रिवेदी और अवधेश कुमार मौजूद रहे।
अवधेश कुमार: सीआरपीएफ ने जो लेटर जारी किया है। उसमें बताया गया है कि उन्होंने कितनी बार प्रोटोकॉल को तोड़ा है। दूसरा उनका बयान उसी तरह है कि जैसा उन्होंने 2019 में बोला था कि मैं जो बोलने वाला हूं वो एटम बम होगा। इस समय दुनिया में इसी तरह की राजनीति हो रही है। जो नेपाल में हुआ, जो अमेरिका में हुआ क्या राहुल गांधी उस तरह की राजनीति लेकर आना चाहते हैं। राहुल और उनके सलाहकारों को नेपाल की घटना से सबक लेना चाहिए।
समीर चौगांवकर: राहुल गांधी की सुरक्षा सरकार के लिए भी चिंता का विषय है। उनके पिता और दादी की साथ जिस तरह की घटनाएं हुई हैं उसे देखते हुए राहुल गांधी को अपनी सुरक्षा को लेकर इतना लापरवाह नहीं होना चाहिए। आप एक पब्लिक फिगर हैं। जहां भी आप जाएंगे लोग आपको पहचानेंगे। क्योंकि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को यह पत्र लिखा गया है तो मुझे लगता है कि खरगे भी उन्हें इसे लेकर कहेंगे।
विजय त्रिवेदी: हाइड्रोजन बम एक हाइप है। ये बम तब लोगों को डराता जब आपका एटम बम ठीक से चल जाता। ऐसा बताया जा रहा है कि ये हाइड्रोजन बम राहुल गांधी 17 सितंबर को प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन पर फोड़ने वाले हैं। जहां तक सुरक्षा की बात है तो राहुल गांधी को इसका ध्यान रखना चाहिए। उनकी संवैधानिक जिम्मेदारियां है उन्हें भी ध्यान रखना चाहिए। मेरा मानना है कि उप राष्ट्रपति के शपथ समारोह में उन्हें होना चाहिए था।
विनोद अग्निहोत्री: राहुल गांधी ने जो पहला एटम बम फोड़ा था। मुझे लगता है कि उसे लेकर चुनाव आयोग ने कोई बहुत संतोषजनक जवाब नहीं दिया। जहां तक सुरक्षा की बात है तो सुरक्षा के मामले में उन्हें बहुत गंभीर होना चाहिए। क्योंकि उनके घर में ही उनके परिवार के ही दो सदस्यों के साथ ऐसी घटनाएं हो चुकी हैं। निश्चित रूप से राहुल गांधी को कुछ चीजों का ध्यान रखना चाहिए। जैसे उन्हें 15 अगस्त को उन्हें शामिल होना चाहिए था। उपराष्ट्रपति के शपथ ग्रहण में उन्हें होना चाहिए था। उनके सलाहकारों को यह बताना होगा कि नेता प्रतिपक्ष के रूप में उनकी कुछ जिम्मेदारियां हैं।
राकेश शुक्ल: राहुल थिंक टैंक की सारी रणनीति युवा मतदाताओं को ध्यान रख कर तैयार की जा रही है। लेकिन आपको अगर लंबे समय तक किसी की स्वीकार्यता बनानी है तो आपको मुद्दे टच करने पड़ेंगे, मर्म आपको बनाना होगा। युवाओं के साथ अलग कनेक्ट करना होगा, व्यापारियों के साथ अलग कनेक्ट करना होगा।
रामकृपाल सिंह: लोकतंत्र में हमेशा एक पार्टी सत्ता में होती है और एक पार्टी ऐसी होती है जो उसका विकल्प दिखती है। व्यक्ति महत्वपूर्ण नहीं होता है। पार्टी महत्वपूर्ण होती है। आज के वक्त में कांग्रेस के लिए जो चेहरा हैं वो राहुल गांधी हैं। गांवों में भी लोग मुखिया उसे बनाते हैं जो बहुत गुस्से वाला नहीं होता है। ऐसा आदमी चुना जाता है जो सबको लेकर चल सके। यही बात देश की राजनीति पर लागू होती है। जिसे विकल्प बनना है उसे पॉजिटिव नरेटिव के साथ जाना चाहिए।
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