जलवायु परिवर्तन पर लगाम लगाने में प्राकृतिक गैस काफी मदद कर सकती है। प्राकृतिक गैस तेल और कोयले की तुलना में स्वच्छ ईंधन है। इससे ज्यादा मात्रा में बिजली का उत्पादन किया जा सकता है। जलाने पर यह कोयले की तुलना में 50 फीसदी और तेल की तुलना में 20 से 30 फीसदी कम कार्बन डाईऑक्साइड का उत्सर्जन करती है। विशेषज्ञों के अनुसार नेचुरल गैस या सीएनजी से चलने वाली गाड़ियों में पेट्रोल से चलने वाली गाड़ियों की अपेक्षा 20 से 30 फीसदी कम कार्बन डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन होता है। अगर ग्लोबल वार्मिंग से बचना है तो भारत जैसे तेजी से विकसित होते देश को प्राकृतिक गैस को अपनाना होगा।
जीबी पंत इंस्टिट्यूट ऑफ हिमालयन एनवायरन्मेंट एंड डेवलपमेंट के वैज्ञानिक डॉक्टर प्रसन्ना के. सामल ने कहा, “भारत दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।2050 तक, भारत की अर्थव्यवस्था चीन के बाद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाने की संभावना है। ऊर्जा की खपत के मामले में भी भारत आज दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता है।“
दुनिया में भारी वर्षा, बाढ़, सूखा, तूफान, चक्रवात जैसी आपात स्थितियां ग्लोबल वार्मिंग से ही पैदा होती हैं। कुछ जगहों पर बारिश में कमी आने से सूखे जैसी स्थिति पैदा होती है और कृषि की पैदावार घट जाती है। सर्दियों में तेजी से बर्फ पिघलने से गर्मी में नदियों में पानी की कमी हो जाती है। ग्लोबल वार्मिंग से समुद्र का जलस्तर बढ़ सकता है। भारत जैसे देश में 7000 किलोमीटर लंबा समुद्रतट है और भारत की चौथाई जनसंख्या तट के 50 किलोमीटर के अंदर बसती है, समुद्र का जल स्तर बढ़ने से जमीन डूबने, खेत, घर, बस्तियां व नगर नष्ट होने, खारा पानी तटों पर अंदर आने जैसे खतरनाक प्रभाव हो सकते हैं। यह स्थिति पैदा न हो, इसलिए नेचुरल गैस का विकल्प अपनाना बहुत जरूरी है।
गेल के कायकारी निदेशक के बी सिंह ने कहा कि नेचुरल गैस जलने पर काफी कम मात्रा में कार्बन मोनोऑक्साइड आदि जहरीली गैस पैदा होती है। इससे वायु की गुणवत्ता के स्तर को सुधारा जा सकता है। आधुनिक अर्थव्यवस्था बड़े पैमाने पर जीवाश्म ईंधन (फॉसिल फ्यूल) पर बेस्ड है। फॉसिल फ्यूल जलाने से कार्बन डाईऑक्साइड का उत्पादन होता है। जलवायु परिवर्तन की समस्या मुख्य रूप से वातावरण में बहुत अधिक कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा होने से पैदा होती है। जलवायु परिवर्तन एक तात्कालिक समस्या है, जिससे बचाव के लिए कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीनहाउस गैसों (जीएचजी) के उत्सर्जन को कम करने के लिए ग्लोबल एक्शन की जरूरत है। भारतीय शहरों में वायु प्रदूषण को रोकने के लिए सीनएनजी और पीएनजी को अपनाना चाहिए। इस दिशा में सरकार काम कर रही है।
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