संवाद न्यूज एजेंसी, संभल
Published by: आकाश दुबे
Updated Fri, 29 Aug 2025 11:43 AM IST
आयोग द्वारा 271 दिन में यह रिपोर्ट पेश की गई है। इसमें 19 नवंबर को जामा मस्जिद सर्वे के आदेश से लेकर 24 नवंबर को हुए बवाल के सभी तथ्य रिपोर्ट में शामिल किए गए हैं। सूत्रों का कहना है कि इसमें आयोग द्वारा उल्लेख किया गया है कि बवाल सुनियोजित था।

संभल बवाल जांच रिपोर्ट
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
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जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हुए बवाल के बाद 29 नवंबर को गठित किए गए न्यायिक जांच आयोग ने 271 दिन बाद सीएम योगी आदित्यनाथ को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। जांच के दौरान आयोग ने लगभग 100 से ज्यादा लोगों के बयान दर्ज किए। सूत्रों का कहना है कि इस रिपोर्ट में बवाल की साजिश रचने से लेकर बवाल के दौरान सक्रियता और कमजोरी का भी उल्लेख किया गया है। आजादी के बाद जो दंगे और बवाल हुए उनका भी उल्लेख है। सांसद और जामा मस्जिद कमेटी के सदर बवाल की साजिश के आरोप में पहले से घिरे हैं। सूत्रों का कहना है कि न्यायिक जांच आयोग ने इसका भी उल्लेख अपनी रिपोर्ट में किया है।
24 नवंबर को हुए बवाल के बाद 29 नवंबर को शासन की ओर से हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज देवेंद्र अरोड़ा की अध्यक्षता में इसका गठन किया गया था। इसमें सेवानिवृत्त आईपीएस एके जैन और आईएएस अमित प्रसाद सदस्य के रूप में शामिल किए गए। आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों द्वारा पहला दौरा संभल का पहली दिसंबर को किया गया था। पहले दौरे के दौरान उन इलाके का भ्रमण किया था जहां बवाल हुआ था। इसके बाद तीन अन्य दौरे करने के लिए भी आयोग के सदस्य पहुंचे। उन्होंने 100 से ज्यादा लोगों के बयान दर्ज किए थे। इसमें सरकारी अधिकारी व कर्मचारियों के साथ आम लोग भी शामिल थे। आयोग के सामने संभल में हुए अलग-अलग समय के दंगे की भी जांच की मांग उठी थी। जिसके बाद पुलिस-प्रशासन के द्वारा छानबीन भी शुरू की गई थी।
बवाल की साजिश रचने, बवाल काबू करने और लापरवाही होने का भी रिपोर्ट में जिक्र
आयोग द्वारा 271 दिन में यह रिपोर्ट पेश की गई है। इसमें 19 नवंबर को जामा मस्जिद सर्वे के आदेश से लेकर 24 नवंबर को हुए बवाल के सभी तथ्य रिपोर्ट में शामिल किए गए हैं। सूत्रों का कहना है कि इसमें आयोग द्वारा उल्लेख किया गया है कि बवाल सुनियोजित था। भीड़ को एकत्र किया गया थ। तभी शहर के हालात बिगड़े। पुलिस ने किस तरह से काबू पाया और कहां चूक रही। इन सभी बिंदुओं को भी शामिल किया गया है।
आजादी के बाद अलग-अलग समय में 15 बार सुलगा संभल, हिंदू पलायन कर गए
सूत्रों का कहना है कि रिपोर्ट में हिंदू आबादी के पलायन का भी उल्लेख है। क्योंकि जब भी आयोग के सदस्य संभल दौरे पर पहुंचे तो हिंदू समाज से जुड़े लोग आयोग के सामने पहुंचे। जहां उन्होंने पूर्व में अलग-अलग समय में हुए दंगों की जांच कराने और दोषियों को सजा दिलाने की मांग की थी। इन मांगों को का भी रिपोर्ट में जिक्र किया गया है। आजादी के बाद से वर्ष 2024 तक हुए दंगे और बवाल से हिंदू आबादी किस तरह प्रभावित हुई और पलायन तक करने के लिए मजबूर हुई। सूत्रों का कहना है कि 1978, 1986, 1992 के दंगों से जुड़े मुकदमों की जानकारी भी रिपोर्ट में शामिल की गई है।
न्यायिक जांच आयोग के दौरे कब हुए और क्या हुआ
पहला दौरा- 1 दिसंबर 2024 बवाल के इलाके का निरीक्षण और शाही जामा मस्जिद का निरीक्षण किया।
दूसरा दौरा- 21 जनवरी 2025 आयोग द्वारा 51 लोगों के बयान दर्ज किए गए
तीसरा दौरा- 30 जनवरी 2025 सरकारी कर्मचारियों व अधिकारियों के बयान दर्ज किए
चौथा दौरा- 28 फरवरी 2025 45 लोगों के बयान दर्ज किए। इसमें डीएम और एसडीएम भी शामिल रहे।
इन 15 दंगों से प्रभावित हुआ संभल
संभल में 1947, 1948, 1953, 1958, 1962, 1976, 1978, 1980, 1990, 1992, 1995, 2001 के दंगे व 2019 और 2024 के बवाल से शहर की आबादी प्रभावित हुई है।
हिंदुओं की आबादी 78 साल में 45 फीसद से घटकर 15% रह गई
देश की आजादी के बाद संभल की डेमोग्राफी सुनियोजित दंगों और तुष्टीकरण की राजनीति की वजह से बदलती गई। आजादी के दौरान संभल नगर पालिका में 45 प्रतिशत हिंदू आबादी थी, जो वर्तमान में घटकर महज 15 फीसद रह गई है। यह बदलाव लगातार हिंसा की वजह से पलायन और हिंदुओं के कत्लेआम की वजह से हुआ, जिसका न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट में विस्तार से उल्लेख किया गया है।
दंगा, लव जिहाद और धर्मांतरण के जरिए हिंदुओं की कम की जाती रही आबादी
संभल हिंसा की जांच करने वाले न्यायिक आयोग की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि जब तक संभल में हिंदुओं की आबादी 40 फीसद के ऊपर रही, तब तक दंगा, लव जिहाद और धर्मांतरण के जरिए उसको कम किया जाता रहा। तब तक संभल में हिंदू-मुस्लिम के बीच संघर्ष होता रहा। जैसे ही हिंदुओं की आबादी 20 फीसद से कम हुई, यह संघर्ष विदेशी बनाम देसी मुसलमान का हो गया। संभल में तुर्क और कंवर्टेड हिंदू पठान आपस में लड़ने लगे।
बीती 24 नवंबर को भड़की हिंसा की पृष्ठभूमि कई वर्षों से पनपते इसी तनाव में छिपी थी। रिपोर्ट में संभल में बीते सात दशक के दौरान हुए 15 दंगों, उनमें हुए नुकसान और टकराव की वजहों का जिक्र भी किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक संभल में 1936 से 2019 तक 15 दंगे हुए, जिनमें 213 मौतें हुईं। इनमें 209 हिंदुओं की हत्या हुई थी। 1978 में होली के बाद 184 हिंदुओं का नरसंहार हुआ था, जबकि किसी भी मुस्लिम की मृत्यु नहीं हुई थी। सभी दंगों और उपद्रव में कुल मिलाकर सिर्फ चार मुस्लिमों की मौत की जानकारी दस्तावेजों की पड़ताल में आयोग को मिली, जिनमें दो मौतें 1992 के अयोध्या में विवादित ढांचे के विध्वंस के बाद भड़के दंगे और दो लोगों की मौत वर्ष 2019 में सीएए के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में हुई थी।
धार्मिक स्थल भी निशाने परसंभल में हिंदुओं को निशाना बनाने के साथ धार्मिक स्थलों का अस्तित्व भी खत्म किया जाता रहा। संभल में 68 तीर्थ स्थल और 19 पावन कूप थे, जिन पर कालांतर में तुष्टीकरण की राजनीति की वजह से कब्जा कर लिया गया। प्रदेश सरकार ने 30 मई 2025 को इन कूपों का पुनरुद्धार किया है। इसके अलावा हरिहर मंदिर का उल्लेख भी किया गया है, जहां बाबर काल के साक्ष्य मिलने का जिक्र है।
आतंकी संगठनों का भी जिक्र
रिपोर्ट में संभल में कई आतंकी संगठनों के सक्रिय होने का जिक्र भी किया गया है। खासकर लाना आसिम उर्फ सना-उल-हक का उल्लेख किया गया है, जिसे अमेरिका आतंकवादी घोषित कर चुका है। यह भी सामने आया है कि संभल में अवैध हथियार और मादक पदार्थों का कारोबार तेजी से पनपता जा रहा है।
सीएम ने दिया कार्रवाई का निर्देश
रिपोर्ट में शासन और पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए हैं, साथ ही भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सुझाव दिए हैं। सूत्रों के मुताबिक सीएम योगी ने लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों एवं कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
सदन में पेश होगी रिपोर्ट
प्रमुख सचिव गृह संजय प्रसाद ने बताया कि न्यायिक जांच आयोग ने अपनी गोपनीय रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी है, जिसका अध्ययन किया जाएगा। रिपोर्ट को सदन में पेश करने के लिए कैबिनेट से मंजूरी भी ली जाएगी।
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