अर्थव्यवस्था और तकनीकी विकास के मामले में भारत में हेल्थकेयर उद्योग तेजी से विस्तार करने वाले क्षेत्रों में से एक है और यह विष्व स्तरीय उपचार प्रदान कर रहा है। हेल्थकेयर उद्योग मूल रूप से अस्पताल, डायग्नोस्टिक, चिकित्सा उपकरण, और चिकित्सा पर्यटन से संबंधित है। भारत में उपलब्ध सक्षम और सस्ती सेवाएं चिकित्सा पर्यटन के माध्यम से अधिक से अधिक विदेशी मरीजों को आकर्षित कर रही हैं। हालांकि भारतीय स्वास्थ्य सेवा में अत्यधिक तेजी देखी जा रही है, फिर भी विकास के दायरे की तलाष करना अभी बाकी है।
वर्तमान स्थिति में, स्वास्थ्य देखभाल मुख्य रूप से डिजिटल तकनीक द्वारा संचालित होती है, जिसमें अधिकांश चिकित्सा उपकरण डिजिटल प्लेटफॉर्म पर चल रही हैं। इस क्षेत्र में बेहतर सार्वजनिक-निजी साझेदारी के साथ अधिक निजी कंपनियां आगे आ रही हैं। इसलिए इस क्षेत्र को इस 5-वर्ष के कार्यकाल के दौरान 25 प्रतिषत की संयुक्त वार्षिक दर से बड़ा और अधिक विविध माना जाता है।
3 एच् केयर की संस्थापक और सीईओ “सी. ए. (डॉ.) रुचि गुप्ता ने कहा, ‘‘इस क्षेत्र में सबसे दिलचस्प और आकर्षक क्षेत्रों में से एक आण्विक जीवविज्ञान में अनुवांशिक परीक्षण और अनुसंधान है। इस क्षेत्र में अनगिनत अवसरों के साथ, जेनेटिक बायोमार्कर्स का विस्तार जारी है। आण्विक जीवविज्ञानी बीमारी के विकार को सही और धीमा करने में मदद के लिए अनुवांशिक परिवर्तनों पर ध्यान केंद्रित करते हैं। और नवजात शिशु में स्क्रीनिंग आवश्यक है क्योंकि यह आनुवंशिक विकारों की पहचान करने और जल्द इलाज कराने में मदद करता है।’’
आईबीईएफ के अनुसार, कुल हेल्थकेयर बाजार 100 अरब डॉलर के बराबर है और 2020 तक इसके 280 बिलियन डालर तक पहुंचने की उम्मीद है। हेल्थकेयर आईटी बाजार में दोगुना वृद्धि के साथ भारतीय चिकित्सा पर्यटन हेल्थकेयर के 2020 तक 10 बिलियन डालर तक पहुंच जाने की उम्मीद है। आंकड़ों से पता चलता है कि स्वास्थ्य प्रगति के क्षेत्र में आने वाले वर्षों में तकनीकी प्रगति और संचालन में काफी वृद्धि होगी।
हाल के वर्षों में 3 डी पिं्रटिंग प्रौद्योगिकी का भी उपयोग किया जा रहा हैै, जिसकी मदद से रोग के निदान और मानव शरीर रचना का अध्ययन कर क्रांतिकारी तकनीक से सर्जरी की जाती है। कैंसर की कोशिकाओं का अध्ययन करने और अंगों को बदलने के लिए, रक्त वाहिकाओं और कार्डियक ऊतकों को तैयार (प्रिंट) करने के मामले में इस तकनीक का निदान और रोग प्रबंधन में व्यावहारिक उपयोग है।
डाॅ. गुप्ता ने कहा, ‘‘ऑपरेटिंग रूम में स्मार्ट वाॅच एडवाइस, रियल टाइम डायग्नोसिस से नियंत्रण और उपचार में मदद मिलती है। हेल्थकेयर उद्योग में तकनीकी प्रगति की बदौलत कृत्रिम बुद्धिमता चिकित्सकीय निर्णय में मदद करती है, अस्पताल के अनुभव में बदलाव लाती है तथा एक तरह से आभासी डिजिटल मस्तिष्क का निर्माण करती है।’’
विज्ञान और प्रौद्योगिकी में विकास के साथ, चिकित्सा ऐप्स का उपयोग बढ़ रहा है और आईटी काफी हद तक समझने योग्य हो गया है। सोशल मीडिया के सार्थक उपयोग के लिए चिकित्सा ऐप्स अधिक अनुकूलित हो गए हैं।
“इस क्षेत्र में कई बड़े निवेश किए जा रहे हैं जिसके कारण उद्योग की कार्यप्रणाली अधिक पेशेवर, संगठित और कुशल बन गई है। एनजीओ स्वास्थ्य देखभाल के उद्भव के कारण, आईटी उद्योग सॉफ्टवेयर और इमेजिंग उपकरण विकसित कर रहा है और यह क्षेत्र तेजी से विकास के कगार पर है।’’