स्टेरॉयड से युवाओं में बढ़ रहा हिप बोन का खतरा

आजकल जिसे देखो वो जिम में बॉडी बनाने में लगा रहता है। ये दिलचस्पी युवाओं में ज्यादा देखने को मिलती है। एथलीट बॉडी बिल्डिंग के लिए युवा स्टेरॉयड का अत्यधिक सेवन करने लगते हैं। इतना ही नहीं पीयर प्रेशर के कारण युवा कम उम्र में ही न जाने क्या-क्या करने लगे हैं जिसमें अल्कोहल का सेवन भी शामिल है। इसके परिणाम स्वरूप युवाओं की बड़ी तादाद को हिप डिसऑर्डर का शिकार होना पड़ रहा है। इतना ही नहीं, तेज रफ्तार से बाइक चलाने के कारण आए दिन युवा वर्ग दुर्घनाओं का शिकार हो रहे हैं। इस तरह की दुर्घटना में कूल्हे की हड्डी को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचता है। यही कारण है कि हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी कराने वालों में केवल बुजुर्ग ही नहीं बल्कि उनके साथ युवा वर्ग की बड़ी तादाद भी नजर आती है। आज हिप डिसऑर्डर के मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है और लोग इस परेशानी से निजात पाने के लिए हिप रिप्लेसमेंट थेरेपी को अहमियत देने लगे हैं।
गाजियाबाद स्तिथ सेंटर फॉर नी एंड हिप केयर के वरिष्ठ प्रत्यारोपण सर्जन डॉ. अखिलेश यादव का कहना है कि यह सच है कि हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी इन सभी परेशानियों से निजात दिलाने में पूरी तरह सक्षम है लेकिन इसके साथ ही यह भी सच है कि अगर हिप फ्रैक्चर यानी कूल्हे की हड्डी के टूटने पर इसका सही तरीके से और सही समय पर इलाज न किया जाए तो मरीज को बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। सही समय पर सही इलाज न हो पाने के कारण मरीज अपाहिज हो सकता है या उसका चलना-फिरना भी अत्यंत मुश्किल हो सकता है।
डॉ. अखिलेश यादव के अनुसार हिप रिप्लेसमेंट या ऑर्थोप्लास्टी सर्जरी की एक ऐसी विधि है जिसमें डैमेज हुए कूल्हे के जोड़ों को हटा दिया जाता है और उसकी जगह आर्टिफिशियल ऑर्गन लगा दिए जाते हैं। इन आर्टिफिशियल ऑर्गन को प्रॉस्थेसिस कहते हैं। इस सर्जरी का लक्ष्य कूल्हे के जोड़ों को दुरुस्त करना होता है जिससे वो फिर से काम करने लायक बन सके। इस तरह मरीज का दर्द भी दूर हो जाता है और वह फिर से एक सामान्य जीवन जी सकता है।
ऐसे लोग जिनके कूल्हे के जोड़ किसी कारण से डैमेज हो गए हैं और इलाज के बावजूद उनका दर्द कम नहीं हो रहा है, उन्हें रोजमर्रा के कार्य करने में अत्यंत परेशानी होती हैं। ऐसे में हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी इन व्यक्तियों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। ऑस्टियोअर्थराइटिस के कारण इस तरह की परेशानी होना आम बात है। हांलाकि रुमेटॉइड अर्थराइटिस, ऑस्टियो नेक्रोसिस, इंजरी, फ्रैक्चर, बोन ट्यूमर आदि के कारण भी कूल्हे के जोड़ टूट जाते हैं जिसके बाद हिप रिप्लेसमेंट सर्जरी की जरूरत पड़ती है। हाल के कुछ वर्षो से ज्यादातर सर्जन मिनिमल इन्वेसिव सर्जरी का ही इस्तेमाल कर रहे हैं। इस सर्जरी में डैमेज्ड ऑर्गन की जगह आर्टिफिशियल ऑर्गन लगाने के लिए सर्जन बस एक छोटा सा चीरा लगाते हैं और उसी के जरिए आर्टिफिशियल अंग यानी प्रॉस्थेसिस को डैमेज्ड ऑर्गन की जगह पुनर्स्थापित कर देते हैं। सिमेंटेड प्रॉस्थेसिस का इस्तेमाल ऑस्टियोपोरोसिस के मरीजों के कूल्हे में पुनर्स्थापित करने के दौरान किया जाता हैं। ये मरीज या तो उम्रदराज होते हैं या शारीरिक रूप से कम सक्रिय होते हैं या ऐसे मरीज जिनकी हड्डियां कमजोर होती हैं। जबकि अनसिमेंटेड प्रॉस्थेसिस का इस्तेमाल युवा और शारीरिक रूप से सक्रिय मरीजों के लिए किया जाता है।