Ethanol Blend Fuel Impact on Car: भारत सरकार इथेनॉल-मिक्स पेट्रोल के प्रयोग को बढ़ावा देकर फ्यूल इंपोर्ट पर निर्भरता कम करना चाहती है. देश भर के पेट्रोल पंपों पर अब E20 फ्यूल की बिक्री की जा रही है. दूसरी ओर वाहन निर्माता कंपनियों ने भी पिछले कुछ सालों में अपने वाहनों को भी इस नए नॉर्म्स के तहत अपडेट करना शुरू कर दिया है. लेकिन एथेनॉल ब्लेंड पेट्रोल (Ethanol Blend Fuel) ने पुराने वाहन मालिकों की चिंता को बढ़ा दिया है.
हाल ही में हुए एक सर्वे में सामने आया है कि, तकरीबन हर 3 में से 2 कार मालिकों ने अपने वाहन के माइलेज घटने को स्वीकार किया है. ऐसे में ये सवाल उठता है कि, क्या एथेनॉल ब्लेंड फ्यूल आपकी कार के लिए सुरक्षित है, ख़ास तौर पर उन वाहन मालिकों के लिए जिनकी कार अप्रैल 2023 से पहले या उससे भी ज्यादा पुरानी है. इस मामले में सरकार ने भी माना है कि कुछ पुराने वाहनों के माइलेज में मामूली गिरावट आ सकती है और खराब पुर्जों पर मामूली खर्च हो सकता है.
क्या कहता है सर्वे?
सबसे पहले सर्वे की बात करते हैं. लोकल सर्किल्स द्वारा किए गए सर्वे रिपोर्ट में सामने आया है कि, साल 2022 या उससे पहले के वाहन मालिकों ने यह स्वीकार किया है कि उनके वाहन की फ्यूल एफिशिएंसी या माइलेज पहले के मुकाबले अब यानी 2025 में काफी घट गई है. इन लोगों ने सरकार द्वारा लागू किए गए E20 फ्यूल के प्रयोग को लेकर विरोध जताया है.
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44% लोगों ने एथेनॉल ब्लेंड पेट्रोल को कहा NO…
इस सर्वे के दौरान तकरीबन 14,127 लोगों से बातचीत की गई. इन लोगों से जब पूछा गया कि, एथेनॉल ब्लेंड फ्यूल से वाहन के माइलेज पर नकारात्मक असर पड़ता है और इससे वाहन का मरम्मत खर्च भी बढ़ता है. तो क्या ऐसे में वो सरकार के इस E20 फ्यूल प्रोग्राम का समर्थन करते हैं? तो इनमें तकरीबन 12% लोगों ने E20 फ़्यूल का समर्थन किया. वहीं 44% लोगों ने कहा कि वो इसे सपोर्ट नहीं करते हैं. इसके अलावा 22% लोगों ने कहा कि, वो इसका विरोध करते हैं, लेकिन यदि सरकार उन्हें अलग-अलग ब्लेंडिंग यानी (E5, E10 या E20) फ्यूल चुनने का विकल्प देती है तो वो इसका समर्थन करेंगे. इसके अलावा 22% लोगों ने इस मसले पर कुछ भी नहीं कहा.
माइलेज घटने पर जनता की राय
सर्वे में 2022 या उससे पुराने कार मालिकों से बातचीत की गई. तकरीबन 22,282 लोगों से पूछा गया कि, अब तक उनके कार के माइलेज में कितनी गिरावट आई है? जिसके जवाब में 11 प्रतिशत लोगों ने कहा कि, वाहन के माइलेज में तकरीबन 20% की गिरावट देखी गई है. वहीं 22 प्रतिशत लोगों का मानना है कि, ये गिरावट तकरीबन 15-20% के बीच है.
वहीं ग्यारह प्रतिशत लोगों ने कहा कि, 10-15% माइलेज कम हुआ है और 14 प्रतिशत लोगों ने माना कि, 5-10% माइलेज कम हुआ है. बाकी 4 प्रतिशत लोगों का कहना है कि, 2-5% असर पड़ा है और 5 प्रतिशत लोग इसे 1-2% मानते हैं. इसके अलावा 11 प्रतिशत लोगों का कहना है कि E20 फ्यूल से कोई असर नहीं हुआ है और 22 प्रतिशत लोगों ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.
कैसे हुआ सर्वे: इस सर्वे जिसमें देश भर के 315 जिलों से प्राप्त कुल 36,000 से ज्यादा पेट्रोल वाहन मालिकों से प्रतिक्रियाओं को शामिल किया गया है. जिनमें 68% पुरुष, 32% महिला हैं. रिपोर्ट में बताया गया है कि, 44% जवाब देने वाले टियर 1, 27% टियर 2, और 29% टियर 3, 4, 5 और ग्रामीण इलाकों से थे.
माइलेज पर क्या कहती है सरकार?
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय (MoPNG) ने सोशल नेटवर्किंग साइट ‘X’ पर बाकायदा इस मुद्दे को लेकर एक लंबा-चौड़ा लेख लिखा है, जिसमें एथेनॉल ब्लेंड फ्यूल के बारे में तमाम बातें कही गई हैं. माइलेज के मामले में मंत्रालय का कहना है कि, “रेगुलर पेट्रोल की तुलना में इथेनॉल की एनर्जी डेंसिटी कम होने के कारण, माइलेज में मामूली कमी आती है. जो E10 के लिए डिज़ाइन किए गए और E20 के लिए कैलिब्रेट किए गए चार पहिया वाहनों के लिए अनुमानित 1-2%, और अन्य वाहनों के लिए लगभग 3-6% है.”
खराब हो सकते हैं कुछ पुर्जे
वहीं मंत्रालय के इस पोस्ट में यह भी कहा गया है कि, “कुछ पुराने वाहनों में, लगभग 20,000 से 30,000 किलोमीटर के लंबे उपयोग के बाद, कुछ रबर पुर्जों/गैस्केट को बदलने की सलाह दी जा सकती है. यह रिप्लेसमेंट सस्ता है और वाहन की नियमित सर्विसिंग के दौरान आसानी से किया जा सकता है.” यानी पुराने वाहनों में कुछ कंपोनेंट में खराबी की बात को नकारा नहीं जा सकता है.
क्या होता है एथेनॉल ब्लेंडिंग फ्यूल?
6 फरवरी 2023 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बेंगलुरु में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान E20 फ्यूल को लॉन्च किया था. इसकी शुरुआत देश के 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चुनिंदा पेट्रोल पंपों से हुई थी और अब ये तकरीबन हर पेट्रोल पंप पर उपलब्ध है. एथिल अल्कोहल या इथेनॉल (C2H5OH) एक जैव ईंधन है जो स्वाभाविक रूप से शुगर को फर्मेंटिंग करके बनाया जाता है.
साधारण शब्दों में समझें तो, ‘E20’ 20 प्रतिशत इथेनॉल और 80 प्रतिशत पेट्रोल मिश्रण को दिखाता है. ‘E20′ में संख्या ’20’ पेट्रोल मिश्रण में इथेनॉल के अनुपात को दर्शाती है. सीधे शब्दों में कहा जाए तो संख्या जितनी अधिक होगी, पेट्रोल में इथेनॉल का अनुपात उतना ही अधिक होगा. क्योंकि इथेनॉल का निर्माण बायोमास से होता है, इसलिए उसे कच्चे तेल की जरूरत नहीं होती. इथेनॉल ज्यादातर मकई और गन्ना जैसी फसलों से प्राप्त होता है. इसलिए इसे किफायती और अच्छा विकल्प माना जा रहा है. वहीं सरकार एथेनॉल के प्रयोग को बढ़ावा देकर कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता को भी कम करना चाहती है.
क्या आपकी कार में भी पड़ेगा E20 फ्यूल? कैसे करें पहचान
वाहन पर लगा स्टिकर या लेबल देखें
अधिकतर नए वाहनों में कंपनियां “E20 Compatible” या “E20 Fuel” का स्टिकर फ्यूल कैप, टैंक या विंडशील्ड पर लगाती हैं. यह स्टिकर वाहन निर्माता द्वारा प्रमाणित होता है. जिससे आप पहचान सकते हैं कि आपका वाहन एथेनॉल ब्लेंड फ्यूल के लिए उचित है या नहीं.
ओनर्स मैनुअल
आप वाहन का ओनर मैनुअल (Owner’s Manual) भी पढ़ सकते हैं. इसमें कार के फीचर्स और प्रयोग की जानकारी के साथ-साथ फ्यूल संबंधी जानकारी भी स्पष्ट रूप से दी गई होती है. अगर वाहन E10, E20 या Flex-Fuel के अनुकूल है तो इसका ज़िक्र मैन्युअल में जरूर होगा.
VIN या मॉडल नंबर से पता लगाएं
इसके अलावा आप वाहन आइडेंटिफिकेशन नंबर (VIN) से भी इस बात का पता लगा सकते हैं. कुछ वाहन निर्माता वेबसाइट पर VIN डालकर वाहन की फ्यूल कंपैटिबिलिटी बताने की सुविधा देते हैं. VIN आपके वाहन के रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट और वाहन के बॉडी पर एक एल्युमिनियम प्लेट पर भी दर्ज होता है.
कस्टमर केयर से पूछें
इन सबके अलावा आप अपनी कार कंपनी के कस्मटर केयर या डीलरशिप से भी इस बात की तस्दीक कर सकते हैं. बता दें कि, सरकार ने 2023 से चरणबद्ध तरीके से E20 फ्यूल लॉन्च किया है, इसलिए इसके बाद लॉन्च या अपग्रेड हुए ज्यादातर वाहन E20-कम्प्लायंट इंजन के साथ आते हैं.
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