‘अपने पंगे में हमें मत घसीटो’ ट्रंप के ‘न्यूक्लियर’ प्लान पर चीन ने खूब सुनाया

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‘अपने पंगे में हमें मत घसीटो’, न्यूक्लियर टेबल पर बैठने से चीन का इनकार, ड्रैगन ने ट्रंप को खूब सुनाया

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China Rejects Trump Offer: चीन ने डोनाल्ड ट्रंप का प्रस्ताव ठुकरा दिया है. बीजिंग ने कहा कि अमेरिका-रूस जैसे परमाणु जखीरे हमारे पास नहीं हैं, इसलिए हमारी जिम्मेदारी न्यूनतम है.

'अपने पंगे में हमें मत घसीटो' ट्रंप के 'न्यूक्लियर' प्लान पर चीन ने खूब सुनायाचीन ने ठुकराया ट्रंप का ऑफर. (File Photos)

बीजिंग: चीन ने साफ कर दिया है कि वह अमेरिका और रूस के साथ परमाणु निरस्त्रीकरण की बातचीत में शामिल नहीं होगा. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अपील को बीजिंग ने खारिज करते हुए कहा कि ये न तो सही है और न ही संभव. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने कहा कि चीन और अमेरिका की परमाणु ताकत की तुलना ही नहीं हो सकती. उनके मुताबिक, जिन देशों के पास सबसे ज्यादा हथियार हैं, वही सबसे पहले जिम्मेदारी निभाएं. साफ है कि बीजिंग खुद को इस खेल से बाहर रखना चाहता है.

ट्रंप ने कुछ दिन पहले कहा था कि रूस तैयार है और चीन भी राजी होगा. उन्होंने ये भी कहा कि परमाणु हथियारों का फैलाव रोकना जरूरी है, वरना दुनिया खतरे में पड़ जाएगी. लेकिन चीन ने उनकी उम्मीदों को झटका दे दिया.

अमेरिका-रूस के पास सबसे बड़ा जखीरा

हकीकत ये है कि दुनिया के लगभग 80% परमाणु हथियार सिर्फ अमेरिका और रूस के पास हैं. 2023 में रूस ने अमेरिका के साथ आखिरी हथियार नियंत्रण समझौता भी तोड़ दिया था. इसके बाद निरस्त्रीकरण की कोशिशें और मुश्किल हो गईं.

चीन का कहना है कि उसके पास सिर्फ उतने हथियार हैं, जितने देश की सुरक्षा के लिए जरूरी हैं. वो किसी हथियारों की दौड़ में शामिल नहीं होना चाहता. लेकिन आंकड़े बताते हैं कि उसका जखीरा लगातार बढ़ रहा है.

परमाणु हथियारों की रेस में चीन भी पीछे नहीं

साल 2025 की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका के पास 5,277 से ज्यादा और रूस के पास 5,459 से ज्यादा वारहेड हैं. चीन के पास करीब 600 वारहेड हैं, जो पिछले साल से 100 ज्यादा हैं.

चीन को क्यों है परेशानी?

बीजिंग का कहना है कि उसकी पॉलिसी साफ है. वो बातचीत का विरोधी नहीं है, लेकिन अमेरिका और रूस की बराबरी में मेज पर बैठने को तैयार नहीं. चीन मानता है कि ये उस पर अनावश्यक दबाव डालने की कोशिश है.

विशेषज्ञों के मुताबिक, चीन का ये रुख दुनिया के लिए दोहरी चुनौती है. एक तरफ अमेरिका और रूस को खुला मैदान मिल जाता है, दूसरी तरफ एशिया में भारत जैसे देशों पर सीधा दबाव बढ़ता है. चीन की परमाणु और मिसाइल ताकत भारत के लिए चिंता का सबब है.

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Deepak Verma

Deepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak’s journey began with print media and soon transitioned towards digital. He…और पढ़ें

Deepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak’s journey began with print media and soon transitioned towards digital. He…

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First Published :

August 27, 2025, 23:58 IST

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