अखिल भारत को शाकाहारी बनाने के लक्ष्य को लेकर पिरामिड पार्टी की ‘मौन ध्यान’ रैली

नई दिल्ली- रविवार को पिरामिड पार्टी ऑफ इंडिया ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर ‘मौन ध्यान रैली’ का आयोजन किया। पिरामिड पार्टी की ये पहल भारतीय राजनीति में एक नए युग की शुरुआत मानी जा रही है। रैली में विभिन्न गतिविधयां को शामिल किया गया। इस दौरान मेडिटेशन सेशन के ज़रिये लोगों को एक सूत्र में बांधकर उनकी चेतना को जगाने की कोशिश की गयी। सैंकड़ों की संख्या में पहुंचकर लोगों ने इस पहल का समर्थन किया। रैली में पिरामिड मास्टर और देश भर से पिरामिड पार्टी के सदस्य मौजूद थे।

पिरामिड पार्टी ऑफ इंडिया (पीपीओआई) दक्षिण भारत की विभिन्न सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करती आयी है। अब पीपीओआई पार्टी उत्तर भारतीय राज्यों में पकड़ बनाना चाहती है। पार्टी ने पहले ही 2019 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव का घोषणापत्र जारी कर दिया गया है। ‘मौन ध्यान’ के माध्यम से पार्टी वोटरों का ध्यान आकर्षित करना चाहती है।

पिरामिड पार्टी ऑफ इंडिया के संस्थापक ब्रह्मषि पितामह पत्री ने कहा, “पिरामिड पार्टी ऑफ इंडिया (पीपीओआई) हमारी पार्टी आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, हरियाणा और दिल्ली एनसीआर में लोकसभा सीटों पर अपनी पार्टी के उम्मीदवार उतारेगी। हम हर विधानसभा सीट पर पीपीओआई के उम्मीदवार उतारेंगे। हमारी यही आशा है कि इस रैली के माध्यम से हम पूरे भारत में एक आंदोलन खड़ा करें और समूचे भारतवर्ष को शाकाहारी बनाने के लिए आह्वान कर सकें।“

पिरामिड पार्टी ऑफ इंडिया (पीपीओआई) के राष्ट्रीय महासचिव माधवी डी. ने मीडिया से बातचीत में कहा, “भारतवर्ष के कल्याण में शाकाहारियों की भागीदारी सबसे अहम है। पार्टी का गठन भारतवासियों को शांत, कुशाग्र, प्रबुद्ध शाकाहारी लोगों के रूप में बदलने के लिए किया गया है। चुनावी प्रक्रिया की व्यवस्था से हम अपने जीवनचर्या में यह बदलाव ला सकते हैं। केवल कुशल और शांत लोग ही सुशासन के लिए उचित व्यक्ति होते हैं। हम इस आंदोलन के माध्यम से केवल ज्ञानवान साधकों का अपने प्रतिनिधि के रूप में चुनाव कर उन्हें निर्वाचित करेंगे”

पिरामिड पार्टी ऑफ इंडिया के उत्तर भारत के महासचिव डी.एल. एन शास्त्री ने पार्टी गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए कहा, “हम इस नए युग के महान आंदोलन के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने के उद्देश्य से पहले ही उत्तराखंड, गुजरात, नई दिल्ली, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश जैसे उत्तर-भारतीय राज्यों में कई गतिविधियों का संचालन कर रहे हैं। मौन ध्यान रैली इस दिशा में पहला क़दम है। हम आख़िरी साँस तक इसके लिए आंदोलन करते रहेंग।”