SpaceX की सीक्रेट साजिश! अमेरिकी सरकार के इशारे पर अंतरिक्ष में हो रही बमबारी

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SpaceX Starshied Project: स्पेसX के सीक्रेट स्टारशील्ड सैटेलाइट्स पर आरोप है कि वे अंतरराष्ट्रीय नियमों से बाहर फ्रीक्वेंसी पर उल्टी दिशा में रेडियो सिग्नल्स भेज रहे हैं. यह सिग्नल्स एक अमेचर खगोलशास्त्री ने गलती से पकड़े. विशेषज्ञों का दावा है कि इससे अन्य सैटेलाइट्स पर इंटरफेरेंस का खतरा है. अमेरिकी सरकार और स्पेसX इस विवाद पर पूरी तरह चुप हैं.

SpaceX की सीक्रेट साजिश! अमेरिकी सरकार के इशारे पर अंतरिक्ष में हो रही बमबारी

नई दिल्ली: स्पेसX और अमेरिकी सरकार के बीच चल रहे ‘स्टारशील्ड’ प्रोजेक्ट पर अब बड़ा विस्फोटक खुलासा हुआ है. नई रिपोर्ट बताती है कि यह सीक्रेट सरकारी सैटेलाइट नेटवर्क अंतरिक्ष में रेडियो सिग्नल्स ऐसे फ्रीक्वेंसी पर छोड़ रहा है, जो इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशन यूनियन की अनुमति से बाहर हैं. यानी एक तरह से स्पेस में ‘रेडियो बमबारी’ जारी है. यह सिग्नल्स एक अमेचर खगोलशास्त्री ने गलती से पकड़ लिए, जब वह गलत फ्रीक्वेंसी बैंड पर शिफ्ट हो गया. इन सैटेलाइट्स की लोकेशन, काम और संख्या को अमेरिकी सरकार गुप्त रखती आई है. पर अब खुलासा हुआ कि कम से कम 170 स्टारशील्ड सैटेलाइट्स ऐसे गैर-मानक डाउनलिंक भेज रहे हैं. विशेषज्ञों का दावा है कि इससे दूसरे स्पेसक्राफ्ट के सिस्टम तक प्रभावित हो सकते हैं. सवाल यह है कि अमेरिका आखिर क्या छुपा रहा है? क्या स्पेस सिक्योरिटी पर कोई बड़ा खतरा मंडरा रहा है?

स्टारशील्ड, स्टारलिंक का सरकारी संस्करण है. 2023 में लॉन्च हुआ यह प्रोजेक्ट सीधे अमेरिकी इंटेलिजेंस एजेंसियों द्वारा ऑपरेट किया जाता है. नेशनल रीकोनाइसेन्स ऑफिस (NRO) इसका बड़ा हिस्सा नियंत्रित करता है. अनुमान के मुताबिक 200 से ज्यादा ऐसे सैटेलाइट्स पहले ही भेजे जा चुके हैं. नेटवर्क की कुल कीमत 1.8 अरब डॉलर बताई जाती है. लेकिन अमेरिकी जनता और दुनिया को इसकी क्षमताओं के बारे में लगभग कुछ भी नहीं बताया गया.

शौकिया एस्ट्रोनॉमर की एक्सीडेंटल डिस्कवरी (Photo : SpaceX)

वो ‘गलती’ जिसने राज खोल दिया

शौकिया खगोलशास्त्री स्कॉट टिली अपने रेडियो उपकरण रीसेट कर रहे थे. गलती से उन्होंने एंटीना गलत बैंड पर डाल दिया. और तभी अजीब सिग्नल्स दिखने लगे. यह फ्रीक्वेंसी 2025–2110 MHz के बीच थी – जिसे सामान्यतः ‘अपलिंक’ कहा जाता है. यानी धरती से सैटेलाइट की ओर भेजे जाने वाला सिग्नल. लेकिन यहां सैटेलाइट खुद इसे धरती पर भेज रहा था. यह नियमों के विपरीत है. ITU ने डाउनलिंक के लिए यह बैंड कभी मंजूर नहीं किया. तुलना करने पर टिली को पता चला कि यह सिग्नल्स स्टारशील्ड सैटेलाइट्स से आ रहे हैं.

स्टारशील्ड: रहस्यमय मिशन का भंडाफोड़ (Photo : SpaceX)

क्या यह गलती है या जानबूझकर साजिश?

रेडियो एस्ट्रोनॉमर बेंजामिन विंकल का कहना है कि यह जानबूझकर किया गया लगता है. क्योंकि 170 अलग-अलग सैटेलाइट्स एक जैसी फ्रीक्वेंसी पर गलत दिशा में सिग्नल भेज रहे हैं. यह किसी टेक्निकल गलती जैसा नहीं है. विशेषज्ञों का अनुमान है कि अमेरिका शायद सैटेलाइट की लोकेशन छिपाने, एन्क्रिप्टेड कम्युनिकेशन चलाने या सिग्नल इंटरसेप्शन रोकने के लिए यह ‘उल्टी फ्रीक्वेंसी’ रणनीति अपना रहा है.

क्या दूसरे स्पेसक्राफ्ट खतरे में?

टिली ने चेतावनी दी कि यह रेडियो बमबारी दूसरे सैटेलाइट्स के कमांड चैनल में दखल कर सकती है. इंटरफेरेंस की वजह से कोई सैटेलाइट कमांड मिस कर सकता है. किसी स्पेस मिशन को गलत ऑटो-प्रोटोकॉल ट्रिगर हो सकता है. हालांकि अभी तक ऐसी कोई घटना दर्ज नहीं हुई है, पर खतरा पूरी तरह मौजूद है.

अमेरिका-SpaceX की खतरनाक साजिश का पर्दाफाश (Photo : SpaceX)

स्पेसX का ‘रेडियो लीकेज’ का पुराना इतिहास

यह पहली बार नहीं है कि स्पेसX पर रेडियो पॉल्यूशन का आरोप लगा हो.

  • 2023 में पता चला कि स्टारलिंक Gen-1 सैटेलाइट्स भारी मात्रा में अनइंटेंडेड इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन (UEMR) छोड़ते हैं.
  • 2024 में Gen-2 सैटेलाइट्स इससे भी ज्यादा लीकेज करते मिले.

आज स्पेसX के 10,000 से ज्यादा स्टारलिंक सैटेलाइट्स ऑर्बिट में हैं. इनमें से सक्रिय सैटेलाइट्स विश्व के कुल 12,000 एक्टिव सैटेलाइट्स का 60% हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि 2050 तक यह संख्या 1 लाख तक पहुंच सकती है. ऐसे में रेडियो प्रदूषण धरती से होने वाले रेडियो एस्ट्रोनॉमी रिसर्च को लगभग खत्म कर सकता है.

अंतरिक्ष में सिग्नल बमबारी! (Photo : SpaceX)

ग्लोबल स्पेस इंडस्ट्री के सामने बड़ी चुनौती

ITU जैसे संस्थान अंतरिक्ष में रेडियो स्पेक्ट्रम का संतुलन बनाए रखने के लिए हैं. लेकिन अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश अपनी इच्छा से नियमों को तोड़ दें तो बाकी देशों के सामने दो मुश्किलें पैदा होती हैं:

  1. तकनीकी खतरा: दूसरे सैटेलाइट्स की सुरक्षित कम्युनिकेशन पर असर.
  2. रणनीतिक खतरा: एक देश अपने सैन्य सैटेलाइट्स को ‘अदृश्य’ बनाने की कोशिश में दूसरे देशों के सैटेलाइट्स को ब्लाइंड कर सकता है.

स्पेसX और सरकार की चुप्पी सबसे डरावनी

न तो स्पेसX और न ही NRO ने किसी तरह की टिप्पणी की है. यही चुप्पी इस मामले को और संदिग्ध बनाती है. यदि यह सिर्फ परीक्षण होता तो अमेरिका खुलेआम बताता. पर सैकड़ों सैटेलाइट्स का एक साथ सीमा से बाहर फ्रीक्वेंसी पर काम करना दिखाता है कि यह एक प्लान्ड ‘क्लासिफाइड ऑपरेशन’ है.

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Deepak Verma

दीपक वर्मा न्यूज18 हिंदी (डिजिटल) में डिप्टी न्यूज एडिटर के रूप में काम कर रहे हैं. लखनऊ में जन्मे और पले-बढ़े दीपक की जर्नलिज्म जर्नी की शुरुआत प्रिंट मीडिया से हुई थी, लेकिन जल्द ही उन्होंने डिजिटल प्लेटफॉर्म…और पढ़ें

दीपक वर्मा न्यूज18 हिंदी (डिजिटल) में डिप्टी न्यूज एडिटर के रूप में काम कर रहे हैं. लखनऊ में जन्मे और पले-बढ़े दीपक की जर्नलिज्म जर्नी की शुरुआत प्रिंट मीडिया से हुई थी, लेकिन जल्द ही उन्होंने डिजिटल प्लेटफॉर्म…

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Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

November 19, 2025, 22:59 IST

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