मॉनिटर से निकलती तरंगे कम कर रही है आंखों की रौशनी

क्या आप दिन में दो घंटे से अधिक कम्प्यूटर पर काम करती हैं? क्या आपको कभी-कभी सिर दर्द, फोकस की कमी, आंखों में जलन या थकान या गले तथा कंधे में दर्द का एहसास होता है? अगर आपका जवाब हां है तो आपको थोड़ा सावधान हो जाना चाहिए। इस तरह के लक्षण कंप्यूटर विजन सिन्ड्रोम (सीवीएस) में आम होते हैं। सीवीएस वह परेशानी है जिसके तरह आंखों में तनाव, थकान, अल्पकालीन कमजोर दृष्टि, आंखों में सूखापन एवं जलन की समस्याएं पैदा होती हैं। यह समस्या ज्यादातर लोगों में देखने को मिलती है जो काफी देर तक कंप्यूटर पर काम करते हैं।

कारण
दृष्टि से जुड़ी समस्याएं-
जिन लोगों को दूर या पास की चीजों को साफ-साफ देखने में परेशानी होती है या फिर जो एस्टीगमैटिज्म से पीड़ित हैं उन्हें सीवी एस का खतरा बहुत अधिक रहता है। मल्टी फोकल लेंस इसे और कठिन बना देता है क्योंकि स्क्रीन ऊंचा होता है और दूरी या नजदीकी के लिए बने हुए क्षेत्रों से और दूर होता है।

कम्प्यूटर की चकाचौंध –
आस-पास जलती लैंप तथा बिजली की वजह से भी आंखों में खिंचाव या तनाव हो सकता है। सबसे अधिक आम समस्याओं में से एक यह है कि कम्प्यूटर का मॉनीटर बहुत ऊंचाई पर रखा रहता है। स्क्रीन का ऊपरी सिरा आंखों के समानान्तर होना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि देखने का आदर्श कोण आंखों के नीचे 10 से लेकर 20 डिग्री तक होता है। अगर स्क्रीन बहुत ऊंचाई पर है तो आपको आंखें झपकाने का अपेक्षाकृत कम अवसर मिलता है जिससे उनमें सूखापन या जलन पैदा हो जाती है। इस वजह से सिरदर्द, गर्दन दर्द तथा पीठ के ऊपरी भाग में दर्द होता है क्योंकि देखने के लिए सिर को पीछे की तरफ झुकाना पड़ता है।

काम करते वक्त नयी अनजानी सामग्रियों को पढ़ना-
अगर आप अनजानी सूचनाओं को समझने की कोशिश करते हैं और वह भी बहुत छोटी समय सीमा के अंदर तो ऐसी स्थिति में आपका मस्तिष्क तनावग्रस्त एवं उत्तेजित हो जाता है और जब मानसिक तनाव या उत्तेजना पैदा हो तो उसका असर बाहों, कंधे, गर्दन, सिर सहित शरीर के समूचे ऊपरी हिस्से पर होता है। यही वजह है कि कार्य स्थल पर पढ़ना बहुत थकाने वाला होता है लेकिन फिर जब आप घर जाकर तीन घंटे तक टेलीविजन देखते हैं या फिर अपनी पसंदीदा कुर्सी पर बैठकर कोई पत्रिका पढ़ते हैं, तो बिल्कूल ही तनाव मुक्त रहते हैं। मानसिक स्थिति भी सामान्य दृष्टि को प्रभावित कर सकती है। आज के समय में वयस्क ही नहीं बच्चे भी अधिक से अधिक कम्प्यूटर का इस्तेमाल कर रहे हैं और वह भी देर-देर तक. कम्प्यूटर स्क्रीन के सामने घंटों बैठे रहने की वजह से बच्चें की आंखों में तनाव पैदा होता है क्योंकि कम्प्यूटर बच्चे की दृष्टि प्रक्रिया को फोकस करने के लिए मजबूर करता है जिससे किसी और काम के मुकाबले आंखों में अधिक तनाव होता है। सीवीएस न केवल आंखों पर अपना प्रभाव डालते हैं बल्कि इससे मोच तथा दर्द भी उभर आते हैं। मॉनीटर की चकाचौंध से बचने के लिए अक्सर देखने का अनुपयुक्त तरीका अपनाया जाता है जिससे पीठ दर्द तथा गले में मोच आ जाते हैं।

कुछ खास टिप्स
पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था –
अक्सर बाहर से आने वाली तेज रोशनी तथा भीतर की जरूरत से ज्यादा तेज रोशनी आंखों मे तनाव पैदा करती है। जब आप कम्प्यूटर का इस्तेमाल कर रहे हों तो वहां अधिकतर कार्यालयों में रहने वाली रोशनी की आधी रोशनी ही रहनी चाहिए। बाहर से आने वाली रोशनी को बंद कर देना चाहिए। आंतरिक रोशानी को भी बल्बों तथा टयूबों में कमी द्वारा धीमी कर देनी चाहिए या फिर कम पावर के बल्बों तथा टयूबों का इस्तेमाल कीजिये। अपने मॉनीटर को इस तरह से रखिये कि खिड़किया उसके सामने या पीछे रहने की बजाय अलग-बगल में रहें।

अपने कम्प्यूटर स्क्रीन की चमक को एडजस्ट करें-
मॉनीटर के बटनों के इस्तेमाल द्वारा कम्प्यूटर स्क्रीन की चमक को आस-पास के वातावरण की चमक के अनुरूप बनायें। इसके अलावा मॉनीटर को एडजस्ट करते हुए ऐसी व्यवस्था करें कि स्क्रीन की पृष्ठभूमि तथा स्क्रीन पर दिखाई दे रहे शब्दों या तस्वीरो के बीच कन्ट्रास्ट हाई रहे। निश्चित कर दें कि एजस्ट साइज और रंगों का सामन्जस्य आंखों को अधिक से अधिक सुकून देने वाला हो सके। साथ-साथ अपने डेस्क लैम्प को इस तरह से रखें कि वह न तो कम्प्यूटर स्क्रीन पर चमके न ही आपकी आंखों पर।

अधिक से अधिक पलकें झपकायें-
कम्प्यूटर पर काम करते हुए पलकें झपकाना बहुत जरूरी है क्योंकि इससे आंखों में शुष्कता तथा जलन नहीं पैदा होती और पानी आता रहता है। अध्ययनों के अनुसार सामान्य स्थितियों के मुकाबले कम्प्यूटर पर काम करते हुए लोग पलको को पांच गुना कम झपकाते हैं। पलकें नहीं झपकाने की वजह से आंसू नहीं आते आंख तेजी से शुष्क हो जाती है। कार्यालयों में जो शुष्क वातावरण होता है उसकी वजह से भी आंखों में कम आंसू आते हैं। इस व्यायाम को आजमायें हर आधे घंटे में 10 बार आंखों को इस तरह से धीरे-धीरे झपकायें जैसे सो रहे हों।

व्यायाम करें और आंखों को फैलायें-
हर आधे घंटे बाद कम्प्यूटर स्क्रीन से नजरे हटायें और दूरी पर रखी हुई किसी चीज पर 5-10 सेकेंड के लिए नजरें डालें। अपने फोकस को फिर से एडजस्ट करने के लिए पहले दूर रखी चीज पर 10-15 सेकेंड तक नजरें टिकाये रखें और उसके बाद फिर पास की चीज पर 10-15 सेकेंड तक फोकस करें। दस बार ऐसा ही करें। इन दोनों व्यायामों से आपकी दृष्टि तनावग्रस्त नहीं होगी और आपकी आंखों की फोकस करने वाली मांसपेशियों में भी फैलाव होगा।

कार्य स्टेशन को बेहतर बनायें-
अगर आपको कम्प्यूटर स्क्रीन और लिये हुए पेज को बारी-बारी से देखना पड़ता है तो उससे आंखें मे तनाव पैदा होता है। मॉनीटर से सटे हुए कॉपी स्टैंड पर लिखे हुए पेपर को रखें। अपने कार्य स्टेशन तथा कुर्सी को सही ऊंचाई पर स्थापित करें।

जब बैठे हों तब भी व्यायाम करें-
जो लोग बैठकर काम करते हों विशेष रूप से जो कम्प्यूटर का इस्तेमाल करते हैं उन्हें समय-समय पर खड़े होना चाहिए, टहलना चाहिए या बाहों, पैरों, पीठ, गले तथा कंधे का व्यायाम करना चाहिए। हालांकि ये सारे उपाय बहुत से मामलों में समस्याएं खत्म कर सकते हैं लेकिन यह अनुशंसा भी की जाती है कि जब कभी भी कम्प्यूटर विजन सिन्ड्रोम के लक्षण नजर आयें आंखों के डाक्टर के पास जाकर सलाह अवश्य ही ली जानी चाहिए