# बिशप ने झारखंड में नन पर बच्चा चुराने के आरोप को फर्जीवाड़े से प्रेरित बताया
# नन को सात महीने पहले गिरफ्तार किया था, लेकिन पुलिस अब तक उनके खिलाफ चार्जशीट नहीं दायर कर पाई 

मिशनरीज ऑफ चैरिटी की नन सिस्टर कॉन्सेलिया और निर्मल ह्रदय की कर्मचारी को झारखंड में बच्चा बेचने के आरोप में पिछले 222 दिन से जेल में बंद रखा गया है। नन को गंभीर बीमारियों से पीड़ित होने और हालत खराब होने के बावजूद जमानत नहीं दी गई। बच्चा चुराने के कथित मामले में नन को सात महीने पहले गिरफ्तार किया गया था, लेकिन अब तक पुलिस उसके खिलाफ चार्जशीट दायर नहीं कर पाई। इस बीच सरकार ने निर्मल ह्रदय समेत 16 चाइल्ड केयर इंस्टिट्यूशंस (सीसीआई) के लाइसेस भी रद्द कर दिए हैं ।

 सिस्टर कॉन्सेलिया बाक्सला और निर्मल ह्रदय होम की कर्मचारी मिस अनीमा इंदवार को बच्चा चुराने के आरोप में पुलिस ने गिरफ्तार किया था। बुजुर्ग महिला सिस्टर कॉन्सेलिया डायबिटीज और वैरिकोस वेंस से पीड़ित हैं। निर्मल ह्रदय झारखंड में मदर टेरेसा की बहनों की ओर से चलाए जा रहे अनाथालयों में से एक है। वहीं बिशप ने नन पर बच्चा चुराने के आरोप को फर्जीवाड़े से प्रेरित बताया है। उनके सहकर्मी लगातार उनकी बेगुनाही का हवाला दे रहे हैं। अब वह यह दावा कर रहे हैं कि इन इन 2 महिलाओं के खिलाफ पुलिस की कारर्वाई फर्जीवाड़े और निचले स्तर की राजनीति से प्रेरित है। वह देश में न्यायिक व्यवस्था की बदहाली पर भी सवाल उठा रहे हैं, जिसने गरीब महिलाओं की पीड़ा और दर्द से मुंह मोड़ लिया है। उनका कहना है कि इन महिलाओं ने समूचा जीवन मानवता के कल्याण के लिए अर्पित किया है।

सीबीसीआई के महासचिव बिशप थियोडोर मस्कारेन्हस के अनुसार, “सिस्टर कॉन्सेलिया को सभी सिस्टर्स, सुपीरियर्स, बिशप और पादरी निर्दोष मानते है। पर जिस धीमी गति से इंसाफ के पहिए घूम रहे हैं, उससे मनी गेम, पावर गेम, मीडिया के फर्जी प्रोपेंगेंडा और इन महिलाओं को फंसाने के लिए गलत ढंग से सबूतों को तोड़े-मरोड़े जाने का अहम योगदान है। इस मामले में हम इतने लाचार हैं कि सिर्फ भगवान से दुआ कर सकते हैं। इन दोनों महिलाओं को जमानत पर रिहा कराने की हर कोशिश बेकार साबित हुई है क्योंकि ऊपरी दबाव के काऱण कोर्ट केवल कुछ ही मिनटों में जमानत याचिका खारिज कर देता है।

बिशप मस्कारेन्हस ने अपने तर्क के समर्थन में सुप्रीम कोर्ट के पिछले साल फरवरी में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी हवाला दिया कि न जाने कितने निर्दोष लोग इंसाफ न मिलने के कारण जेलों में सड़ रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2018 में कहा था, “हमारी आपराधिक न्याय व्यवस्था में अपराधी को जमानत देना एक साधारण नियम है, जबकि किसी व्यक्ति को जेल सा सुधारगृह में रखना एक अपवाद है। दुर्भाग्य से न्याय व्यवस्था के कुछ मूल सिद्धांतों को अनदेखा किया जा रहा है, जिसका नतीजा है कि दोषपूर्ण न्याय व्यवस्था का शिकार होकर ज्यादा से ज्यादा निर्दोष लोग जेल में सड़ रहे हैं। उनकी ओर देखने वाला या उनकी चिंता करने वाला कोई नहीं है। आपराधिक न्याय व्यवस्था के ऐसे सिद्धांत से हमारे समाज का भला होने वाला नहीं है।“

बिशप ने कहा, “हालांकि ऐसा लगता है कि जमानत देने का यह साधारण नियम सिस्टर कॉन्सेलिया के लिए नहीं है। कोर्ट ने न तो यह देखा कि वह महिला है, न उनकी खराब सेहत को देख और न ही उनकी उम्र को देख रहा है। किसी जज ने अब तक किसी भी आधार पर उन्हें जमानत देकर साधारण राहत तक नहीं दी है।“  

बिशप थियोडोर ने हाल ही में जेल में जाकर सिस्टर की हालत देखी थी। उन्होंने इस लाचार महिला साथ लगातार हो रही नाइंसाफी को उजागर करते हुए कहा, “हमें पता चला है कि सिस्टर कॉन्सेलिया के खिलाफ बच्चा बेचने का कथित मामला अब अनियमित या गलत ढंग से बच्चे को गोद देने के मामले में बदला जा रहा है। माना जा रहा है कि जिस कपल ने बच्चे को “खरीदा”, उसे बच्चे को जन्म देने वाली लड़की के बयान पर उन्हें अग्रिम जमानत दे दी गई। बच्चो को जन्म देने वाली लड़की ने कहा, उसने अपनी मर्जी से बच्चे को गोद दिया है। अस्पताल की मेड, जिसने बच्चे को दत्तक माता-पिता को गोद दिया, उसे भी अग्रिम जमानत मिल पाई, लेकिन सिस्टर अभी तक जेल में ही है। ननों की फैमिली ने फॉदर बिशप के साथ इस मामले की निष्पक्ष और ईमानदारी से जांच की अपील की है, ताकि सिस्टर कॉन्सेलिया को कम  से कम जमानत तो मिल सके ।